
वायरल क्लिप म्यांमार में बरामद हथियारों का ज़ख़ीरा दिखाती है, मणिपुर में भारतीय सेना की कार्रवाई नहीं
- प्रकाशित 30 मई 2025, 14h11
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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X पर मई 17, 2025 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "मोटा भाई का ताजा शिकार भारतीय सेना ने मणिपुर में कांग्रेसी-चीन पोशित उग्रवादियों से चीन निर्मित हथियारों का एक बहुत बड़ा जखीरा और नकदी बरामद की है सबूत देखिए".
पोस्ट में शेयर किये गये वीडियो में वर्दीधारी हथियारबंद लोग भारी मात्रा में बरामद नकदी, बंदूकें और गोलियों की निगरानी करते हुए दिखाई देते हैं. इसे 26,500 से अधिक बार देखा गया है.

हाल ही में भारतीय सेना ने मई 14 को म्यांमार सीमा से सटे मणिपुर के चंदेल ज़िले में एक ऑपरेशन के दौरान दस "उग्रवादियों" को मार गिराने और "काफ़ी मात्रा में हथियार व गोला-बारूद" बरामद करने का दावा किया, जिसके बाद ही यह क्लिप शेयर की गई (आर्काइव्ड लिंक).
मई 2023 से ही मणिपुर में हिंदू बहुल मैतेई समुदाय और मुख्यतः ईसाई कुकी समुदाय के बीच हुई हिंसक झड़पों के बाद से राज्य जातीय रूप से बंटा हुआ है (आर्काइव्ड लिंक).
इस हिंसा में अब तक कम से कम 260 लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग अपने घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं.
यह क्लिप X और फ़ेसबुक पर भी इसी दावे से शेयर की गई, लेकिन प्राप्त साक्ष्यों के अनुसार यह वीडियो भारत का नहीं बल्कि म्यांमार का है.
वीडियो के कीफ़्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च करने पर समरूप विज़ुअल म्यांमार के एक विद्रोही गुट "बर्मा नेशनल रिवोल्यूशन आर्मी (BNRA)" से जुड़े फ़ेसबुक पेज पर अप्रैल 11, 2025 को पोस्ट की गई तस्वीरों में दिखें (आर्काइव्ड लिंक).
इन तस्वीरों के बर्मीज़ कैप्शन के मुताबिक इन्हें उस वक़्त लिया गया था जब विद्रोही गुट ने मिलिट्री जुंटा से फालाम नामक कस्बे का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया था.

गलत दावे की पोस्ट के वीडियो के 0:37 सेकंड मार्क पर एक व्यक्ति की वर्दी में BNRA (बर्मा नेशनल रिवोल्यूशन आर्मी) का चिह्न देखा जा सकता है.

बर्मीज़ न्यूज़ आउटलेट म्यांमार नाउ ने भी अप्रैल 9 को वीडियो से मिलते जुलते दृश्यों की तस्वीरें प्रकाशित की थी, जिनके कैप्शन में कहा गया है कि ये मिलिट्री जुंटा बलों से ज़ब्त किए गए हथियारों को दिखाती हैं (आर्काइव्ड लिंक).
म्यांमार की सेना ने 2021 में तख्तापलट कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया था. इसके बाद देश में गृहयुद्ध छिड़ गया जहां सेना का मुकाबला लोकतंत्र समर्थक गुरिल्लाओं और पुराने जातीय विद्रोही समूहों से हो रहा है, जो लंबे समय से देश के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय रहे हैं (आर्काइव्ड लिंक).
