कश्मीरी में 5 मार्च, 2014 को श्रीनगर के महिला कॉलेज में स्कूली शिक्षा सत्र के पहले दिन कक्षाओं के लिए इकट्ठा छात्राएं. ( AFP / TAUSEEF MUSTAFA)

श्रीनगर में 100 मेडिकल छात्राओं की डिग्री रद्द होने का फर्जी दावा वायरल

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 22 नवंबर 2021, 05h41
  • अपडेटेड 22 नवंबर 2021, 08h55
  • 3 मिनट
  • द्वारा एफप भारत
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर हज़ारों बार इस दावे के साथ शेयर हो रही हैं कि श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की 100 मुस्लिम छात्राओं की डिग्रियां पाकिस्तान की जीत का जश्न मानाने की वजह से रद्द कर दी गयी है. दावा ग़लत है: वायरल तस्वीर 2017 की है और उत्तर प्रदेश के फ़ातिमा गर्ल्स इंटर कॉलेज की छात्राओं की तस्वीर है जो सुबह की प्रार्थना सभा में खड़ी हैं, न कि जम्मू-कश्मीर की. कश्मीर पुलिस ने AFP को बताया कि सरकार ने किसी भी मेडिकल स्टूडेंट की कोई डिग्री रद्द नहीं की है.

वायरल तस्वीर को यहां, 29 अक्टूबर 2021 को शेयर किया गया था.

तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: "पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाने वाली श्रीनगर मेडिकल कॉलेज की 100 सुंदरियाँ अब डॉक्टर नही बन पाएँगी सरकार ने डिग्री रद्द कर दी."

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भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

अक्टूबर, 2021 के अंत में T-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान हुए भारत-पाकिस्तान के मैच के बाद पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने से संबंधित कुछ खबरें आईं, उसके बाद ही ये तस्वीर इस दावे के साथ शेयर की जाने लगी.

इसी दावे के साथ ये तस्वीर फ़ेसबुक पर यहां, यहां और यहां, साथ ही ट्विटर पर यहां, यहां शेयर की गई है.

हालाँकि दावा ग़लत है. 

छात्राओं की तस्वीर

भ्रामक पोस्ट में प्रयोग की गई तस्वीर की एक गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि इस तस्वीर को 13 नवंबर 2017 के इस आर्टिकल में प्रयोग किया गया है. द मॉर्निंग क्रॉनिकल्स नाम के इस समाचार पोर्टल में मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा से संबंधित एक ख़बर प्रकाशित हुई थी.

आर्टिकल के शीर्षक में लिखा था: "बदलाव की बयार: मुस्लिम लड़कियाँ पढ़ रही हैं और ऊँचे सपने देख रही हैं."

फ़ोटो के कैप्शन में लिखा था: "आज़मगढ़ ज़िले के दाऊदपुर में फ़ातिमा गर्ल्स इंटर कॉलेज में सुबह की प्रार्थना के दौरान छात्रायें. फ़ोटो क्रेडिट: IANS."

फ़ातिमा गर्ल्स इंटर कॉलेज उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ में है.

नीचे भ्रमाक पोस्ट (बायें) और 2017 के आर्टिकल की तस्वीर (दायें) के बीच एक तुलना है.

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भ्रमाक पोस्ट (बायें) और 2017 के आर्टिकल की तस्वीर (दायें) के बीच तुलना

फ़ातिमा गर्ल्स इंटर कॉलेज के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज से भी इस रिपोर्ट की तस्वीर को यहां 13 नवंबर 2017 के शेयर किया गया है.

फ़ोटो के साथ कैप्शन में लिखा है: “कॉलेज में सुबह की प्रार्थना.”

AFP ने वायरल दावे के संबंध में कॉलेज के सेक्रेटरी आसिफ़ दाउदी से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि, "हाँ, ये तस्वीर हमारे कॉलेज की ही है, ये लगभग दो या तीन साल पहले की है जब कॉलेज में सुबह की प्रार्थना हो रही थी.”

नहीं हुई डिग्रीयां रद्द

AFP ने क़श्मीर के इंस्पेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस विजय कुमार से इस बारे में बात की. उन्होंने इसे पूरी तरह से फ़ेक न्यूज़ बताया. कुमार ने कहा, "सरकार ने मेडिकल छात्रों की डिग्री रद्द करने जैसा कोई फैसला नहीं लिया है."

स्वास्थ्य व चिकित्सा शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव विवेक भारद्वाज ने भी 18 नवम्बर को इस दावे को खारिज किया. उन्होंने कहा, "डिग्रीयां पढ़ाई ख़तम होने पर दी जाती हैं. जब पढ़ाई ख़तम ही नहीं हुई, और डिग्री दी ही नहीं गयी, तो रद्द कैसे होंगी?"

AFP को 2021 में श्रीनगर में मेडिकल छात्रों की डिग्री रद्द करने की कोई आधिकारिक खबर नहीं मिली.

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