25 नवंबर, 2021 को उत्तर प्रदेश के जेवर में नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के शिलान्यास की होर्डिंग के सामने से पैदल चलता एक व्यक्ति. ( AFP / Money SHARMA)

जेवर एयरपोर्ट एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा नहीं, भाजपा नेताओं ने किया गलत दावा

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 7 जनवरी 2022, 07h59
  • अपडेटेड 7 जनवरी 2022, 08h09
  • 4 मिनट
  • द्वारा Uzair RIZVI, एफप भारत
सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई नेताओं ने निर्माणाधीन जेवर एयरपोर्ट की वीडियो और तस्वीरें शेयर करते हुए ये दावा किया कि उत्तर प्रदेश के जेवर में बन रहा नॉएडा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा "एशिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा" होने वाला है. ये दावा भ्रामक है: ये एयरपोर्ट क्षेत्रानुसार सऊदी अरब के किंग फ़हाद एयरपोर्ट से छोटा है और इसका एयर ट्रैफ़िक भी चीन के कई हवाई अड्डों से कम ही होगा.
 

केन्द्र सरकार में मंत्री अनुराग ठाकुर ने 25 नवंबर, 2021 को इस दावे के साथ यहां एक वीडियो पोस्ट किया.

उन्होंने इस वीडियो को उसी दिन पोस्ट किया था जिस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेवर में नोएडा इंटरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का शिलान्यास किया था. 

ट्वीट के कैप्शन में लिखा है: “एशिया के सबसे बड़े हवाई अड्डे के रूप में, नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा भी अपने साथ 35000 करोड़ रुपये का निवेश लाने जा रहा है. इससे एक लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और क्षेत्र में विकास की गति भी तेज होगी.”

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भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट ( Uzair RIZVI)

इसी तरह का दावा यहां, यहां और यहां ट्विटर पर शेयर किया गया है. कई भाजपा नेताओं ने यही दावा फ़ेसबुक पर यहां और यहां शेयर किया.

कई समाचार वेबसाइट्स में भी इस भ्रामक दावे से ख़बर भी बनाई गई है, उदाहरण के लिए, यहां, यहां और यहां देखें.

हालांकि, ये दावा भ्रामक है, नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा क्षेत्र, हवाई यातायात या फ़िर यात्रियों की क्षमता के मामले में एशिया में सबसे बड़ा एयरपोर्ट नहीं है. 

हवाई अड्डे का आकार

गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के अनुसार, सऊदी अरब के दम्माम में किंग फ़हाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा , क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का सबसे बड़ा हवाई अड्डा है. सऊदी अरब एशिया महाद्वीप का ही हिस्सा है.

इस एयरपोर्ट का क्षेत्रफल 78,000 हेक्टेयर या 780 वर्ग किलोमीटर है - हालांकि इसके टर्मिनल लगभग 43 वर्ग किलोमीटर का ही है, मतलब कि कुल क्षेत्रफल का लगभग पांच प्रतिशत.

सरकार द्वारा अनुमोदित मास्टर प्लान के अनुसार, भारत का जेवर में नया हवाई अड्डा चार अलग-अलग चरणों में 1334 हेक्टेयर, लगभग 13.34 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में बनाया जाएगा. 25 नवंबर, 2021 को यहां एक आधिकारिक प्रेस रिलीज़ में यह भी कहा गया है कि यह हवाई अड्डा 1334 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जाएगा.

स्विस एयरपोर्ट रियल एस्टेट कंपनी Flughafen Zürich AG  इस हवाई अड्डे का निर्माण करेगी और इसके साथ कंपनी का 40 साल के लिए एयरपोर्ट संचालित करने का समझौता भी है. 

नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के मुख्य विकास अधिकारी निकोलस शेंक ने 17 दिसंबर, 2021 को एक ईमेल में AFP को बताया कि, “हमारे साथ 40 साल के एग्रीमेंट पीरियड के दौरान एयरपोर्ट में चार चरणों में कुल 1334 हेक्टेयर का ही निर्माण किया जायेगा.”

यात्री क्षमता

एयरपोर्ट के निर्माण का पहला चरण 29 सितंबर, 2024 तक पूरा हो जाएगा, और तब यह इसकी सालाना यात्री क्षमता लगभग 1 करोड़ 20 लाख की होगी. 

सरकार के मास्टर प्लान के अनुसार, 2060 में चौथे चरण तक ये एयरपोर्ट सालाना लगभग 7 करोड़ यात्रियों के उपयोग के लिये तैयार होगा.

प्राइसवाटरहाउस कूपर्स द्वारा जारी एयरपोर्ट की तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट के मुताबिक़ ये हवाई अड्डा सालाना लगभग 7 करोड़ 70 लाख लोगों के व्यवहार अनुकूल होगा.

हालांकि, एशिया में और भी दूसरे एयरपोर्ट हैं जिनकी सालाना हवाई यातायात क्षमता 7 करोड़ 70 लाख से अधिक यात्रियों की हैं.

दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यात्रियों की आवाजाही से संबंधित एयरपोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट में 2019 के डेटा के मुताबिक़ लगभग 8 करोड़ 80 लाख लोगों की उपस्थिति दर्ज की गई है.

एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल के मुताबिक़ बीजिंग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ने 2019 में लगभग 10 करोड़ लोगों को हवाई सुविधा प्रदान की थी.

वायु यातायात

भारत सरकार के मास्टर प्लान में कहा गया है कि जेवर हवाई अड्डा 2024 से प्रति वर्ष लगभग 96,400 हवाई यातायात, लैंडिंग और टेक-ऑफ शुरू कर देगा, जो हवाई अड्डे के विकास के चौथे चरण तक बढ़कर 489,700 सालाना हो जाएगा.

एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल के 2019 के आंकड़ों के अनुसार बीजिंग एयरपोर्ट ने 594,329 लैंडिंग और टेक-ऑफ दर्ज किया, शंघाई ने 511,846 और गुआंगज़ौ में 491,249 दर्ज किया.

महामारी से प्रभावित साल 2020 में भी एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल के डेटा से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका के तीनों हवाई अड्डों में एटलांटा ने 548,016 लैंडिंग और टेक-ऑफ दर्ज किए, शिकागो ने 538, 211 और डलास में 514,702 दर्ज किए गये.

यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण जिसकी एयरपोर्ट में लगभग 12.5% की हिस्सेदारी है, उसके अध्यक्ष अरुण वीर सिंह ने AFP को बताया कि संभावित 5,800 हेक्टेयर को कवर करने के लिए 2060 के बाद हवाई अड्डे का विस्तार करने की भी योजना थी लेकिन वहां भूमि अधिग्रहण का मामला अभी भी प्रक्रिया में है.”

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( Uzair RIZVI)

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