
बांग्लादेश के धार्मिक जुलूस की तस्वीर भारत में ओवैसी की राजनीतिक रैली बताकर शेयर की गयी
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- प्रकाशित 28 जुलाई 2021, 10h12
- 3 मिनट
- द्वारा एफप भारत
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ये तस्वीर हिंदी कैप्शन के साथ एक ट्विटर यूज़र ने 19 जुलाई को यहां शेयर की थी. कैप्शन में लिखा है, “यूपी के मुरादाबाद में ओवैसी की रैली में विशेष समुदाय का जनसैलाब उमड़ और यहां हम भाजपा, बसपा और सपा में उलझे पड़ें हैं. आप भी किसी मुगालते में मत रहना अपने भविष्य के बारे में सोच लेना...”
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश (यूपी) भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है.
असदुद्दीन ओवैसी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता और दक्षिणी भारत के राज्य में स्थित हैदराबाद से सांसद हैं.

ये पोस्ट तब शेयर किये जाने लगे जब आगामी यूपी विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराने के लिए AIMIM का दूसरी पार्टियों से गठबंधन करने की अटकलें तेज़ हो गयीं. रिपोर्ट्स के मुताबिक उत्तर प्रदेश में फ़रवरी 2022 में चुनाव होने जा रहे हैं.
कुछ लोगों ने पोस्ट्स में ये दावा भी किया कि महामारी के बीच ओवैसी को रैली निकलने की छूट मिल गयी है लेकिन हिन्दुओं को अपने पर्व त्यौहार में इकठ्ठा होने से रोका जा रहा है.
यही दावा फ़ेसबुक पर यहां, यहां, और यहां शेयर किया गया.
ये दावा ग़लत है.
ये तस्वीर 26 नवम्बर, 2019 को फ़ेसबुक पर शेयर की गयी तस्वीर से मिलती है.
इसे फ़ोटोग्राफ़र फैज़ल बिन लतीफ़ ने शेयर किया था और बताया था कि ये बांग्लादेश के शहर चट्टोग्राम (चिटगांग) में निकाले गये जुलूस की तस्वीर है.

फैज़ल ने इस मौके की तस्वीरों का एल्बम भी फ़ोटो शेयरिंग वेबसाइट फ़्लिकर पर डाला है.
इस एल्बम का टाइटल है, “जश्न-ए-जुलूस, मिलाद-उन-नबी, नवम्बर 2019.”
ओरिजिनल: “Jashney Julus, Miladunnabi, November 2019”
AFP को ऐसे ही विज़ुअल वाला बंगाली भषा का यूट्यूब विडियो मिला जिसे देखकर पता चलता है वायरल
तस्वीर उसी मौके की है जो विडियो में दिख रहा है.
विडियो के टाइटल में बताया गया है कि इसमें नवम्बर 2019 में चिटगांग में मिलाद-उन-नबी का जुलूस निकाला जा रहा है.
मिलाद-उन-नबी इस्लाम का त्यौहार है जिसे मुस्लिम समुदाय के कैलेंडर के मुताबिक पैगम्बर मोहम्मद के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है.
2019 में बांग्लादेश में इसे 10 नवम्बर को मनाया गया था.
नीचे भ्रामक पोस्ट वाली तस्वीर (बाएं) और यूट्यूब वीडियो के 17 सेकंड पर लिए गये स्क्रीनशॉट (दायें) की तुलना है.

इस जुलूस के बारे में 10 नवम्बर, 2019 बंगाली न्यूज़ वेबसाइट बांग्लान्यूज़24 ने भी रिपोर्ट किया था.
AFP को इस न्यूज़ रिपोर्ट में भी वायरल तस्वीर (बाएं) से मिलती हुई तस्वीर (दायें) मिली.

AFP ने इससे पहले भी इस तस्वीर का फ़ैक्ट-चेक किया था जब ये इस दावे के साथ शेयर की गयी थी कि तस्वीर में दानिश सिद्दीकी का अंतिम संस्कार दिख रहा है. बता दें कि दानिश रॉयटर्स न्यूज़ एजेंसी के लिए काम करने वाले भारतीय पत्रकार थे और अफ़गानिस्तान में अफ़गान आर्मी और तालिबान का युद्ध कवर करने गये थे जहां उनकी गोली मार कर हत्या कर दी गयी.
