जन्माष्टमी के अवसर पर 27 अगस्त, 2013 में श्रीनगर में कश्मीरी हिंदू भक्त नृत्य करते हुए ( AFP / ROUF BHAT)

कश्मीर में 'दशकों बाद जन्माष्टमी' मनाये जाने का ग़लत दावा वायरल

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हाल ही में सोशल मीडिया पर एक महोत्सव का वीडियो इस दावे के साथ वायरल हुआ कि यह कश्मीर में 35 साल बाद जन्माष्टमी मनाई जा रही है. यह दावा ग़लत है: कश्मीर में पिछले 35 सालों में कई बार जन्मष्टामी मनती आयी है और इससे पहले श्रीनगर में 2018 में जन्माष्टमी उत्सव का आयोजन हुआ था. 

31 अगस्त को एक फ़ेसबुक पोस्ट में वीडियो के साथ लिखा गया, “32 सालों के बाद मनाई गई कश्मीर में जन्माष्टमी, देखिए इसके अद्भुत दृश्य.” 

यह वीडियो एक लाख से ज़्यादा बार देखा जा चुका है. वीडियो में झांकी निकलती हुई दिखाई दे रही है जिसमें हिन्दू देवताओं की वेशभूषा पहने बच्चे एक वाहन पर सवार है और उनके साथ लोगों का काफिला चल रहा है.

भ्रामक फ़ेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

यही वीडियो भाजपा नेताओं ने यहां और यहां शेयर किया. न्यूज़18, ज़ी न्यूज़ और सुदर्शन न्यूज़ ने भी वीडियो के साथ यही दावा किया.

लेकिन ये दावा पूरी तरह ग़लत है. 

AFP ने जब इस बाबत गूगल पर सर्च किया तो कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें 30 अगस्त को जन्माष्टमी मनाये जाने की ख़बरें हैं. लेकिन इन रिपोर्ट्स के मुताबिक इस बार 2 साल के बाद कश्मीर में यह त्यौहार मनाया गया, न कि 32 साल बाद, जैसा की भ्रामक रिपोर्ट्स और पोस्ट्स में दावा किया गया.

फ़्री प्रेस कश्मीर की रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में धारा 370 निरस्त किये जाने पर और उसके के बाद Covid-19 महामारी के चलते राज्य में कर्फ्यू के कारण पिछले दो साल झांकी नहीं निकाली गयी थी. 

यानी, राज्य में 2019 और 2020 में महामारी और कर्फ्यू के कारण बस पिछले दो साल जन्माष्टमी नहीं मनाया गया था.

कश्मीर के एक हिन्दू संगठन कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के सदस्य संजय टिक्कू ने AFP को बताया, “यहां हिन्दू लम्बे समय से जन्माष्टमी की झांकी निकालते आ रहे हैं.”

उन्होंने आगे कहा, “2003 में कश्मीर में जन्मष्टामी आयोजन के बाद 2008, 2010 और 2016 में सुरक्षा चिंताओं और 2014 में शहर में बाढ़ के कारण कार्यक्रम नहीं हो पाया था. 2019 में कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटाए जाने के बाद कर्फ्यू और 2020 में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के चलते झांकी नहीं  निकाली गयी थी.” 

श्रीनगर में जन्ममाष्टमी के कार्यक्रम पर की गयी पिछले कुछ सालों की न्यूज़ रिपोर्ट्स भी देखीं जा सकती हैं-  2007, 2012 और 2013

भ्रामक पोस्ट वाला वीडियो सबसे पहले पत्रकार इमरान शाह ने 30 अगस्त को ट्वीट किया था.