नाइजीरिया में आयोजित ईसाई धर्म समारोह की पुरानी तस्वीर भारत जोड़ो यात्रा से जोड़कर वायरल

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  • प्रकाशित 13 नवंबर 2022, 12h49
  • 3 मिनट
  • द्वारा Anuradha PRASAD, एफप भारत
फ़ेसबुक और ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया गया कि इसमें कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान जुटी भारी भीड़ नज़र आ रही है. ये दावा ग़लत है: ये तस्वीर इंटरनेट पर एक दशक से भी ज़्यादा समय से मौजूद है और स्रोत के मुताबिक ये नाइजीरिया में आयोजित एक ईसाई धर्म प्रचार समारोह की है.

इस तस्वीर को फ़ेसबुक पर 16 अक्टूबर, 2022 को यहां शेयर किया गया. इसमें किसी आयोजन में जुटी भारी भीड़ नज़र आ रही है.

इस तस्वीर के ऊपर हिंदी में लिखा है, “बेल्लारी, कर्नाटक में, भारत जोड़ो यात्रा, रैली में जगह कम पड़ गयी, भारत जोड़ने निकले सपूतों के सामने दूर-दूर तक केवल जनमानस ही दिख रहा. #भारत_जोड़ो_यात्रा.”

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भ्रामक पोस्ट का 30 अक्टूबर, 2022 को लिया गया स्क्रीनशॉट

भारत जोड़ो यात्रा सितम्बर 2022 में शुरू किया गया. ये राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का पूरे देश में चलाया जा रहा कैंपेन है.

राहुल गांधी ने कहा कि पूरे देश में इस पैदल यात्रा का मकसद बेरोज़गारी, महंगाई और हिन्दू-मुस्लिम धार्मिक असहिष्णुता के ख़िलाफ़ लोगों को एकजुट करना है.

द इकोनॉमिक टाइम्स ने 15 अक्टूबर को कर्नाटक के बेल्लारी में हुए मार्च पर रिपोर्ट किया था.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मार्च में दक्षिण भारत में कई मौकों पर भारी भीड़ (यहां और यहां) जुट चुकी है.

ये तस्वीर फ़ेसबुक पर यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर की गयी.

हालांकि इसे ग़लत सन्दर्भ में शेयर किया गया है.

नाइजीरिया की तस्वीर

वायरल तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ये स्लोवाकिया की वेबसाइट milost.sk पर मिली जहां इसे फ़रवरी 2010 के एक पोस्ट में शेयर किया गया था.

इस पोस्ट का टाइटल है, “द रेनहार्ड बॉनके फ़ेनोमेनन.”

“रेनहार्ड बॉनके ने ईश्वर की तपस्या में 50 वर्ष लगा देने का जश्न मनाया.”

बीबीसी के मुताबिक रेनहार्ड बॉनके जर्मनी के ईसाई धर्म प्रचारक थे जिन्हें अफ़्रीका में बड़े स्तर पर कैंपेन चलाने के लिए जाना जाता है. उनकी मृत्यु 7 दिसंबर, 2019 को 79 वर्ष की आयु में हुई थी.

इसके अलावा milost.sk के पोस्ट के मुताबिक उन्होंने दुनियाभर में धर्मप्रचार में, ख़ासकर अफ़्रीका में बड़ा प्रभाव बनाया था. ये काम वो अपने संगठन क्राइस्ट फ़ॉर ऑल नेशंस (CfaN) के तहत करते थे.

नीचे सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर (बाएं) और milost.sk के आर्टिकल वाली तस्वीर (दाएं) के बीच तुलना दी गयी है:

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सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर (बाएं) और milost.sk के आर्टिकल वाली तस्वीर (दाएं) के बीच तुलना

AFP को इसी तस्वीर का हाई क्वॉलिटी वर्ज़न CfaN की वेबसाइट पर यहां मिला.

तस्वीर पर लेबल लगा है जिसमें लिखा है, “ओग्बोमोशो नाइजीरिया में 2002 में रेनहार्ड बॉनके द्वारा चलाया गया गॉस्पेल कैंपेन.”

ओग्बोमोशो नाइजीरिया के दक्षिण-पश्चिम में ओयो में स्थित शहर है जहां CfaN ने 2010 और 2018 कैंपेन चलाया था.

इससे मिलती-जुलती एक तस्वीर रेनहार्ड बॉनके के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर मिली जिसे 18 अप्रैल, 2022 को अपलोड किया गया था.

तस्वीर पर एक वॉटरमार्क है जिसपर लिखा है, “Evangelist Reinhard Bonnke Ogbomosho Nigeria.” इसका हिंदी अनुवाद है, “प्रचारक रेनहार्ड बॉनके ओग्बोमोशो नाइजीरिया.”

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बॉनके के फ़ेसबुक पेज पर अपलोड की गयी तस्वीर का स्क्रीनशॉट
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