बांग्लादेश के इस्लामिक संगठन का एडिटेड सर्कुलर 'धर्मांतरण' के गलत दावे से शेयर किया गया

सोशल मीडिया पोस्ट्स में कथित तौर पर एक सर्कुलर की तस्वीर को सैकड़ों बार इस गलत दावे से शेयर किया गया है कि बांग्लादेश में एक इस्लामी समूह ने हिंदू लड़कियों को इस्लाम में परिवर्तित करने वाले किसी भी व्यक्ति को लाखों रुपये नकद पैसे देने का नोटिस जारी किया है. एएफ़पी को नोटिस में कई विसंगतियां देखने को मिलीं जिससे संकेत मिलता है कि वास्तविक नोटिस से छेड़छाड़ कर उसे एडिट किया गया है. समूह ने इस बात से इनकार किया है कि उन्होंने किसी भी तरह के धर्मांतरण के लिए नोटिस जारी किया है.

यह नोटिस कथित तौर पर अहल-अल-हदीथ -- बांग्लादेश के एक गैर-राजनीतिक इस्लामी समूह -- का है, जिसे 3 अप्रैल, 2024 को X पर शेयर किया गया था.

पोस्ट का कैप्शन है, "एक हिंदू लड़की को फँसाओ, और 3 लाख तक जीतो; एक हिंदू परिवार का धर्म परिवर्तन करने पर 5 लाख पाओ". भयावह इस्लामिक कट्टरपंथी योजना उजागर! बांग्लादेश साइबर टीम ने बांग्लादेश के इस्लामवादियों द्वारा चलाए जा रहे एक फेसबुक पेज को हैक कर लिया. इसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए, एक हिंदू ब्राह्मण लड़की का धर्म परिवर्तन कराने पर 3 लाख टका का इनाम रखा गया है."

पोस्ट में समान संदेश के साथ दो नोटिस शेयर किये गये हैं -- एक बंगाली भाषा में लिखा गया है, जबकि दूसरा इसका अंग्रेज़ी अनुवाद प्रतीत होता है.

दोनों ही नोटिस में बांग्लादेश स्थित समूह अहल-अल-हदीथ की आधिकारिक मोहर प्रतीत होती है, जैसा कि नीचे स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट 9 अप्रैल, 2024

नोटिस को इसी गलत दावे से फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X पर यहां शेयर किया गया है. 

एडिटेड नोटिस

गलत दावे की पोस्ट में शेयर किए गए नोटिस में ऊपरी बाएं कोने में इस्लामिक समूह "बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीथ" का पूरा नाम स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है.

इसके नीचे, दो अलग लिपियों -- बांग्ला और अरबी -- का उपयोग नोटिस के एडिटेड हिस्से में किया गया है, जिसमें धर्मांतरण के लिए दिये जाने वाली राशि का उल्लेख किया गया है, जैसा कि नीचे एएफ़पी द्वारा नीले रंग में हाइलाइट किया गया है.  

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गलत दावे की पोस्ट के जवाब में, इस्लामिक समूह ने 4 अप्रैल, 2024 को अपने आधिकारिक फ़ेसबुक पेज पर एक स्पष्टीकरण संदेश पोस्ट किया.

पोस्ट के बांग्ला भाषा के कैप्शन का कुछ हद तक अनुवाद इस प्रकार है, "हमें पता चला कि सोशल मीडिया पोस्ट पर गलत दावों के साथ एक फ़र्जी सर्कुलर नोटिस शेयर किया जा रहा है."

"बांग्लादेश जमीयत अहल-अल-हदीथ इस निराधार, षडयंत्रकारी और फ़र्ज़ी अधिसूचना की कड़ी निंदा करता है और देश के कानून और व्यवस्था बलों से उन सभी लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई करने की मांग करता है जो इस फ़र्ज़ी सर्कुलर को बनाकर लोगों को गुमराह कर रहे हैं."

संगठन का असल सर्कुलर नोटिस  यहां उनकी आधिकारिक वेबसाइट पर 7 फ़रवरी, 2022 को प्रकाशित किया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर किये गये नोटिस (बाएं) और समूह की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड मूल नोटिस (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है, जिसमें एएफ़पी द्वारा लाल रंग में समानताएं हाइलाइट की गई हैं.

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एएफ़पी की बांग्लादेश टीम के एक रिपोर्टर ने एडिटेड नोटिस की तुलना मूल नोटिस से की और पाया कि दोनों में एक ही संदर्भ संख्या, तारीख़, आधिकारिक मुहर और लेटरहेड का प्रयोग किया गया था.

मूल नोटिस में धर्मांतरण या उसके लिए नकद इनाम का कोई ज़िक्र नहीं था.

अहल-अल-हदीथ के एक प्रवक्ता ने एएफ़पी को बताया कि मूल दस्तावेज़ को एडिट कर गलत दावों के साथ ऑनलाइन शेयर किया गया है.

उन्होंने कहा, "2022 के हमारे नोटिस में से एक को डिजिटल रूप से एडिट कर ऑनलाइन शेयर किया गया है, जिसमें हमने अपनी प्रत्येक स्थानीय समिति को कुरान हदीथ के शिक्षण सत्र आयोजित करने के लिए एक नोटिस जारी किया था. इसमें कहीं भी हिंदुओं के धर्म परिवर्तन या इसके लिये पैसे देने का कोई ज़िक्र  नहीं है.''

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