काबुल में बम ब्लास्ट की पुरानी तस्वीरें हालिया बताकर गलत दावे से वायरल

सोशल मीडिया पर बम धमाकों में धराशायी इमारतों की तीन तस्वीरें शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास पर हाल में हमला किया गया है. हालांकि ये दावा गलत है. तीनों तस्वीरें सालों पुरानी हैं और उनमें से एक जर्मन दूतावास के बाहर हुए हमले को दिखाती है. हाल में इस तरह के हमले की कोई मीडिया रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है.

X पर एक यूज़र ने जुलाई 7, 2025 को दो तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, "काबुल से ख़ौफ़नाक ख़बर, भारतीय दूतावास पर हमला, राष्ट्र की सेवा में कई अधिकारी शहीद हो गए. यह शर्मनाक कृत्य अंतरराष्ट्रीय राजनयिक सिद्धांतों की अवहेलना करता है." 

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गलत दावे से शेयर की गई एक्स पोस्ट का जुलाई 7, 2025 को लिया गया स्क्रीनशॉट, जिस पर एएफ़पी द्वारा एक लाल X साइन जोड़ा गया है

अफ़ग़ानिस्तान में भारतीय दूतावास पर 2008 में हुए हमले की बरसी पर फ़ेसबुक पर भी इसी तरह के समान दावे से कई पोस्ट्स शेयर किये गए. इस हमले में 41 लोग मारे गए थे और लगभग 150 अन्य घायल हुए थे (आर्काइव्ड  लिंक्स यहां और यहां ).

पोस्ट पर की गई टिप्पणियों से पता चलता है कि सोशल मीडिया यूज़र्स इसे हाल की घटना मान रहे हैं. 

एक यूज़र ने लिखा, "यह बुरी खबर है."  

दूसरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ज़िक्र करते हुए लिखा, "मोदी कुछ करेंगे या नहीं?" 

काबुल स्थित भारतीय राजनयिक मुख्यालय को निशाना बनाकर किए गए हमले की हालिया कोई आधिकारिक मीडिया रिपोर्ट एएफ़पी को नहीं मिली. 

पहली तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेजकीवर्ड सर्च करने पर वह समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के आर्काइव में मिली (आर्काइव्ड लिंक).

तस्वीर के साथ लम्बे कैप्शन का एक हिस्सा है, "शुक्रवार, मई 23, 2014 को अफ़ग़ानिस्तान के हेरात स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में विद्रोहियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़प के दौरान एक घर को जलते हुए देखते अफ़ग़ान सुरक्षा बल." 

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट (बाएं) और AP की तस्वीर की स्क्रीनशॉट तुलना

यह तस्वीर भारतीय मीडिया एनडीटीवी की रिपोर्ट में भी प्रकाशित हुई थी (आर्काइव्ड लिंक). 

दूसरी तस्वीर रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में प्रकाशित मिली, जिसका कैप्शन है, "मई 31, 2017 को काबुल, अफ़ग़ानिस्तान में हुए विस्फोट के बाद अफ़ग़ान अधिकारी जर्मन दूतावास के बाहर निरीक्षण करते हुए" (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में बताया गया कि काबुल के मध्य में एक सीवेज टैंकर में रखा हुआ बम फटने से कम से कम 80 लोग मारे गए और दूतावास की इमारतें क्षतिग्रस्त हो गयीं.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट (बाएं) और रॉयटर्स की तस्वीर की स्क्रीनशॉट तुलना

अल जज़ीरा ने भी इस विस्फोट के बारे में प्रकशित रिपोर्ट में इस तस्वीर का इस्तेमाल किया था (आर्काइव्ड लिंक).

फ़ेसबुक पर शेयर किये गए अन्य पोस्ट्स में एक तीसरी तस्वीर भी शामिल है, जिसमें पूर्व भारतीय राजनयिक अक्टूबर 2009 में हुए कार बम हमले के बाद काबुल स्थित दूतावास का निरीक्षण करते हुए दिखाई दे रहे हैं (आर्काइव्ड लिंक ). 

यह तस्वीर भी एसोसिएटेड प्रेस समाचार एजेंसी के आर्काइव में मौजूद है (आर्काइव्ड लिंक). 

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट (बाएं) और AP की तस्वीर की स्क्रीनशॉट तुलना
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