
अफ़्रीकी ग़ुलामों का व्यापार करने वाले की तस्वीर को टीपू सुल्तान बताकर शेयर किया गया
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- प्रकाशित 4 अगस्त 2021, 06h49
- 4 मिनट
- द्वारा एफप भारत
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ये तस्वीरें 24 जुलाई, 2021 को एक फ़ेसबुक ग्रुप में यहां शेयर की गयी जिसमें 15,000 से ज़्यादा सदस्य हैं.

ब्लैक ऐंड व्हाइट तस्वीर के ऊपर अंग्रेज़ी में लिखा गया है, "टीपू सुल्तान की असली तस्वीर." वहीं पेंटिंग के नीचे लिखा हुआ है, "वो तस्वीर जिसे कांग्रेस भारत में स्कूल की किताबों में छापती रही."
पोस्ट के कैप्शन में कहा गया है, "टीपू सुल्तान ना केवल शक्ल से बदसूरत और राक्षस जैसा दिखाई देने वाला इंसान था बल्कि शक्ल की तरह ही क्रूर, निर्दई, जिहादी, था. उसकी क्रूरता को याद करते हुए मेलकोट के आयंगर ब्राह्मण आज भी दीवाली नहीं मनाते लेकिन मुस्लिम वोट के लिए सेकुलर भांड उसे महान आदमी का दर्जा देते हैं."
इन तस्वीरों के ऊपर तमिल कैप्शन कहता है, "देखो दोस्तों, ये आदमी संब्रानी जैसा दिख रहा है." बता दें कि संब्रानी यहां मुस्लिम फ़कीरों को कहा जा रहा है जो दुकानों में लोबान की धूप देते है.
कोलाज के नीचे छपा है, "ये शासक या टीपू सुल्तान कैसे हो सकता है?"
टीपू सुल्तान 18 शताब्दी में दक्षिणी भारत के मैसूर (वर्तमान में कर्नाटक) पर राज करने वाले शासक थे जिन्होंने ब्रिटिश सरकार की ईस्ट इंडिया कंपनी के ख़िलाफ़ कई जंगें लड़ी थी. टीपू सुल्तान की मृत्यु 1799 के जंग में हुई.
पिछले कुछ वर्षों में कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली सरकार ने इतिहास की किताबों से टीपू सुल्तान को हटाने की कई कोशिशें की हैं. उनका दावा है कि टीपू सुल्तान ने हिन्दुओं और ईसाइओं को ज़बरदस्ती इस्लाम धर्म कबूल करवाया था.
राज्य में विपक्षी दल कांग्रेस इस कदम का विरोध भी कर चुकी है.
कर्नाटक के मेलुकोटे में आयंगर ब्राह्मण टीपू सुल्तान द्वारा उनके पूर्वजों का नरसंहार किये जाने को याद करते हुए हिन्दू त्यौहार दिवाली नहीं मनाते हैं.
ये कोलाज फ़ेसबुक पर सैकड़ों बार शेयर किया जा चुका है जिनमें से कुछ पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
लेकिन ये तस्वीर टीपू सुल्तान की नहीं है.
ब्लैक ऐंड व्हाइट तस्वीर
इस तस्वीर का टिन आय पर रिवर्स इमेज सर्च और फिर गूगल पर इसके बारे में सर्च करने पर हमें ये फ़ोटो एजेंसी गेटी इमेजेज़ पर मिली.
इसके कैप्शन में लिखा है, "टिप्पू टिप या तिब 1837 से 1905, असली नाम: हामद बिन मुहम्मद बिन जुमाह रजाब बिन मुहम्मद बिन सईद अल-मुर्ग़ाबी. स्वाहिली-ज़ांज़ीबारी ग़ुलाम व्यापारी. प्लांटेशन का मालिक, स्टैनेली फ़ॉल्स ज़िले का गवर्नर और सर हेनरी मॉर्टन स्टैनेली के एमिन पाशा रिलीफ़ एक्सपीडिशन, 1887-1889 में कैरियर का सप्लायर. 1890 में हेनरी एम स्टैनली द्वारा छापी गयी डार्केस्ट अफ्रीका से लिया गया." (तस्वीर: यूनिवर्सल हिस्ट्री आर्काइव/यूनिवर्सल इमेजेज़ ग्रुप )
नीचे गेटी इमेजेज़ की वेबसाइट का स्क्रीनशॉट देख सकते हैं.

ये तस्वीर फ़ोटो स्टॉक वेबसाइट एलेमी पर भी मिलती है.
एलेमी ने भी तस्वीर में इस व्यक्ति का वही नाम बताया जो गेटी इमेजेज़ ने.
कैप्शन में बताया गया है, "उसे पूर्वी अफ़्रीका के लोग टिप्पू तिब के नाम से जानते थे. ये नाम उसकी बंदूकों से निकलने वाली आवाज़ से जोड़कर दिया गया. वो गुलाम खरीदने-बेचने वाला बदनाम व्यापारी, प्लांटेशन का मालिक और गवर्नर था और साथ ही ज़ंज़ीबर के सुल्तानों के लिए भी काम किया था. उसने मध्य अफ्रीका में कई अभियान-दलों को आने में मदद दी जिसमें गुलामों की खरीद-फ़रोख्त और हाथी के दांत का व्यापार शामिल है."
नीचे भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट (बाएं), गेटी पर मिली तस्वीर (बीच में) एलेमी पर मिली तस्वीर (दाएं) की तुलना देख सकते हैं.

रंगीन पेंटिंग
ये रंगीन पेंटिंग आमतौर पर किताबों से लेकर अख़बारों में टीपू सुल्तान को दिखाने के लिए छापी जाती है.
बिज़नेस इनसाइडर और नेशनल जियोग्राफ़िक के मुताबिक, दुनियां की सबसे पुरानी तस्वीर 1826 और 1827 के समय खींची गयी थी, टीपू सुल्तान की मौत के करीब तीन दशक बाद.
