धार्मिक नारे लगा रहे पुलिसकर्मी का वायरल वीडियो त्रिपुरा से नहीं है

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 5 नवंबर 2021, 10h24
  • 3 मिनट
  • द्वारा एफप भारत
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में एक पुलिसकर्मी किसी रैली में 'जय श्री राम' के नारे लगाता दिख रहा है. वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि ये त्रिपुरा में हुए सांप्रदायिक दंगो के दौरान पुलिसकर्मी के दंगाइयों को उकसाने को दर्शाता है. दावा भ्रामक है: ये वीडियो साल 2018 से इंटरनेट पर मौजूद है और बिहार में हुए दंगों के बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी दिखाया जा चुका है.
 

लगभग 25 सेकेंड के इस वीडियो को 30 अक्टूबर 2021 को फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया था जहां इसे 700 से ज्यादा बार देखा जा चुका है. 

पोस्ट के साथ कैप्शन लिखा है: "सुना था पुलिस लोगों की मदद करने के लिए होती है, अब समझ में आया कि पिछले 6 दिनो से त्रिपुरा जल क्यूं रहा है...".

एक अन्य यूजर ने इसी वीडियो को शयेर करते हुए कैप्शन लिखा: "सुना था पुलिस लोगो की मदद करने के लिए होती है... अब सयझ मे आया पिछले 6 दिनो से त्रिपुरा जल क्यो रहा है... जब कोई RSS द्वारा पुलिस में भेजा जाता है... तो उसकी मानसकिता ऐसी होती है जो बहुत ही शर्मनाक है... सशपत तो संविधान की लेते हैं... मगर काम जनसंघियों वाला होगा है... #Save_Tirpura".

Image
भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

वायरल वीडियो में एक पुलिसकर्मी ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए दिख रहा है और उसके आस पास भगवा झंडों के साथ काफ़ी लोग चल रहे हैं. 

अक्तूबर के आख़िरी सप्ताह से ही त्रिपुरा में हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा मुस्लिमों को ख़िलाफ़ प्रदर्शन और हिंसा की तमाम खबरें आ रही थीं. AFP एएफ़पी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ विश्व हिंदू परिषद की एक रैली के दौरान लगभग चार मस्जिदों में तोड़फोड़ की गई और मुस्लिमों की दुकानों और घरों को भी नुक़सान पहुँचाया गया है.  

हिंसा और प्रदर्शन की ये घटना बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू अल्पसंख्यकों के साथ हुई हिंसा की प्रतिक्रिया स्वरूप हुई है. 

वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां और यहां शेयर किया गया है. ट्विटर पर भी ये वीडियो इसी दावे के साथ यहां और यहां शेयर हुआ है. यूट्यूब पर भी ये वीडियो भ्रामक दावे के साथ यहां शेयर किया गया है.

वीडियो के कमेंट सेक्शन में यूज़र्स इसे त्रिपुरा की हालिया हिंसा का बता रहे हैं. एक यूज़र ने लिखा कि “हम साफ़ साफ़ देख सकें हैं कि पुलिस RSS के साथ काम कर रही है.”

लेकिन ये वीडियो भ्रामक दावे के साथ शेयर किया जा रहा है. 

कुछ कीवर्ड सर्च करने के बाद गूगल रिवर्स इमेज सर्च की मदद से पटना लाइव नाम के एक यूट्यूब अकाउंट में बिल्कुल यही वीडियो मिला. इस वीडियो को 30 मार्च 2018 को अपलोड किया गया है. पटना लाइव बिहार का एक लोकल मीडिया पोर्टल है.

इस वीडियो पोस्ट के कैप्शन में लिखा है: “रामनवमी के दौरान समस्तीपुर, रोसडा में एक पुलिसकर्मी का इस अवतार में एक्सक्लूसिव वीडियो देखकर आपके होश उड़ जायेंगे. अगर यक़ीन नहीं तो देख लीजिये.”

नीचे भ्रामक वीडियो (बायें) और पटना लाइव के फ़ेसबुक पेज के वीडियो (दायें) के स्क्रीनशॉट के बीच एक तुलना है.

Image
भ्रामक वीडियो (बायें) और पटना लाइव के फ़ेसबुक पेज के वीडियो (दायें) के स्क्रीनशॉट के बीच एक तुलना

इस फ़ेसबुक पोस्ट के साथ पटना लाइव की एक न्यूज़ रिपोर्ट की लिंक भी शेयर की गई है. इसमें 2018 में बिहार के समस्तीपुर में राम नवमी के दौरान हुई घटना की जानकारी थी. रिपोर्ट के मुताबिक़ ये वीडियो रामनवमी के दौरान हुई साम्प्रदायिक हिंसा के समय रिकॉर्ड किया गया था. 

ये वीडियो सोशल मीडिया पर 2018 से ही बिहार के दंगों के दावे से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. उदाहरण के लिये इसे यहां, यहां, फ़ेसबुक पर और यहां यूट्यूब पर देख सकते हैं. 

बिहार के समस्तीपुर में मार्च 2018 में हुए दंगों की कवरेज तमाम समाचार संस्थानों ने की थी जिनमे इंडिया टुडे और नवभारत टाइम्स भी शामिल है.

AFP ने पहले भी त्रिपुरा हिंसा के जोड़कर शेयर किये जा रहे एक वीडियो का फ़ैक्ट-चेक किया है. वीडियो में दो व्यक्ति एक शख़्स को धारदार हथियारों से पीट रहे थे.

Image

 

क्या कोई कंटेंट/न्यूज़/वीडियो या तस्वीर है जो आप चाहते हैं की AFP फ़ैक्ट चेक करे?

हमसे संपर्क करें