
राजीव गांधी के हमलावर को ज़िंदा गिरफ़्तार किया गया था, झूठा दावा वायरल
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 31 जनवरी 2022, 09h48
- 3 मिनट
- द्वारा एफप भारत
कॉपीराइट © एएफ़पी 2017-2025. इस कंटेंट के किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत पड़ेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
इस वीडियो को यहां 9 जनवरी को फ़ेसबुक पर शेयर किया गया था जहां इसे लगभग 25000 बार देखा जा चुका है.
वीडियो में अमरीका की समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस का प्रतीक चिह्न लगा हुआ है जिसमें सुरक्षा कर्मी एक समारोह के दौरान राजीव गांधी के स्वागत में फायरिंग करते दिख रहे हैं.
वीडियो के कैप्शन में लिखा है: "राजीव गांधी उस समय भारत के प्रधान मंत्री थे. वह राजघाट स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित करने गए थे.
"झाड़ी में कुछ हलचल हुई और उसके सुरक्षा कर्मियों को खतरा महसूस हुआ. उन्होंने तुरंत गोलीबारी शुरू कर दी और झाड़ी के पीछे वाले व्यक्ति को मार डाला. बाद में पता चला कि वह व्यक्ति एक भिखारी था जो राजघाट में सोता था."

पोस्ट में आगे आरोप लगाया गया है कि राजीव गांधी के सुरक्षा कर्मियों ने कुछ ज्यादा प्रतिक्रिया दिखाई. इसमें लिखा है: "आज कांग्रेस के नेता पूछ रहे हैं कि क्या पंजाब में मोदी के जीवन के लिए वास्तविक खतरा था. यदि नहीं, तो कांग्रेस के पीएम ने किसी ऐसे व्यक्ति को मारने का आदेश क्यों दिया जिसने कोई धमकी तक नहीं दी?"
जनवरी के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पंजाब यात्रा के दौरान कुछ प्रदर्शनकारी समूहों ने उनका रास्ता जाम कर दिया था जिसके बाद उन्हें वापस लौटना पड़ा. गृह मंत्रालय ने इसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एक बड़ी चूक बताया.
लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने इसको एक प्रचार-साधन बताया और उसकी आलोचना की.
इस वीडियो को बिल्कुल इसी दावे से यहां और यहां फेसबुक पोस्ट में भी शेयर किया गया है.
लेकिन दावा गलत है.
राजीव गांधी पर हमला
वायरल वीडियो के फ्रेम को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर एसोसिएटेड प्रेस एजेंसी के यूट्यूब चैनल पर हमें असली वीडियो मिला.
वीडियो के कैप्शन में लिखा है: "[2 अक्टूबर 1986] भारतीय प्रधान मंत्री, राजीव गांधी पर दिवंगत महात्मा गांधी की जयंती समारोह में भाग लेने के दौरान, एक सिख व्यक्ति ने झाड़ियों से छिपकर गोली चलाई. राजीव गांधी को कोई नुकसान नहीं हुआ और व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया."
भ्रामक पोस्ट (बाएं) और एसोसिएटेड प्रेस के वीडियो (दाएं) में वीडियो के स्क्रीनशॉट के बीच एक तुलना नीचे दी गई है.

2 अक्टूबर 1986 को भारत सरकार की ओर से जारी आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में भी कहा गया है कि हमलावर ने राजीव गांधी पर "गोली चलाई".
द वाशिंगटन पोस्ट और लॉस एंजिल्स टाइम्स की रिपोर्ट में भी यह कहा गया है कि हमलावर ने राजीव गांधी पर गोली चलाई थी.
हमलावर जिंदा पकड़ा गया
इसके अलावा वायरल पोस्ट में किए गए दावे के विपरीत हमलावर को जिंदा पकड़ लिया गया था. राजीव गांधी के सुरक्षाकर्मियों ने उसे मारा नहीं था.
2009 में समाचार वेबसाइट सिफी द्वारा प्रकाशित इस रिपोर्ट में हमलावर की पहचान करमजीत सिंह के रूप में की गई है. राजीव गांधी पर हमले की कोशिश के लगभग 20 सालों बाद उसका इंटरव्यू प्रकाशित किया गया था जिसमे उन्होंने साफ़ बताया कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिखों के विरुद्ध दंगों का बदला लेने के लिए उन्होंने राजीव गांधी पर गोली चलायी थी.
यहां और यहां प्रकाशित रिपोर्ट्स के मुताबिक करमजीत सिंह को 2000 में जेल से रिहा किया गया था और 2009 में उन्होंने पंजाब में स्थानीय चुनाव भी लड़ा था.
