राजनीतिक कार्यकर्ता की तस्वीर का दुष्प्रयोग कर स्कूली छात्रा मुस्कान ख़ान का बताया गया

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  • प्रकाशित 18 फरवरी 2022, 10h44
  • अपडेटेड 21 फरवरी 2022, 07h58
  • 3 मिनट
  • द्वारा एफप भारत
कर्नाटक में एक कॉलेज के अंदर छात्राओं के हिजाब पहनने पर रोक लगाने के बाद से ही लगातार बहस जारी है. पिछले दिनों कर्नाटक के एक कॉलेज के अंदर हिजाब पहनकर जा रही एक छात्रा का भीड़ ने नारेबाज़ी करते हुए पीछा किया था. कई फ़ेसबुक पोस्ट में उस छात्रा के दावे से दो तस्वीरें वायरल की जा रही हैं जिसमें से एक में वो हिजाब पहने हुए है जैसा कि उसने वायरल वीडियो में पहना है, और दूसरे में बिना हिजाब के नज़र आ रही है. हालांकि वायरल तस्वीरों में बिना हिजाब पहने लड़की की तस्वीर एक सोशल एक्टिविस्ट की है, न कि कर्नाटक के स्कूल की छात्रा की. AFP से बात करते हुए उन्होंने बताया कि उनकी तस्वीर का ग़लत प्रयोग किया गया है.

फ़ेसबुक पर 10 फ़रवरी 2022 को यहां शेयर की पोस्ट के कैप्शन में लिखा है: "जिसे भी लगता है ये दोनों अलग अलग हैं उसे चश्मा पहनना चाहिये."

इस पोस्ट की एक तस्वीर में एक लड़की मेकअप की हुई है और साथ ही जींस और हुडी पहने है जिसके साथ टेक्स्ट में लिखा है, "येहै नॉर्मल ज़िंदगी", और दूसरी तस्वीर जिसमें एक लड़की काले रंग के हिजाब में नज़र आ रही है उसके साथ टेक्स्ट में लिखा है, "ये है प्रोपेगेंडा ज़िंदगी."

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भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट ( Uzair RIZVI)

हिजाब पहनी हुई लड़की की तस्वीर एक वायरल वीडियो से ली गई है जिसे सोशल मीडिया पर काफ़ी शेयर किया गया था जब कर्नाटक के एक स्कूल में हिजाब पहनने के कारण कुछ हिंदू लड़कों ने उसका पीछा कर नारेबाज़ी की थी और जवाब में छात्रा ने "अल्लाह-हु-अकबर" के नारे लगाये थे. 

इस स्कूल में प्रशासन ने कक्षा के अंदर छात्राओं के हिजाब पहनने के पाबंदी लगा दी थी जिसके बाद देश भर में धार्मिक तनाव की स्थिति देखने को मिली.

बाद में उस लड़की की पहचान मुस्कान के रूप में हुई जिसने एनडीटीवी और द वायर को इंटरव्यू भी दिया था. 

यह तस्वीर फ़ेसबुक पर यहां, यहां और यहां इसी दावे के साथ शेयर की गई है.

हालांकि ये दावा ग़लत है. 

हिजाब के बिना जिस लड़की की तस्वीर शेयर की जा रही है वो मुस्कान की नहीं बल्कि कर्नाटक की एक सामाजिक कार्यकर्ता की है.

कुछ कीवर्ड्स के साथ तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर ये ऑरिजनल तस्वीर यहां नजमा नज़ीर की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर 13 मई 2018 को पोस्ट की गई मिली.

नीचे भ्रामक तस्वीर (बायें) और नजमा की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल की तस्वीर (दायें) के बीच एक तुलना है. 

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भ्रामक तस्वीर (बायें) और नजमा की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल की तस्वीर (दायें) के बीच एक तुलना ( Uzair RIZVI)

नज़ीर एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और एक क्षेत्रीय पार्टी जनता दल (सेकुलर) की 2020 से सदस्या भी हैं.

AFP से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी तस्वीर का ग़लत प्रयोग किया गया है. “वे लोग मेरी तस्वीर इसलिये शेयर कर रहे हैं क्योंकि मैं संविधान के अधिकारों के लिये लड़ती हूँ और वो मेरे ख़िलाफ़ हैं.”

नीचे नजमा नज़ीर की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से एक अन्य तस्वीर (बायें) और भ्रामक पोस्ट में शेयर की जा रही तस्वीर (दायें) दी गई है.

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नजमा नज़ीर की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल से एक अन्य तस्वीर (बायें) और भ्रामक पोस्ट में शेयर की जा रही तस्वीर (दायें) ( Uzair RIZVI)
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( Uzair RIZVI)

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