गोवर्धन परिक्रमा मार्ग से मज़ार हटाने की ये तस्वीरें 2018 की हैं, न कि चुनाव के बाद की
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- प्रकाशित 25 अप्रैल 2022, 02h23
- 3 मिनट
- द्वारा एफप भारत
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मजार की वास्तविक और तोड़े जाने के बाद की तस्वीरों को यहां फ़ेसबुक पर 4 अप्रैल, 2022 को पोस्ट किया गया है जहां इसे अब तक 5,500 बार से ज्यादा शेयर किया जा चुका है.
पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, "गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में अवैध रूप से अतिक्रमण कर बनीं मजारों पर जेसीबी चला कर साफ किया जा रहा है, यह काम करने की क्षमता केवल योगी बाबा में ही है."
तस्वीरों को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और ट्विटर पर यहां, यहां इसी दावे से शेयर किया गया है.
हालांकि दावा भ्रामक है.
गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें बिल्कुल यही तस्वीरें फ़ेसबुक पर यहां और ट्विटर पर यहां नवंबर 2018 में पोस्ट की हुई मिली.
नीचे भ्रामक पोस्ट की तस्वीरों (बाएं) और 2018 की फ़ेसबुक पोस्ट की तस्वीरों (दाएं) के बीच एक तुलना है.
पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, "गोवर्धन परिक्रमा मार्ग में बनी सभी अवैध मजारों को आज हटा दिया गया. यह बात दिमाग में रखो कि ये सभी अवैध निर्माण पिछली सरकारों में हुआ है. योगी बाबा के राज में अवैध गतिविधि के लिए कोई जगह नहीं है."
फ़ेसबुक में 2018 में शेयर की गई इन स्वीरों में से एक तस्वीर में एक साइनबोर्ड दिखा जिसमें लिखा था 'कान्हा भोजनालय'. हमने तस्वीर में दिए गए फ़ोन नंबर में संपर्क किया तो भोजनालय के मालिक मदन कुमार ने AFP को बताया कि अवैध निर्माण को हटाने का ये अभियान 2018 में हुआ था.
उन्होंने AFP से कहा, "ये मज़ार राधाकुंड में मेरे होटल के बिल्कुल सामने थी. छटीकरा रोड में जिस जगह ये मज़ार थी उसे 2018 में हटाया गया था. अभी हाल फिलहाल में ऐसी कोई भी मज़ार यहां से नहीं हटाई गई है."
गूगल कीवर्ड सर्च करने पर हमें कई रिपोर्ट्स मिलीं जिनमें नवंबर 2018 में गोवर्धन परिक्रमा मार्ग से अवैध निर्माण हटाने के संबंध में जानकारी दी गई थी.
दैनिक जागरण की 12 नवंबर, 2018 की एक रिपोर्ट में लिखा है: "पुलिस जब परिक्रमा मार्ग पर स्थित अवैध कब्रों, मजारों और मंदिरों को हटा रही थी तब स्थानीय लोगों ने भारी विरोध किया. पुलिस ने राधाकुंड में सड़क के बीच में स्थित एक अवैध मजार को भी हटा दिया जिससे लोगों में आक्रोश है."
स्थानीय न्यूज वेबसाइट नियो न्यूज, अमर उजाला और इन खबर ने भी नवंबर 2018 में अवैध निर्माण के खिलाफ़ प्रशासनिक कार्रवाई पर रिपोर्ट प्रकाशित की है.
नियो न्यूज़ के संपादक गोल्डी श्रीवास्तव ने AFP को बताया कि, "2018 में राधाकुंड इलाके में जो अवैध निर्माण हटाया गया था मैंने खुद उसकी ग्राउंड रिपोर्ट की थी. वो पुराना है लेकिन लोग अब उसे गलत दावे के साथ शेयर कर रहे हैं."
वृंदावन पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर जितेंद्र कुमार द्विवेदी ने AFP को बताया कि जो तस्वीरें शेयर की जा रही हैं वो पुरानी हैं.
उन्होंने AFP को बताया कि, "हमने 2018 में ये अवैध निर्माण तब हटाया था जब कोर्ट ने ये आदेश दिया था. कोर्ट ने अपने आदेश में संपूर्ण परिक्रमा को 'नो कंस्ट्रक्शन जोन' घोषित किया था."