न्यूयॉर्क टाइम्स ने दिल्ली के सरकारी स्कूल पर लिखे आर्टिकल में गलत तस्वीर छापने की बात से इंकार किया
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 29 अगस्त 2022, 12h31
- 4 मिनट
- द्वारा Anuradha PRASAD, एफप भारत
फ़ेसबुक पर 21 अगस्त को किये गए इस पोस्ट में लिखा गया, “झूठ और चोरी के सौदागर...को लाज़ ना आई न्यू यॉर्क टाइम्स और ख़लीज़ टाइम्स में पैसे देकर ख़बर तो छपवा ली, पर झूठ और चोरी की आदत नहीं गयी ये फ़ोटो दिल्ली के सरकारी स्कूल की नहीं बल्कि मयूर विहार के मदर मैरी स्कूल के बच्चों की हैं केजरीवाल और सिसोदिया देश में भी झूठ बेच रहे हैं और विदेश में भी.”
इस पोस्ट में पांच तस्वीरें भी हैं और इसे अब तक 100 से ज़्यादा बार शेयर किया जा चुका है. न्यू यॉर्क टाइम्स ने 18 अगस्त, 2022 को अंतर्राष्ट्रीय संस्करण में फ्रंट पेज स्टोरी में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में किये गए बेहतरीन काम पर रिपोर्ट छापी थी. पोस्ट में उसी का एक स्क्रीनशॉट है.
आर्टिकल की अंग्रेज़ी हैडलाइन का हिंदी अनुवाद है, “साफ़ शौचालय, प्रेरित शिक्षक: कैसे भारत की राजधानी स्कूलों में सुधार कर रही है.” आर्टिकल में पिछले कुछ वर्षों में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने पर बात की गयी है जिसके बाद से लोगों ने प्राइवेट का बजाय सरकारी स्कूल की तरफ़ रुख करना शुरू कर दिया है.
यही आर्टिकल दुबई के खलीज टाइम्स ने 19 अगस्त, 2022 को पुनःप्रकाशित किया.
इसी पोस्ट की एक अन्य तस्वीर में कतार में कुछ छात्राएं हैं जिनमें से कुछ पर हरे रंग का घेरा लगाया देखा जा सकता है. उनके पीछे एक स्कूल का बैनर है जिसपर लिखा है -- “Mother Mary's School.” मदर मैरी स्कूल दिल्ली के मयूर विहार में स्थित एक प्राइवेट गर्ल्स स्कूल है.
दावे के मुताबिक अख़बार ने इसी प्राइवेट स्कूल की वेबसाइट की तस्वीर छापते हुए सरकारी स्कूलों पर किये गए काम को दिखाया है.
तीसरी तस्वीर भी अख़बार के किसी पेज की है जिसमें छात्राओं की तस्वीर पर हरा गोला लगाया गया है. चौथी और पांचवीं तस्वीर दिल्ली के डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की है जिनमें उन्होंने न्यू यॉर्क टाइम्स का संस्करण पकड़ा हुआ है.
ये तस्वीरें इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, और ट्विटर पर यहां, यहां और यहां शेयर की गयीं.
हालांकि ये दावे ग़लत हैं.
स्कूल यूनिफ़ॉर्म
अख़बार में छपी तस्वीर में छात्राओं की यूनिफ़ॉर्म को ध्यान से देखने पर मालूम होता है कि ये दिल्ली के सरकारी स्कूल ककरोला सर्वोदय विद्यालय की ही है.
न्यू यॉर्क टाइम्स की प्रवक्ता निकोल टेलर ने AFP को बताया, “अगर आप तस्वीर को ज़ूम करें, इसमें सर्वोदय विद्यालय का लोगो साफ़-साफ़ देखा जा सकता है, जिसके बारे में हमने लिखा है, न कि किसी और का.”
ककरोला सर्वोदय विद्यालय की तस्वीर में छात्राओं की यूनिफ़ॉर्म में कॉलर हल्के बैंगनी रंग का है. वहीं मदर मैरी स्कूल की छात्राओं की यूनिफ़ॉर्म में गाढ़े बैंगनी रंग का कॉलर है.
नीचे न्यू यॉर्क टाइम्स की फ़्रंट-पेज स्टोरी में छपी तस्वीर (बाएं) और मदर मैरी स्कूल की छात्राओं की तस्वीर (दाएं) के बीच तुलना देख सकते हैं.
ककरोला सर्वोदय विद्यालय के हेड अजय कुमार ने AFP को बताया कि न्यू यॉर्क टाइम्स और खलीज टाइम्स द्वारा छापी गयीं तस्वीरें उन्हीं के स्कूल की हैं.
उन्होंने कहा, “हां, न्यू यॉर्क टाइम्स की संवाददाता सौम्या टंडन ने हमारे स्कूल की तस्वीरें ली थीं. मिड-डे मील और हाथ धोते बच्चों की तस्वीरें (खलीज टाइम्स में छपी) भी हमारे ही स्कूल की हैं.”
नीचे खलीज टाइम्स की तस्वीर (बाएं) और मदर मैरी स्कूल के छात्राओं की तस्वीर (दाएं) के बीच तुलना देखी जा सकती है:
‘विज्ञापन नहीं ग्राउंड रिपोर्ट’
निकोल टेलर ने 18 अगस्त को छापी गयी इस रिपोर्ट को ग्राउंड रिपोर्ट बताते हुए कहा कि अख़बार ने किसी का पक्ष नहीं लिया है और न ही किसी से इसकी कीमत ली है.
उन्होंने कहा, “न्यू यॉर्क टाइम्स की पत्रकारिता हमेशा स्वतंत्र और राजनैतिक या विज्ञापन करने वालों के प्रभाव से दूर रही है. अन्य आउटलेट्स नियमित तौर से हमारे कवरेज को खरीदते और पुनःप्रकाशित करते हैं.”