ज़हरीले कीड़े के काटने से हो रही है लोगों की मौत?
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- प्रकाशित 3 अक्टूबर 2022, 14h41
- 3 मिनट
- द्वारा Anuradha PRASAD, एफप भारत
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ये तसवीरें फ़ेसबुक पर 19 सितम्बर, 2022 को यहां शेयर की गयीं.
पहली दो तस्वीर में हरे रंग के कीड़े नज़र आ रहे हैं और अन्य दो तस्वीरों में एक बच्चा और एक व्यक्ति देखे जा सकते हैं.
पोस्ट के साथ कैप्शन में कहा गया है, “खेतों के अंदर ऐसा जनावर भी आ चुका है किसी को डंक मारती तुरंत मौत हो जाती है.”
तस्वीरों के साथ ये दावा फ़ेसबुक पर यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां भी किया गया.
आपको बता दें ये दावा ग़लत है.
बिजली गिरने से मौत
वायरल पोस्ट की एक तस्वीर का रिवर्स सर्च करने पर हमें टीम AZN नाम के यूट्यूब चैनल का एक वीडियो मिला जिसे 17 सितम्बर, 2022 को अपलोड किया गया था. इसमें एक व्यक्ति वायरल दावे को भ्रामक बताते हुए इस बात की तरफ़ इशारा कर रहा है कि तस्वीर में दिख रहे लोगों की मौत कर्नाटक, महाराष्ट्र या तेलंगाना में बिजली गिरने से हुई है.
इस चैनल पर और भी कई वीडियो में प्रकृति और जीवों से जुड़े अन्य भ्रामक दावों का खंडन किया गया है. जैसे इस वीडियो बताया जा रहा है कि लोग मिलिपीड्स कीड़े को ज़हरीला समझते हैं लेकिन वास्तव में खेतों में रहने वाला ये कीड़ा हानिकारक नहीं है.
इससे हिंट लेते हुए यूट्यूब पर कीवर्ड सर्च करने पर हमें मराठी चैनल आधार न्यूज़ की 9 सितम्बर, 2022 की एक वीडियो रिपोर्ट मिली. मराठी में लिखे वीडियो के टाइटल का हिंदी अनुवाद है “चालीसगांव में बिजली गिरने से पिता-पुत्र की मौत.”
चालीसगांव महाराष्ट्र के जलगांव ज़िले में स्थित शहर है.
रिपोर्ट के मुताबिक 9 सितम्बर को 45 वर्षीय किसान और उसके 14 वर्षीय बेटे की खेत में बिजली गिरने से मौत हो गयी थी. मृतक बिजली कड़कने के बाद पेड़ के नीचे खड़े हो गए थे जिसके बाद ये हादसा हुआ.
आधार न्यूज़ के मुताबिक इस घटना में मृतक किसान की पत्नी बाल-बाल बच गई.
न्यूज़ रिपोर्ट में दिखाई गयी तस्वीरें वायरल तस्वीरों से हूबहू मिलती हैं:
इस घटना के बारे में एक अन्य स्थानीय चैनल CNI महाराष्ट्र ने भी यहां रिपोर्ट किया है.
कप मॉथ लार्वा
भारतीय कृषि अनुसन्धान संस्थान के कीटविज्ञानी डॉक्टर शशांक ने AFP को बताया कि कीड़े की दोनों वायरल तस्वीरें लिमाकोडिडी (Limacodidae) लार्वा की हैं जिन्हें आमतौर पर कप मॉथ कैटरपिलर (इल्ली) के नाम से जाना जाता है.
उन्होंने कहा, “अभी तक इनसे इंसानों के मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है… लार्वा के शरीर के रेशे छू जाने से सामान्यतः जलन, दर्द और दाने हो जाते हैं.”
उन्होंने आगे बताया कि इसके प्रभाव 15 मिनट से लेकर घंटों तक - व्यक्ति दर व्यक्ति - अलग हो सकते हैं.