हिजाब विरोधी प्रदर्शन का ये वीडियो नेदरलैंड्स से है
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 26 अक्टूबर 2022, 14h59
- 4 मिनट
- द्वारा Uzair RIZVI, एफप भारत
- अनुवाद और अनुकूलन Devesh MISHRA
इस वीडियो क्लिप को 6 अक्टूबर, 2022 को शेयर किया गया और इसमें एक अर्धनग्न महिला को एक रैली संबोधित करते हुए दिखाया गया है. रैली में भीड़ को ईरान के शाह के सत्तारूढ़ रहने के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले पुराने फ़ारसी झंडों और एक कुर्द झंडे (जिसे उल्टा पकड़ा गया है) के साथ देखा जा सकता है.
पोस्ट के कैप्शन में लिखा है: "हिजाब विरोधी प्रदर्शन अब ईरान में एक अर्धनग्न विरोध तक बढ़ गया है ... हिजाब हटाने से लेकर हिजाब फेंकने तक, हिजाब जलाने से लेकर हिजाब से जूते साफ करने तक."
ईरान में नैतिकता पुलिस द्वारा 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला महसा अमिनी को कथित तौर पर हिजाब पहनने के नियमों का उल्लंघन करने के लिए हिरासत में लिया था जिसके बाद 16 सितंबर को उसे पुलिस हिरासत में ही मृत घोषित कर दिया गया था.
ईरान में लगभग पिछले तीन सालों में कई युवा महिलाओं, विश्वविद्यालय के छात्रों और यहां तक कि स्कूली छात्राओं ने अपने हिजाब उतार दिए, अपने बाल काट दिए और विरोध प्रदर्शन करते हुए सुरक्षा बलों का सामना किया है.
एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में विरोध प्रदर्शनों में कम से कम 122 लोग मारे गए हैं.
वीडियो क्लिप को फ़ेसबुक पर यहां, यहां और ट्विटर पर यहां शेयर किया गया है, जहां इसे 9,000 से अधिक बार देखा गया था.
हालांकि यह दावा गलत है.
एम्स्टर्डम में विरोध प्रदर्शन
वीडियो के कीफ़्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें नीदरलैंड स्थित फ़ारसी भाषा की रेडियो समाचार सेवा ज़मानेह के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर 1 अक्टूबर, 2022 को यहां प्रकाशित ऑरिजनल वीडियो मिला.
फ़ारसी में लिखे इस ट्वीट में भीड़ को संबोधित कर रही उस महिला प्रदर्शनकारी की पहचान ईरानी एक्टिविस्ट नीलोफ़र फ़ौलादी के रूप में की गई है और यह भी लिखा है कि उसने नीदरलैंड्स के एम्स्टर्डम में 1 अक्टूबर, 2022 को "जबरन हिजाब, और महसा अमिनी की हत्या” के विरोध में आयोजित रैली में भाग लिया था.
रेडियो ज़मानेह के अनुसार एक अन्य हिजाब विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने के कारण 2018 में गिरफ़्तार होने के बाद फ़ौलादी ने ईरान छोड़ दिया था.
नीचे भ्रामक पोस्ट के वीडियो (बाएं) और रेडियो ज़मानेह के ट्वीट (दाएं) की तुलना का स्क्रीनशॉट दिया गया है:
रेडियो ज़मानेह द्वारा शेयर की गई वीडियो क्लिप में प्रोटेस्ट की जगह में पीछे एक इमारत के बाहर "मैडम तुसाद" लिखा हुआ एक बोर्ड दिखाई दे रहा है. मैडम तुसाद वैक्सवर्क संग्रहालयों की एक श्रृंखला है जो प्रसिद्ध हस्तियों के मोम से बने पुतलों को प्रदर्शित करने के लिए जाना जाता है.
AFP ने बोर्ड के संकेत का उपयोग करते हुए जियोलोकेशन की मदद से पाया कि ये क्लिप एम्स्टर्डम के डैम स्क्वायर में रिकॉर्ड की गई है.
एम्स्टर्डम में मैडम तुसाद संग्रहालय के बोर्ड की विरोध प्रदर्शन की क्लिप में दिख रही तस्वीर (बाएं) और उसी स्थान पर देखी गई एक गूगल स्ट्रीट व्यू तस्वीर (दाएं) की स्क्रीनशॉट तुलना नीचे दी गई है:
वॉयस ऑफ अमेरिका (VOA) की फ़ारसी सेवा ने भी एम्स्टर्डम में इसी विरोध प्रदर्शन की एक क्लिप पोस्ट की है जिसे एक अलग एंगल से शूट किया गया है. VOA के ट्वीट में लिखा है कि यह विरोध प्रदर्शन एम्स्टर्डम में हुआ था.
रेडियो ज़मानेह ने फ़ौलादी का एक वीडियो भी पोस्ट किया है जिसमें उन्होंने डच राजधानी में अपने विरोध के बारे में बात की है.
उन्होंने कहा, "एम्स्टर्डम की रैली में मैंने जो किया वह एक तरह का विरोध प्रदर्शन था जैसे सिर पर स्कार्फ़ जलाना या बाल काटना और इसका यह बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि सभी महिलाओं को नग्न हो जाना चाहिये."
एएफ़पी ने पहले भी ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शनों से जुड़े गलत दावों को यहां, यहां और यहां खारिज किया है.