2020 दिल्ली दंगों का वीडियो गलत दावे के साथ कश्मीर से जोड़कर वायरल

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  • प्रकाशित 21 दिसंबर 2022, 13h03
  • 2 मिनट
  • द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया जा रहा है कि यह कश्मीर में भारतीय सैनिकों द्वारा भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाने के लिए कई मुस्लिम युवकों को पीटते हुए दिखाता है. वास्तव में यह वीडियो नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ 2020 में दिल्ली में हुए प्रदर्शन में कुछ युवकों की पुलिस द्वारा पिटाई के बारे में स्थानीय मीडिया रिपोर्टों में शेयर किया गया था.

ट्विटर पर 9 दिसंबर, 2022 को शेयर किए गए वीडियो के कैप्शन में लिखा है, "राजस्थान से कई मुसलमान लड़के कश्मीर घूमने गये. वहां जोर शोर से "पाकिस्तान जिंदाबाद" और भारत को हिंदू राष्ट्र नहीं बनने देंगे के नारे लगाने लगे. नारा लगाने वाले लफंगेे देशद्रोहियों को भारतीय सैनिकों ने ऐसे ठोका कि उनकी आवाज़ जैसे बंद ही हो गई हो . जय हिंद.. वंदे मातरम्."

वीडियो को अब तक 400 से अधिक बार देखा जा चुका है.

इसमें पांच व्यक्ति ज़मीन पर घायल अवस्था में पड़े दिख रहे हैं जिनमें से कुछ भारतीय राष्ट्रगान गा रहे हैं. साथ ही वर्दी में कई अन्य सिपाही उनके आसपास खड़े दिख रहे हैं जो उन्हें लाठियों से मार रहे हैं. वे उन लोगों को राष्ट्रगान गाने का आदेश देते हुए कहते हेैं कि न सुनाने पर उन्हें पीटा जायेगा.

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गलत दावे से शेयर किये जा रहे ट्वीट का स्क्रीनशॉट, 20 दिसंबर, 2022

वीडियो को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और ट्विटर पर यहां शेयर किया गया है.

हालांकि यह दावा गलत है.

2020 का वीडियो

गूगल पर कीवर्ड सर्च करने पर बिल्कुल ऐसा ही वीडियो हमें 29 फ़रवरी, 2020 को टाइम्स ऑफ़ इंडिया अखबार की सब्सक्रिप्शन सेवा TOI Plus के वेरीफ़ाइड ट्विटर अकाउंट पर मिला.

ट्वीट के कैप्शन में इंग्लिश में लिखा है, "#DelhiRiots2020: खून से लथपथ जिस युवक को कथित तौर पर दिल्ली पुलिस द्वारा राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया गया, उसकी मृत्यु हो गयी.”

यह वीडियो नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देश भर के कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान दिल्ली में लिया गया था.

नीचे गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट के वीडियो (बाएं) और TOI Plus के ट्विटर अकाउंट पर अपलोड किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है:

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वीडियो पर लिखे टेक्स्ट के अनुसार इसमें दिख रहे पांच लोगों में से एक की मौत हो गई थी. इस घटना को अन्य मीडिया वेबसाइट्स ने भी यहां और यहां रिपोर्ट किया था.

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस हिरासत से रिहा होने के बाद 26 फ़रवरी, 2020 को उस व्यक्ति की मौत हो गई.

जनवरी 2022 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़ित की मां द्वारा अदालत में याचिका दायर करने के बाद दिल्ली की एक अदालत ने पुलिस को इसमें शामिल अधिकारियों की पहचान करने का आदेश दिया था.

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