दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी कैंपस की दीवारों पर 1 दिसंबर को ब्राह्मण-बनिया विरोधी नारे लिखे गए. ( AFP / KIRILL KUDRYAVTSEV)

जेएनयू की दीवारों पर लिखे ब्राह्मण-विरोधी नारों से जोड़कर इस तस्वीर के साथ किया दावा गलत है

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 26 दिसंबर 2022, 13h41
  • 4 मिनट
  • द्वारा Sumit DUBEY, एफप भारत
तीन घायल युवाओं की तस्वीरों का एक सेट सोशल मीडिया पर इस गलत दावे के साथ वायरल है कि उन्होंने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की दीवारों पर ब्राह्मण समुदाय के खिलाफ़ नारे लिखे थे जिसकी वजह से जनता ने उन्हें मारा है. हालांकि ये दावा गलत है; तस्वीर में दिख रहे तीनों युवा तब घायल हो गए थे जब दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक पूर्व प्रोफ़ेसर की रिहाई के लिए निकाली गयी रैली में उनपर कथित हमला हुआ था.
चेतवानी: तस्वीरें परेशान कर देने वाली हैं.

फ़ेसबुक पर दिसंबर 7 को शेयर की गयी इस तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा गया, "#JNU की दीवार पर इन तीनों वामपंथी ने लिखा ब्राह्मण तुम भारत छोड़ो फिर इन तीनों को बड़े प्यार से दी गई फुल बॉडी मसाज."

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) कैंपस की कई इमारतों पर दिसंबर 1 को ब्राह्मण विरोधी नारें लिख दिए गए थे. सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें भी काफ़ी शेयर की गयीं. न्यूज़ रिपोर्ट्स के हवाले से बताया गया कि स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज- II भवन की दीवारों पर ब्राह्मण और बनिया समुदायों के खिलाफ़ आपत्तिजनक नारें लिखे गए थे.

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गलत दाव के साथ शेयर किये गए फ़ेसबुक पोस्ट का दिसंबर 9, 2022 को लिया गया स्क्रीनशॉट

फ़ेसबुक पर ये तस्वीर काफ़ी शेयर हुई. कुछ पोस्ट्स आप यहाँ, यहाँ और यहाँ देख सकते हैं.

आपको बता दें, ये दावे फ़र्ज़ी हैं.

दिल्ली यूनिवर्सिटी प्रदर्शन

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें यही तस्वीर LiveWire में छपी एक रिपोर्ट में मिली जिसके अनुसार तस्वीर दिल्ली यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफ़ेसर जी.एन. साईबाबा की रिहाई के लिए हो रहे एक प्रदर्शन से जुड़ी है.

LiveWire में दिसंबर 2 को पब्लिश हुई आर्टिकल का शीर्षक है, "दिल्ली: जी.एन. साईबाबा की रिहाई के लिए कैंपेन कर रहे छात्रों, एक्टिविस्ट्स पर ABVP कार्यकर्ताओं का कथित हमला".

तस्वीर में दिख रहे युवा कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन (Campaign Against State Repression) नामक ग्रुप द्वारा साईबाबा की रिहाई के लिए किये जा रहे प्रदर्शन का हिस्सा थे. साईबाबा को वर्ष 2014 में उनके कथित नक्सली कनेक्शन के चलते गिरफ़्तार किया गया था, LiveWire की रिपोर्ट में आगे बताया गया है.

प्रदर्शनकारियों के हवाले से बताया गया है कि उनपर हमला अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने किया था.

कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन ने यही तस्वीर अपने फ़ेसबुक पेज पर भी शेयर किया है. एक लम्बे कैप्शन के ज़रिये इसमें बताया गया है कि एक रैली के दौरान एबीवीपी के सदस्यों ने प्रदर्शनकारियों पर दिल्ली यूनिवर्सिटी के समीप दिसंबर 1 को हमला किया.

"शाम करीब चार बजे हम 15 लोग मौरिस नगर पुलिस स्टेशन के पास कैंपेन कर रहे थे. एक व्यक्ति, जिसे हमने पैम्फलेट दिया था, ने हमसे अभद्रता की और पैम्फलेट भी फाड़ दिया," कैप्शन में लिखा है.

"कुछ ही देर में एबीवीपी के कार्यकर्ता तीन कार में सवार होकर आये," पोस्ट में आगे लिखा है "उन्होने हम पर पत्थर और टमाटर फ़ेंकना शुरू किया. जब हम पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट के पास पहुंचे, उन लोगों ने हम पर बेल्ट, रॉड और लाठियों से हमला किया. "

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कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन के फ़ेसबुक पोस्ट का 21 दिसंबर 2022 को लिया गया स्क्रीनशॉट

तस्वीर में दिख रहे लोगों में से दो से AFP ने बात की. उन्होंने अपनी पहचान दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स अरहान (बिल्कुल बाएं) और लक्षिता (बिल्कुल दाएं) के तौर पर की. इन दोनों ने अपनी पहचान सिर्फ़ अपने पहले नाम से की.

दोनों ने हमें बताया कि उनकी तस्वीर से जोड़ कर किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी है.

उन दोनों ने AFP को बताया कि दिल्ली के मौरिस नगर पुलिस स्टेशन के समीप कैम्पैनिंग के दौरान उन पर हमला किया गया. अरहान ने AFP के साथ FIR की तस्वीर भी शेयर की.

मौरिस नगर पुलिस स्टेशन से एक पुलिसकर्मी ने AFP को बताया कि मामले की तहकीकात अभी जारी है.

तस्वीर में दिख रहे तीसरे शख्स से AFP की बात नहीं हो पायी.

JNU ग्रैफ़िटी

दिसंबर 1 को जारी एक स्टेटमेंट में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी ने कैंपस में घटित इस घटना की निंदा की है.

स्टेटमेंट में कहा गया कि एडमिनिस्ट्रेशन कैंपस में हुए इस तरह की अलगाववादी हरकतों की निंदा करता है. ऐसी घटनाएं बर्दाश्त नहीं की जाएंगी क्यूंकि जेएनयू सबका है.

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