
मेक्सिको के एक माडर्न आर्टवर्क की तस्वीर गलत दावे से भारत की बताकर वायरल
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 3 फरवरी 2023, 08h45
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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फ़ेसबुक पर 25 जनवरी, 2023 को लगभग 100 से अधिक बार शेयर की गई पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “मात्र 70 साल की शिक्षा ने भारत के वर्तमान युवाओं को कितना कुंठित बना दिया!!! 1400 साल पहले पल्लव राजा नरसिंह द्वारा निर्मित लालगिरी मंदिर में एक कम्प्यूटर तथा कीबोर्ड के साथ बिजली का तार और ये सब पत्थर की दीवार पर बनाई गई हैं, यह कैसे हो सकता है..? जबकि ये कहा जाता है कि तब धरती पर आधुनिक बिजली भी नहीं थी, धरती पर आधुनिक तकनीकी यंत्र भी नहीं थे, जबकि प्रमाण हमारे मंदिरों की दीवारों पर है लेकिन हम मन्दिर जाते हीं नहीं है.”
पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर में कंप्यूटर चलाते हुए पारंपरिक कपड़ों में एक व्यक्ति की नक्काशीदार तस्वीर दिखाई दे रही है.
पल्लव वंश ने दक्षिण भारत के एक बड़े भूभाग पर चौथी शताब्दी के प्रारंभ से लेकर 9वीं शताब्दी के अंत तक शासन किया था, नरसिंह - जिन्हें नरसिंहवर्मन प्रथम भी कहा जाता है - इस वंश के राजाओं में से एक हैं.

इसी तरह के गलत दावे के साथ इस तस्वीर को ट्विटर ,और फ़ेसबुक पर यहां और यहां भी शेयर किया गया है.
हालांकि यह तस्वीर वास्तव में 25 साल पहले मेक्सिको स्थित एक इलस्ट्रेटर द्वारा बनाई गई एक कलाकृति की है.
यांडेक्स पर कुछ कीवर्ड्स के साथ एक रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें अमेरिका की एक साप्ताहिक पत्रिका Strange Horizons द्वारा 9 अक्टूबर, 2006 को प्रकाशित ये तस्वीर मिली.
इस आर्टिकल में आर्टवर्क का क्रेडिट मेक्सिको स्थित चित्रकार राउल क्रूज़ को दिया गया है.
आर्टिकल में लिखा है, "एज़्टेक और मायन कला से प्रेरित राउल की कलाकृति पारंपरिक तत्वों को विज्ञान कथा और फ़न्तासी विषयों के साथ मिलाती है.”
नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर (बाएं) और Strange Horizons द्वारा प्रकाशित तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है:

आगे और की-वर्ड सर्च करने पर आर्ट प्लैटफ़ॉर्म ArtStation पर बिल्कुल ऐसी ही तस्वीर मिली जिसका शीर्षक "मेमोरी ऑफ़ द फ़्यूचर" है.
आर्टस्टेशन पर क्रूज़ के बारे में लिखा है: " एक भविष्यवादी सौंदर्यशास्त्र और मेसो-अमेरिकन कला के साथ विज्ञान की कहानियों ने सीधे तौर पर उनके काम को प्रभावित किया, वे अतीत और वर्तमान को एक अप्रत्याशित भविष्य के साथ मिलाकर नई रचना बनाते हैं."
इस कलाकृति की संबंधित तस्वीरें क्रूज़ के इंस्टाग्राम पर भी 5 सितंबर, 2018 को पोस्ट की गई हैं और "कॉसमॉस लैटिनोस: एन एंथोलॉजी ऑफ़ साइंस फ़िक्शन फ़्रॉम लैटिन अमेरिका एंड स्पेन" पुस्तक के कवर पर देखी जा सकती हैं.
क्रूज़ ने एएफ़पी को बताया कि उनकी कलाकृति को भारतीय मंदिर से जोड़ने का दावा बिल्कुल गलत है.
उन्होंने कहा, "वह तस्वीर मेरे एक कृति की है जो मैंने 25 साल पहले बनाई थी, पहले पेंसिल के साथ, फिर रेजिन और ऐक्रेलिक के साथ इसे पूरा किया."
"इसका भारत से कोई लेना-देना नहीं है, यह सिर्फ़ एक फ़न्तासी कार्य है जैसा मैंने कई सालों से किया है, मेरे देश की मायन और एज़्टेक संस्कृतियों के साथ फ़न्तासी और विज्ञान कथा का संयोजन है इस तस्वीर में."
