बैगा आदिवासियों द्वारा बनाई गई माला पहनाते भूपेश बघेल का वीडियो गलत दावे से वायरल
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 9 मार्च 2023, 13h43
- 4 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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वीडियो को ट्विटर पर यहां 25 फ़रवरी 2023 को शेयर किया गया था जहां इसे 5400 से भी अधिक बार देखा जा चुका है.
वीडियो में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक माला पहनाकर कांग्रेस नेताओं का स्वागत करते हुए देखा जा सकता है.
वीडियो के साथ कैप्शन है; “लगता है छत्तीसगढ़ में आलू से सोना बहुत ज़्यादा बन गया है इसलिए हमारे मुख्यमंत्री महोदय ने सभी अतिथियों का स्वागत सोने की चैन पहना कर किया। परम्परागत तो टीका लगा कर हाथ जोड़ कर फुल से स्वागत होता है.”
यह दावा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में 24 फ़रवरी से 26 फ़रवरी के बीच आयोजित कांग्रेस पार्टी के 85वें प्लेनरी सेशन के दौरान शेयर किया गया था.
लगभग एक मिनट 30 सेकंड का यही वीडियो इसी तरह के दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां, यहां और ट्विटर पर यहां शेयर किया गया.
आपको बता दें कि वीडियो में बघेल कांग्रेस नेताओं को सोने की मालाएं नहीं भेंट कर रहे हैं.
बैगा आदिवासियों की माला
न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने 28 फ़रवरी को अपने एक आर्टिकल में इस गलत दावे के बारे में विस्तार से लिखा, जिसमें बताया गया कि बघेल द्वारा कांग्रेस नेताओं को दी गई माला कवर्धा जिले में बैगा जनजाति द्वारा तैयार की गई एक स्थानीय उत्पाद थी जो कि सोने से नहीं बनी थी.
अन्य फ़ैक्ट-चेक संगठनों ने भी इस दावे की पड़ताल यहां, यहां और यहां की है.
बघेल ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी गलत दावे से जुड़ा एक वीडियो पोस्ट किया है.
मुख्यमंत्री द्वारा शेयर किये गए वीडियो में बैगा जनजाति की एक आदिवासी महिला को माला बनाते हुए दिखाया गया है, जबकि जनजाति के ही एक अन्य सदस्य - बैगा समुदाय के राज्य प्रमुख इतवारी राम मछिया बैगा - माला बनाने की पूरी प्रक्रिया की व्याख्या करते देखे जा सकते हैं.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के मीडिया प्रवक्ता विनयशील ने एएफ़पी के साथ बघेल द्वारा भेंट की गई माला की तस्वीरें शेयर कीं.
नीचे गलत दावे के ट्वीट में शेयर किये गए वीडियो में दिख रही माला (बाएं) की तुलना एएफ़पी के साथ शेयर की गई माला की तस्वीर (दाएं) से की गई है:
दो दशकों से अधिक समय तक छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बैगा जनजाति के साथ काम करने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता नरेश बिस्वास ने एएफ़पी को बताया कि यह माला बैगा जनजाति के लोगों द्वारा बनाई जाती है और उन्हें "बीरन" कहा जाता है.
उन्होंने कहा, "बैगा समुदाय के लोग इस विशेष माला को मुआ नामक घास से बनाते हैं."
"कभी-कभी वे इसे थोड़ा सुनहरा रंग देने के लिए हल्दी का भी उपयोग करते हैं. बैगा जनजातियां इस माला को पारंपरिक नृत्य या त्योहारों पर पहनती हैं.”
बाद में गूगल पर की-वर्ड्स सर्च करने पर हमें इंडियन नेशनल ट्रस्ट फ़ॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की वेबसाइट पर यहां और यहां "बीरन-माला" की और तस्वीरें मिलीं.
नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर किये गए वीडियो में दिख रही माला (बाएं) और INTACH वेबसाइट पर बैगा-निर्मित माला की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की एक तुलना है:
एएफ़पी के मेल के जवाब में ट्रस्ट के सांस्कृतिक विरासत प्रभाग के मानस अविजीत ने अनुभव दास की पुस्तक "बैगा ऑफ़ द बैगा चक" का एक हिस्सा भेजा, जिसे INTACH द्वारा प्रकाशित किया गया था.
किताब में कहा गया है कि बैगा महिलाएं आमतौर पर अंगूठियां, चूड़ियां, बाजूबंद और "बीरन माला (मुआ के पौधे से बनी)" पहनती हैं.
आगे लिखा है: "बीरन माला का उपयोग बैगा आदिवासियों द्वारा मेहमानों के स्वागत के लिए भी किया जाता है. जब लोग किसी गांव में पहुंचते हैं तो उनका पारंपरिक तरीके से एक बीरन माला के साथ हाथ जोड़कर स्वागत किया जाता है”.
गूगल पर की-वर्ड्स सर्च करने पर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेताओं के अधिवेशन के दौरान बधाई देने वाला एक ऐसा ही वीडियो मिला, जिसे 24 फ़रवरी को इंडियन एक्सप्रेस अखबार के वेरिफ़ाइड यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था.
वीडियो की हेडलाइन में लिखा है "छत्तीसगढ़: सीएम भूपेश बघेल ने प्लेनरी सेशन से पहले रायपुर में कांग्रेस नेताओं का स्वागत किया". इस रिपोर्ट में कांग्रेस नेताओं को सोने की माला पहनाए जाने का कहीं भी कोई ज़िक्र नहीं है.