क्या नोबेल समिति के सदस्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शांति पुरस्कार का सबसे बड़ा दावेदार बताया?
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 22 मार्च 2023, 13h28
- 4 मिनट
- द्वारा Uzair RIZVI, एफप भारत
- अनुवाद और अनुकूलन Devesh MISHRA
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फ़ेसबुक पर 15 मार्च 2023 को शेयर की गई पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “मोदी आज नोबेल शांति पुरस्कार के सबसे बड़े दावेदार हैं. मोदी युद्ध रोकने के लिए सबसे भरोसेमंद नेता हैं और केवल वही शांति स्थापित कर सकते हैं. PM मोदी की नीतियों के कारण ही भारत अमीर-शक्तिशाली देश बन रहा है. असल तोजे, नोबेल शांति पुरस्कार समिति के उपनेता.”
पोस्ट में नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के वाइस-चेयरमैन एस्ले टोजे की तस्वीर शेयर की गई है.
पोस्ट को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और ट्विटर पर यहां शेयर किया गया है.
पाञ्चजन्य सहित कई अन्य मीडिया संगठनों ने इस खबर को प्रकाशित किया. हालांकि पाञ्चजन्य ने बाद में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया और ऑपइंडिया ने अपने आर्टिकल को ये कहते हुए अपडेट किया कि टोजे ने इस दावे को गलत बताया है.
नॉर्वे स्थित नॉर्वेजियन नोबेल संस्थान ने एएफ़पी को बताया कि खबरों में टोजे के बयान को "गलत तरीके से पेश" किया गया है.
एक बयान में उन्होंने कहा: "नॉर्वेजियन नोबेल समिति कभी भी इस बात की पुष्टि या टिप्पणी नहीं करती है कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए किसे नामांकित किया गया है. नामांकित व्यक्तियों के नाम केवल 50 वर्षों के बाद जारी किए जाते हैं."
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए चयन के मानदंड यहां संस्थान की वेबसाइट पर दिए गए हैं.
एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार पुरस्कार के लिए लोगों को नामित करने के पात्र - जिनमें दुनिया के किसी भी देश के पूर्व पुरस्कार विजेता, कानून निर्माता और कैबिनेट मंत्री और कुछ विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर शामिल हैं - प्रस्तावित व्यक्ति या संगठन के नाम का खुलासा करने के लिए स्वतंत्र हैं.
अब तक जिन नामों का सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया गया है, उनमें से ज़्यादातर यूक्रेन में लगभग एक साल से चल रहे संघर्ष में शामिल हैं, या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के विरोधी हैं.
बयान को गलत तरीके से पेश किया गया
दिल्ली में इंडिया सेंटर फ़ाउंडेशन द्वारा 14 मार्च, 2023 को आयोजित एक पैनल में टोजे के स्पीच के बाद से ही यह गलत दावा ऑनलाइन शेयर किया जाने लगा था. इस बातचीत का विषय "वैकल्पिक विकास मॉडल और शांति" था.
फ़ोरम के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में टोजे को 40-मिनट, 7-सेकंड के टाइमस्टैंप पर भाषण देते हुए देखा जा सकता है.
वह वैश्विक राजनीति और शांति में भारत के योगदान का वर्णन करने से पहले अल्फ़्रेड नोबेल का उल्लेख करते हैं. अपने भाषण में कहीं भी उन्होंने यह नहीं कहा कि मोदी नोबेल शांति पुरस्कार के दावेदार हैं.
वो कहते हैं: "मेरे लिए भारत आना एक सीखने वाला अनुभव है. मैं भारत में सीखने के लिए, देश की शांति परंपराओं के बारे में जानने के लिए और उस ऊर्जा को समझने के लिए आया हूं जो इस देश की प्रगति को निर्धारित करती है.
"भारत आगे बढ़ रहा है. भारत एक ऐसा देश है जो विश्व राजनीति में तेज़ी से महत्वपूर्ण होता जा रहा है, यह एक ऐसा देश है जिसे अब यह तय करना होगा कि वह किस प्रकार की महान शक्ति बनना चाहता है."
गलत दावे के शेयर होने के कुछ ही समय बाद टोजे ने टीवी चैनल एबीपी न्यूज़ से बात की जहां उनसे रूस-यूक्रेन युद्ध पर मोदी की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया.
वीडियो के 3-मिनट, 45-सेकंड के टाइमस्टैंप पर रिपोर्टर उनसे पूछता है: "क्या मोदी अपने नेतृत्व में इस रशिया-यूक्रेन युद्ध को रोकने में सक्षम हैं?"
टोजे जवाब देते हैं: "आप पूछ रहे हैं कि क्या (मोदी) नोबेल शांति पुरस्कार के लिए उम्मीदवार हैं.
"बात यह है कि मेरे पास किसी के लिए भी यही जवाब है. मेरा जवाब यह है कि मुझे उम्मीद है कि हर देश के हर नेता को ऐसा काम करने के लिए प्रेरित किया जाए जो नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने के लिए ज़रूरी है. मुझे राष्ट्रपति मोदी के लिए भी यही उम्मीद है." उन्होंने गलती से मोदी को प्रधानमंत्री की जगह राष्ट्रपति कह दिया था.
टोजे ने कहा, "ज़ाहिर तौर पर मैं उनके प्रयासों को देख रहा हूँ -- हम सब देख रहे हैं -- और मुझे वास्तव में उम्मीद है कि उनकी पहल फलीभूत हो."