इराक युद्ध पर जो बाइडेन को घेरते पूर्व अमेरिकी सैनिक का ये वीडियो उनके राष्ट्रपति बनने से पहले का है

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 4 अप्रैल 2023, 14h52
  • 3 मिनट
  • द्वारा Anuradha PRASAD, एफप भारत
सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि अमेरिका में एक शख़्स राष्ट्रपति के मुंह पर उनकी आलोचना कर रहा है, वहीं भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में ये अभी भी संभव नहीं है. हालांकि यह वीडियो असल में नवंबर 2020, यानी जो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से पहले का है.

ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर आलोचक और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने 21 मार्च को एक वीडियो शेयर करते हुए कहा, “अमेरिका में अपने राष्ट्रपति से एक नागरिक कैसे आंखों में आंख डालकर सवाल कर रहा है. क्या "लोकतंत्र की मां" अर्थात भारत में ये संभव है?”

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भ्रामक वीडियो का 27 मार्च, 2023 को लिया गया स्क्रीनशॉट

ज्ञात रहे कि भारत में अभिव्यक्ति की आज़ादी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी आलोचकों के निशाने पर हैं. हाल ही में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को ‘मोदी’ उपनाम पर तंज कसने के लिए दो साल की सज़ा सुनाई गयी है. इसके बाद उन्हें संसद से भी निष्काषित किया जा चुका है.

आलोचकों की मानें तो ये मामला मोदी सरकार के शासनकाल में कानून और मीडिया की स्वतंत्रता के लिए खतरे की तरह भी देखा जा सकता है.

वायरल वीडियो को अबतक 3,20,000 से ज़्यादा बार देखा जा चुका है जिसमें एक व्यक्ति खुद को पूर्व वायुसेना अधिकारी बता रहा है. ये व्यक्ति जो बाइडन को इराक युद्ध का ज़िम्मेदार ठहरा रहा है क्योंकि उन्होंने भी युद्ध को अपना समर्थन दिया था.

वो कहता है, “हम सोच रहे हैं कि हम किसी ऐसे आदमी को वोट क्यों दें जिसने युद्ध को अपना समर्थन दिया जिसमें हमारे हज़ारों भाई-बहन और अनगिनत इराकी नागरिक लोग मरे गए.”

इसके बाद बाइडेन उसकी बातों का जवाब देते हुए आगे बढ़ जाते हैं.

उनके पीछे से वो व्यक्ति चिल्ला कर कहता है, “... ये राष्ट्रपति बनने के लायक नहीं है.”

जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रम्प को नवंबर 2020 में हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में हराया था.

यही वीडियो फ़ेसबुक पर यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर किया गया.

ये समझते हुए कि ये वीडियो बाइडेन के राष्ट्रपति बनने के बाद का है, कई सोशल मीडिया यूज़र्स भारत में अभिव्यक्ति और आलोचना की आज़ादी की तुलना अमेरिका से करने लगे.

एक यूज़र ने कमेंट किया, “भारत में आम जनता राष्ट्रपति तक पहुंच भी नहीं सकता, उनसे बात करना तो छोड़ ही दें.”

एक अन्य ने कहा, “यहां ये संभव ही नहीं है. यहां तो नेता अकेले चलते भी नहीं है, किसी से बात कैसे करेंगे.”

पुराना वीडियो

एएफ़पी ने पाया कि ये वीडियो 4 मार्च, 2020 को “अबाउट फ़ेस: वेटरन्स अगेंस्ट द वॉर” नाम के एक समूह ने ट्वीट किया था.

ट्वीट में अंग्रेज़ी में लिखा है, “दो वेटरन्स ने ओकलैंड में सुपर ट्यूसडे को जोबाइडेन को उनके कैंपेन के दौरान युद्ध में उनकी भागीदारी को लेकर मुंह पर आलोचना की.”

सुपर ट्यूसडे 3 मार्च, 2020 को था जो पूरे राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण दिन था. इस दिन मताधिकार रखने वाले सभी लोग राष्ट्रपति के लिए डेमॉक्रेटिक प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं.

नीचे भ्रामक पोस्ट वाले वीडियो के स्क्रीनशॉट (बाएं) की तुलना 2020 के ट्वीट में शेयर किये गए वीडियो (दाएं) से की गयी है:

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मीडिया संस्थान द इंडिपेंडेंट, टीआरटी वर्ल्ड और द यंग टर्क्स ने भी इस वीडियो को रिपोर्ट किया था.

मालूम हो कि बाइडेन ने अमेरिका में सेनेटर रहते हुए इराक युद्ध के पक्ष में वोट किया था.

मार्च 2003 में अमेरिका की अगुवाई में किये गए हमले के बाद सद्दाम हुसैन की सरकार गिर गयी थी.

इस हमले ने कई चुनौतियों जैसे लूट और अस्थिरता को जन्म दिया. जब 2011 में अमेरिकी सेना को वापिस बुलाया गया, इराक बॉडी काउंट ग्रुप के मुताबिक तब तक 1,00,000 से अधिक इराकी नागरिक जान गंवा चुके थे. वहीं 4,500 अमेरिकी भी मारे जा चुके थे.

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