हैदराबाद के एक कब्रिस्तान में लोहे की जाली से ढकी कब्र की तस्वीर गलत दावे शेयर की गयी
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- प्रकाशित 8 मई 2023, 14h52
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
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तस्वीर को ट्विटर पर यहां 26 अप्रैल को शेयर किया गया है.
तस्वीर, जिसे 3000 से भी अधिक बार रिट्वीट किया गया है, एक कब्र को दिखाता है जिसके ऊपर एक तालाबंद गेट लगा हुआ है.
ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले पाकिस्तानी लेखक हैरिस सुल्तान ने भी अपने एक ट्वीट में इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा कि "लोग अब अपनी बेटियों की कब्र पर ताले लगा रहे हैं ताकि उन्हें बलात्कार से बचाया जा सके". उन्होंने ट्वीट में पाकिस्तान के "यौन कुंठित समाज" की निंदा की.
बाद में उन्होंने इस ट्वीट को डिलीट कर दिया और एक थ्रेड शेयर किया जिसमें बताया गया कि यह दावा गलत था -- लेकिन उन्होंने यह भी लिखा कि पाकिस्तान में नेक्रोफ़िलिया के कई मामले सामने आए हैं (आर्काइव लिंक).
इसी बीच पाकिस्तान की नारीवादी कार्यकर्ता निशात अंजुम का ट्विटर अकाउंट तब ऑफ़लाइन हो गया जब उन्होंने भी प्रकट रूप से इस दावे को शेयर किया और बाद में इसके गलत पाए जाने पर उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग और अपशब्दों का सामना करना पड़ा.
इस गलत दावे को भारत में कई मेनस्ट्रीम न्यूज़ वेबसाइट्स जैसे टाइम्स ऑफ इंडिया, एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (एएनआई) और अमर उजाला सहित कई समाचार आउटलेट्स में पाकिस्तान का बताकर प्रकाशित किया गया है.
हैदराबाद की है वायरल तस्वीर
ट्विटर पर की-वर्ड सर्च करने पर हमें बिल्कुल ऐसी ही तस्वीरें सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद आसिफ़ खान द्वारा पोस्ट की गई मिलीं.
खान के अनुसार वो भारत में हेट क्राइम और इस्लामोफ़ोबिया के मामलों का दस्तावेजीकरण करते हैं. उन्होंने 30 अप्रैल को ट्वीट करते हुए कहा कि यह कब्र भारत के हैदराबाद में स्थित है न कि पाकिस्तान में (आर्काइव लिंक).
This graveyard is from Hyderabad, India.
— Md Asif Khan (@imMAK02) April 30, 2023
An Islamophobic atheist claimed that it was from Pakistan, and people locked it to save their daughters from rapists.
India's propaganda Media spread that fake news without verifying the fact.
Watch this video pic.twitter.com/Jdk3PhriI8
एएफ़पी ने हैदराबाद में कब्रिस्तान के ठीक सामने स्थित मस्जिद-ए-सालार मुल्क नामक एक मस्जिद को गूगल स्ट्रीट व्यू इमेजरी का उपयोग करते हुए जियोलोकेट किया जिसमें कब्रिस्तान के ठीक दरवाजे पर यह कब्र देखी जा सकती है (आर्काइव लिंक).
हैदराबाद में एएफ़पी के एक पत्रकार ने 2 मई को कब्रिस्तान जाकर वहां से कब्र की तस्वीर भी ली.
आसिफ़ खान के ट्वीट में मस्जिद के मुअज्जिन मुख़्तार सहाब का एक वीडियो भी शामिल है जिसमें बताया गया है कि मौजूदा कब्र के ऊपर नई मय्यतों को दफ़नाने से रोकने के लिए कब्र पर लोहे का जालीनुमा गेट लगाया गया था.
सहाब कहते हैं, "यह कब्र लगभग दो साल पुरानी है और इस पर ताला लगाने का एकमात्र कारण यह है कि कई लोग बिना पूछे ही पुरानी कब्रों में नई मय्यतों को दफ़ना कर चले जाते हैं”.
उन्होंने कहा कि मृतक के परिवार ने मस्जिद के अधिकारियों से गेट लगाने की अनुमति भी नहीं मांगी थी, जो कि कब्रिस्तान के मुख्य द्वार के पास स्थित है.
वीडियो में मुअज्जिन को स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अब्दुल जलील से बात करते हुए दिखाया गया है, जिन्होंने एएफ़पी को बताया कि उनकी मां को भी उसी कब्रिस्तान में दफ़नाया गया था.
उन्होंने कहा, "कई बार लोग किसी कब्र के ऊपर ही दूसरे व्यक्ति को दफ़ना देते हैं और बाद में जब कोई व्यक्ति अपने पूर्वजों को याद करने आता है, तो वह वहां उनकी कब्र नहीं पाकर निराश होता है."