कांग्रेस नेता के प्रदर्शन का पुराना वीडियो गलत दावे के साथ शेयर किया गया
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 30 मई 2023, 14h47
- 4 मिनट
- द्वारा Anuradha PRASAD, एफप भारत
- अनुवाद और अनुकूलन Anuradha PRASAD
कॉपीराइट © एएफ़पी 2017-2025. इस कंटेंट के किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत पड़ेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
एक ट्विटर यूज़र ने 2 मई, 2023 को वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “दिल्ली में 5 साल की मासूम बच्ची पर रेप हुआ... बच्ची के पिता बच्ची को लेकर संसद भवन की ओर चल दिया और आरोप लगाया कि मोइली की वजह से मासूम बच्ची पर रेप हो रहा है। इसके लिए जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ मोइली है.”
इस 25 सेकंड के वीडियो में एक शख़्स एक बच्ची को गोद में लिए पोस्टर के साथ प्रदर्शन करता दिख रहा है.
वो कह रहा है: "मेरी बात कहने दो, मेरी बात कहने दो. बेटियों की हत्यायें हो रही हैं. मोदी सरकार ज़िम्मेदार है, मोदी सरकार ज़िम्मेदार है."
थोड़ी देर में ही प्रदर्शन कर रहे व्यक्ति को पुलिस हिरासत में ले लेती है.
इसी दावे के साथ ये वीडियो फ़ेसबुक पर यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर किया गया.
हालांकि ये दावा गलत है. वीडियो पुराना है और उसमें दिख रहे व्यक्ति एक कांग्रेस नेता हैं जो देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों को लेकर वर्ष 2019 में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.
संसद के बाहर प्रदर्शन
कीवर्ड सर्च करने पर मिलता जुलता वीडियो बोलता हिन्दुस्तान के यूट्यूब चैनल पर 5 दिसंबर, 2019 को अपलोड किया हुआ मिला (आर्काइव).
नीचे वायरल वीडियो (बाएं) और बोलता हिंदुस्तान (दाएं) के वीडियो के स्क्रीनशॉट की तुलना देख सकते हैं:
इसका टाइटल है, “पार्लियामेंट के सामने बोले कांग्रेस नेता- बेटियों की गुनाहगार है मोदी सरकार.”
वीडियो के मुताबिक प्रदर्शन करते नज़र आ रहे शख़्स कांग्रेस नेता सचिन चौधरी हैं.
सचिन चौधरी कांग्रेस के नेता और पार्टी के यूपी विंग के सचिव हैं (आर्काइव).
बोलता हिंदुस्तान के वीडियो में सचिन चौधरी के हाथ में एक पोस्टर है जिसपर लिखा है, “प्रधानमंत्री जी अपनी बेटी को घर से बाहर/स्कूल नहीं भेजूंगा.”
पीठ पर चिपके एक अन्य पोस्टर पर लिखा है, “बलात्कारियों को 90 दिन में सजा ए मौत.”
सचिन चौधरी ने भी 5 दिसंबर, 2019 को इस प्रदर्शन का वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर पर शेयर किया था (आर्काइव यहां और यहां).
वीडियो के साथ उन्होंने कैप्शन में कहा: "बहन बेटियों पर मोदीराज में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जब मैं अपनी बेटी के साथ मोदी जी से महिलाओं की सुरक्षा की गुहार लगाने संसद पहुंचा तो मुझे और मेरी बेटी को पुलिस ने गिरफ्तार कर रखा है."
आगे लिखा है, "दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करते नही हैं और मेरी छोटी सी सात साल की बेटी को गिरफ़्तार कर रखा है. मेरे कपडे फाड़ दिए हैं.”
सचिन चौधरी ने 15 मई, 2023 को एएफ़पी को बताया: "साल 2019 में हैदराबाद की एक महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार कर उसकी हत्या करके शव को जंगल में फेंक दिया गया था. इसके खिलाफ़ दिल्ली में संसद भवन के पास हमने प्रोटेस्ट किया था, जिसमें एक बेटी का पिता होने के नाते पीड़ितों के साथ अपनी हमदर्दी व्यक्त करने के लिए मैं अपने मासूम बेटी को साथ लेकर पहुंचा था."
"लेकिन उस दिन के प्रोटेस्ट में मेरी बेटी के साथ की इस छोटी सी क्लिप को गलत संदर्भ के साथ कई सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म्स पर शेयर किया गया. इसे लेकर मैंने पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवाकर वीडियो को हटाने और उसे गलत संदर्भ में शेयर करने वालों के ऊपर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है."
औरतों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा
नवंबर 2019 में चार लोगों ने हैदराबाद की एक 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का बलात्कार और फिर हत्या कर दी थी. इसके बाद आरोपियों को जल्द से जल्द सज़ा देने की मांग करते हुए पूरे देश में प्रदर्शन किये गए थे.
राजधानी दिल्ली में 2012 में फिज़ियोथेरेपी स्टूडेंट ज्योति सिंह की बस में गैंगरेप और नृशंस हत्या के बाद महिलाओं के ख़िलाफ़ यौन हिंसा की तरफ़ देश का ध्यान केंद्रित हुआ था.
ज्योति को मीडिया ने “निर्भया” नाम देते हुए इसे देश में औरतों के ख़िलाफ़ यौन हिंसा से निपटने में अक्षमता का प्रतीक बना दिया.
जनता की दबाव ने सरकार को बलात्कारियों को सख़्त से सख़्त सज़ा और अपराध दोहराने वालों को मौत की सज़ा का प्रावधान लाने के लिए मजबूर किया. साथ ही यौन शोषण में कई नई श्रेणियां शामिल की गयीं और सड़कों-गलियों में ज़्यादा से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरा लगाने पर ज़ोर दिया गया.
हालांकि हज़ारों की संख्या में बलात्कार के मामले न्यायालयों में अब भी लंबित हैं, और महिलाओं के खिलाफ़ अपराध की हृदयविदारक घटनाएं आये दिन घटित होती रहती हैं.
सरकारी आकड़ों के मुताबिक भारत में 2021 में 31,677 बलात्कार के मामले दर्ज किये गए. वहीं 2012 में - जिस साल ज्योति की हत्या की गयी थी - 24,923 मामले सामने आये थे.