भारतीय युवक स्मार्टफोन चलाते हुए. ( AFP / INDRANIL MUKHERJEE)

सोशल मीडिया पर साक्षी मलिक के नाम से शेयर की जा रही ये तस्वीर किसी और की है

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 9 जून 2023, 12h18
  • 4 मिनट
  • द्वारा Anuradha PRASAD, एफप भारत
  • अनुवाद और अनुकूलन Anuradha PRASAD
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया गया है कि पुलिस ने ओलिंपिक मेडल विजेता साक्षी मलिक को पहलवानों के प्रदर्शन के दौरान जूतों तले रौंद दिया था. ये दावा गलत है, तस्वीर असल में 2021 में हुए किसान आंदोलन की है जब पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गयी थी.

ये तस्वीर ट्विटर पर 28 मई, 2023 को यहां शेयर की गयी जिसे आर्टिकल लिखने तक 2,400 से ज़्यादा बार रीट्वीट किया जा चुका है.

इसका कैप्शन है, “देश के लिए महिला रेसलिंग में पहला ओलंपिक मेडल दिलाने वाली @SakshiMalik है ये! ऐसी तस्वीर तो तालीबान में भी देखने को नहीं मिली. देश का जमींर जिंदा है या मर गया या फिर बिक गया!!”

तस्वीर में एक पुलिसवाला एक व्यक्ति के चेहरे को अपने जूतों से कुचलता दिख रहा है.

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भ्रामक पोस्ट का 1 जून, 2023 को लिया गया स्क्रीनशॉट

ये तस्वीर 28 मई को पुलिस और प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के बीच हुए झड़प के बाद से शेयर की जाने लगी. मालूम हो कि कई पहलवान भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष और भाजपा सांसद ब्रिजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी की मांग कर रहे हैं. कुश्ती संघ के प्रमुख पर महिला खिलाड़ियों के साथ यौन शोषण करने और उन्हें धमकाने के आरोप लगाए गए हैं (आर्काइव यहां और यहां).

एएफ़पी की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदर्शन कर रहे पहलवान नए संसद भवन की तरफ़ मार्च कर रहे थे जब उन्हें पुलिस द्वारा रोक दिया गया. ज्ञात रहे कि उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद का उद्घाटन करने वाले थें (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में लिखा है, “हिरासत में लेकर बस में बंद किये गए लोगों में ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक और बजरंग पुनिया भी शामिल थे.”

यही तस्वीर फ़ेसबुक पर यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां साक्षी मलिक की बताकर शेयर की गयी है.

किसान आंदोलन की तस्वीर

गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें डेक्कन हेराल्ड की 29 जनवरी, 2021 की एक रिपोर्ट मिली. इसमें किसान आंदोलन के दौरान गणतंत्र दिवस के दिन और उसके बाद हुई हिंसा की टाइमलाइन है (आर्काइव लिंक).

इस तस्वीर का कैप्शन है, “पुलिस ने एक किसान को, जिसने कथित तौर से थाना प्रभारी (अलीपुर) प्रदीप पालीवाल पर हमला किया था, ज़मीन पर गिरा दिया. ये घटना सिंघु बॉर्डर पर किसानों और खुद को स्थानीय बताने वाले एवं आंदोलन का विरोध करने वाले लोगों के बीच टकराव के दौरान की है.” इस तस्वीर का क्रेडिट न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को दिया गया है.

सरकार के मुताबिक ये कानून किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी और कृषि क्षेत्र की कार्यप्रणाली के बेहतरी के लिए लाये गए थे. हालांकि किसानों का कहना था कि ये कानून निजी कंपनियों को कृषि क्षेत्र पर कब्ज़ा जमाने का मौका दे देंगे. पारम्परिक तौर से किसानों के अनाज का मूल्य राज्य सरकारें ही न्यूनतम समर्थन मूल्य के तहत तय करती आयी हैं.

इन तीनों कानूनों को नवंबर 2021 में वापस ले लिया गया था (आर्काइव लिंक).

नीचे भ्रामक पोस्ट वाली तस्वीर (बाएं) और डेक्कन हेराल्ड द्वारा छापी गयी तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना दी गयी है:

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भ्रामक पोस्ट वाली तस्वीर (बाएं) और डेक्कन हेराल्ड द्वारा छापी गयी तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना

ये तस्वीर पीटीआई वेबसाइट की फ़ोटो आर्काइव्स पर भी मौजूद है. नीचे वेबसाइट पर तस्वीर का स्क्रीनशॉट लिया गया है जिसे एएफ़पी ने चिन्हित किया है:

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पीटीआई की वेबसाइट पर दिख रही तस्वीरों का स्क्रीनशॉट

पीटीआई की वेबसाइट पर दिए कैप्शन के मुताबिक भी ये तस्वीर 29 जनवरी, 2021 को किसानों और पुलिस के बीच हुए टकराव की है.

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