पटरी पर ट्रेन की बोगियों को धक्का देते लोगों का वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया

कई फ़ेसबुक और ट्विटर पोस्ट में एक वीडियो क्लिप को इस गलत दावे के साथ शेयर किया है कि इसमें भारतीय सेना के जवान और कई पुलिसकर्मी एक ट्रेन को धक्का मारकर शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं. वास्तव में वीडियो जुलाई 2023 की एक घटना का है जब ट्रेन में आग लगने के बाद लोगों ने कुछ बोगियों को धक्का देकर अलग किया था. एक रेलवे इंजीनियर ने एएफ़पी को यह भी बताया कि ट्रेन लोकोमोटिव को धक्का देकर स्टार्ट करना असंभव है.

वीडियो को ट्विटर, जिसे बतौर 'X' रिब्रांड किया गया है, पर 10 जुलाई 2023 को यहां शेयर किया गया है.

ट्वीट के कैप्शन में लिखा है, “75 सालों में पहली बार. ट्रेन चालू करने के लिए धक्का लगाना पड़ रहा है.”

वीडियो में सेना के कुछ जवानों और पुलिसकर्मियों को अन्य लोगों के साथ मिलकर ट्रेन की बोगियां धकेलते हुए देखा जा सकता है.

वीडियो को इसी दावे के साथ ट्विटर पर यहां, यहां और फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया है.

वीडियो को शेयर कर कुछ यूज़र्स प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए उन्हें देश का रेलवे सिस्टम बर्बाद करने का ज़िम्मेदार ठहरा रहे रहे हैं.

एक ने लिखा, "मोदी और बीजेपी को बधाई, स्वतंत्र भारत में यह पहली बार है कि किसी ट्रेन को शुरू करने के लिए धक्का लगाया जा रहा है. इस तरह वे गिरती अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ा रहे हैं."

एक अन्य ने लिखा: "वे केवल नई ट्रेनों को हरी झंडी दिखाने का श्रेय लेते हैं, लेकिन यह भारतीय रेलवे की वास्तविकता है, इसकी विफ़लता देखिये."

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गलत दावे की पोस्ट का स्क्रीनशॉट, जुलाई 14, 2023

हालांकि वीडियो में लोगों को जुलाई 2023 में आग लगने के बाद ट्रेन के कुछ डिब्बों को धकेलकर अलग करते हुए दिखाया गया है.

ट्रेन दुर्घटना

गूगल पर कीवर्ड सर्च करने पर हमने पाया कि इस घटना का मूल वीडियो एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट के अनुसार वीडियो में 7 जुलाई को फ़लकनुमा एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगने के बाद लोगों को ट्रेन के डिब्बों को धकेलकर दूर करते हुए दिखाया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण मध्य रेलवे ने कहा, "आग को अन्य डिब्बों तक फैलने से रोकने के लिए, 3 डिब्बों - एस1 और 2 जनरल डिब्बों को ट्रेन के पिछले हिस्से से अलग कर रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय पुलिस द्वारा मैन्युअल रूप से दूर ले जाया गया."

नीचे भ्रामक पोस्ट के वीडियो (बाएं) और एनडीटीवी वेबसाइट के वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है:

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भ्रामक पोस्ट के वीडियो (बाएं) और एनडीटीवी वेबसाइट के वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

अन्य मीडिया आउटलेट्स – समाचार एजेंसी एएनआई और द न्यूज़ मिनट – ने भी इस घटना पर रिपोर्ट की है. (आर्काइव्ड लिंक यहां, यहां).

भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने बाद में एक ट्वीट में पुष्टि की कि आग को फैलने से रोकने के लिए गाड़ी के अन्य डिब्बों को अलग कर दिया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

ट्वीट में लिखा है: "रेलवे कर्मियों और स्थानीय पुलिस ने पीछे के डिब्बों को अलग करने और आग को आगे फैलने से रोकने के लिए हाथ से हाथ मिलाया. तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए सतर्क पुलिस कर्मियों के प्रति हमारा आभार."

यह घटना दक्षिण मध्य रेलवे के ज़ोन में हुई थी और 10 जुलाई, 2023 को ट्विटर पर इस भ्रामक पोस्ट को खारिज करते हुए उन्होंने एक स्पष्टीकरण भी पोस्ट किया (आर्काइव्ड लिंक).

स्थानीय पुलिस ने भी बचाव कार्यों में सहायता के लिए अपनी टीमों की प्रशंसा करते हुए अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया. उन्होंने पुलिस अधिकारियों की एक तस्वीर भी शेयर की, जो बोगियों को धक्का देकर ट्रेन के दूसरे हिस्से से अलग कर रहे हैं.

एक इंजीनियर ने एएफ़पी को बताया कि ट्रेन को धकेलकर स्टार्ट करना संभव नहीं है.

रेल मंत्रालय के रिसर्च और डेवलपमेंट विंग के अधिकारी सैयद फ़ैज़ान ने एएफ़पी को बताया, "भारत में बनी कोई भी गाड़ी स्व-चालित नहीं है और उन सभी को चलाने के लिए लोकोमोटिव की आवश्यकता होती है. वे स्वयं या धक्का देकर स्टार्ट नहीं की जा सकती क्योंकि उनके पास ऐसी कोई शक्ति नहीं है."

उन्होंने कहा कि केवल इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट कैरिज (ईएमयू) और वंदे भारत ट्रेनें ही बिना लोकोमोटिव के चल सकती हैं क्योंकि उनमें इलेक्ट्रिक मोटर हैं - लेकिन वीडियो में दिख रही ट्रेन इनमें से एक नहीं है.

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