मणिपुर में सेना के जवानों से सुरक्षा की गुहार लगाती महिलाओं का वीडियो गलत दावे से शेयर किया गया

सेना की वर्दी पहने एक व्यक्ति के पैर पकड़ कर रो रही महिलाओं का एक वीडियो इस गलत दावे से सोशल मीडिया पोस्ट्स में शेयर किया जा रहा है कि वे हिंदू मैतेई महिलायें हैं, जो कुकी ईसाई समुदाय से डरकर सेना से अपनी सुरक्षा की मांग कर रही हैं. हालांकि वीडियो क्लिप के एक लंबे वर्ज़न के विश्लेषण से पता चलता है कि वीडियो वास्तव में कुकी महिलाओं को दिखाता है.

वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां 6 अगस्त 2023 को शेयर किया गया है.

पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “मणिपुर राज्य के 60% मैतई समाज (हिंदू) की भयभीत महिलाओं द्वारा आर्मी के जवानों को उन्हें छोड़कर ना जाने की विनती करते हुए इन महिलाओं ने जवान के पैर के नीचे गिर रहे है आप समझ सकते हैं कि कितनी दर्द भरी जिंदगी वहा के मेतई हिंदू जी रहें हैं फिर भी कुछ सेक्युलर वादियों की आंखे नही खुल रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी ये आपकी जिम्मेदारी है, कि आपके शासन मे हिन्दू खुद को सुरक्षित महसूस कर सके.”

पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में ईसाई आदिवासी कुकी समुदाय और अधिकांश हिन्दू बहुलवादी मैतेई समुदाय के बीच चल रही जातीय हिंसा में अब तक कम से कम 152 लोग मारे जा चुके हैं.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 18 अगस्त 2023

वीडियो को इसी दावे से फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X (पूर्व में ट्विटर) पर यहां शेयर किया गया है.

कुकी महिलायें

वीडियो के कीफ़्रेम को कुछ कीवर्ड्स के साथ गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर पता चला कि यह क्लिप 3 अगस्त, 2023 को यूट्यूब पर अपलोड किए गए एक लंबे वीडियो के 18:09 से 19:27 सेकेंड के मार्क से मेल खाती है (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो की हेडलाइन से मालूम होता है कि यह उसी दिन कांगपोकपी शहर में फ़िल्माया गया था.

एएफ़पी के रिपोर्टर ने वीडियो का विश्लेषण किया और पाया कि इसमें कांगपोकपी के निवासी असम राइफ़ल्स के जवानों से विनती कर रहे हैं कि वो अपनी टुकड़ी लेकर चूड़ाचांदपुर या किसी अन्य स्थान पर न जायें बल्कि वहीं रहें.

वीडियो में सेना की वर्दी में दिखाई दे रहा व्यक्ति वहाँ मौजूद लोगों को उनकी सुरक्षा का आश्वासन देता सुनाई दे रहा है. वीडियो के अलग-अलग हिस्सों में उसकी बात सुनकर पता चलता है कि वहां उपस्थित लोग कुकी समुदाय से हैं.

वीडियो के 5:24 मार्क पर वह कहता है "ता चपा कुकी चपा". ये एक नारा है जो आम तौर पर कुकी समुदाय की सभाओं और प्रदर्शनों के दौरान गर्व से लगाया जाता है.

वीडियो के 10:24 मार्क पर वह व्यक्ति अंग्रेज़ी में कहता है: "क्योंकि मैं कांगपोकपी में हूं, आप सोचते हैं कि मैं कुकी समर्थक हूं, नहीं, मैं कुकी समर्थक नहीं हूं, मैं भारतीय नागरिकों का समर्थक हूं. अगर मैतेई यहां होंगे तो मैं मैतेई समर्थक भी बन जाऊंगा.”

नीचे गलत दावे की पोस्ट (बाएं) और यूट्यूब वीडियो (दाएं) में मिलते-जुलते संबंधित फ़्रेम के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.

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इसी तरह की एक क्लिप 4 अगस्त, 2023 को हिंदुस्तान टाइम्स के यूट्यूब चैनल पर भी पोस्ट की गई है जिसमें कहा गया है कि ये महिलाएं कुकी समुदाय से हैं - मैतेई नहीं (आर्काइव्ड लिंक).

असम राइफ़ल्स के एक प्रवक्ता ने 14 अगस्त को एएफ़पी को बताया, "वीडियो में दिख रही महिलाएं कुकी आदिवासी समुदाय से हैं. वीडियो 3 अगस्त का है जब असम राइफ़ल्स की एक यूनिट को कांगपोकपी से स्थानांतरित किया गया था."

कुकी जनजातियों के एक समूह कुकी आईएनपीआई (INPI) मणिपुर के महासचिव Khaikhohauh Gangte ने एएफ़पी को बताया कि वीडियो में दिख रही महिलायें कुकी समुदाय से हैं.

उन्होंने कहा कि वे असम राइफ़ल्स से शहर में रहने का अनुरोध कर रहे हैं क्योंकि कुकी समुदाय को राज्य के सुरक्षा बलों पर भरोसा नहीं है.

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