चांद की सतह पर अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो वाली इस तस्वीर का सच क्या है
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 1 सितम्बर 2023, 13h04
- 4 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
कॉपीराइट © एएफ़पी 2017-2025. इस कंटेंट के किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत पड़ेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
तस्वीर को X (पूर्व में ट्विटर) पर यहां 23 अगस्त को पोस्ट करने बाद 1200 से अधिक बार शेयर किया गया है.
तस्वीर में एक खुरदुरे सतह पर एक टायर ट्रैक के बीच की जगह में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और इसरो के लोगो के निशान दिखाई देते हैं.
पोस्ट के अंग्रेज़ी कैप्शन का हिंदी अनुवाद है, “यह तस्वीर आज चंद्रमा की सतह पर स्थायी रूप से अंकित हो गई है क्योंकि रोवर के टायरों पर यह छाप है, क्योंकि चंद्रमा पर कोई हवा नहीं है इसलिए ये निशान हमेशा के लिए रहेंगे.”
भारत द्वारा 23 अगस्त को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव में चन्द्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान की सफ़ल लैंडिंग के बाद से ही ये दावा सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है.
तस्वीर को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X (पूर्व में ट्विटर) पर यहां शेयर किया गया है.
हालांकि यह तस्वीर फ़ोटोशॉप की मदद से बनाई गयी है.
डिजिटल आर्टवर्क
गलत दावे की पोस्ट्स में शेयर की गई तस्वीर का बारीक विश्लेषण करने पर पता चला कि इसमें एक वॉटरमार्क है जिस पर अंग्रेज़ी में लिखा है "Krishanshu Garg".
X पर कीवर्ड सर्च पर यह तस्वीर 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंडर के उतरने की इसरो द्वारा पोस्ट की गई तस्वीरों के रिप्लाई में कृष्णांशु गर्ग नामक यूज़र द्वारा पोस्ट की गई मिली (आर्काइव्ड लिंक).
यूज़र ने कैप्शन में लिखा "इसके लिए इंतज़ार नहीं हो सकता!".
अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों में रुचि रखने वाले गर्ग ने एएफ़पी को बताया कि उन्होंने फ़ोटोशॉप का उपयोग करके यह तस्वीर बनाई है.
उन्होंने कहा, "अंतरिक्ष प्रेमी होने के नाते मैं भी चंद्रयान-3 की लैंडिंग का इंतज़ार कर रहा था और इसकी लैंडिंग से ठीक पहले मैंने यह तस्वीर अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर पोस्ट की थी."
एएफ़पी ने पाया कि गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर 23 अगस्त को गर्ग की इंस्टाग्राम स्टोरी पर अपलोड की गई थी. तस्वीर में एक टाइमर भी सेट किया गया था जिससे यह स्पष्ट होता है कि इसे चन्द्रमा पर रोवर के टचडाउन से 9 घंटे, 20 मिनट और 44 सेकंड पहले शेयर किया गया था (आर्काइव्ड लिंक).
नीचे गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और गर्ग द्वारा इंस्टाग्राम पर शेयर की गई तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है, जिसमें एएफ़पी द्वारा टाइमर को हाइलाइट किया गया है.
चंद्रमा पर सफ़ल लैंडिंग के बाद खुद के द्वारा बनाई गयी तस्वीर को सोशल मीडिया पर गलत संदर्भ में शेयर होता देख गर्ग ने अपने इंस्टाग्राम और X अकाउंट पर एक स्पष्टीकरण पोस्ट करते हुए लोगों से "फ़र्जी खबर" न फैलाने का आग्रह किया (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).
इंस्टाग्राम पर उनकी पोस्ट का कैप्शन है, "मैंने बहुत से लोगों को यह दावा करते देखा है कि यह इसरो द्वारा शेयर किए गए 'असली निशान' हैं. चंद्रमा की सतह के ये निशान ऐतिहासिक चंद्रयान -3 लैंडिंग से पहले ही एक टाइमर लगाकर मैंने डिज़ाइन किया था और मैंने ये जानकारी कई इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनलों के साथ शेयर भी की है.”
चांद की सतह पर निशान
अंतरिक्ष एजेंसी इसरो द्वारा 6 सितंबर, 2019 को जारी एक वीडियो के अनुसार प्रज्ञान रोवर के टायर में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक और इसरो के लोगो उकेरे गए हैं. वीडियो की हेडलाइन में लिखा है, "मिलिए प्रज्ञान - चंद्रयान 2 के रोवर से!" (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो के 2 मिनट, 45 सेकंड के मार्क पर रोवर के टायर ट्रैक के निशान देखे जा सकते हैं.
गर्ग द्वारा बनाई गई तस्वीर में अशोक स्तंभ और इसरो-लोगो दोनों एक ही ट्रैक पर दिखते हैं, लेकिन इसरो के वीडियो में अशोक स्तंभ और लोगो अलग-अलग ट्रैक में छपे हैं.
नीचे गलत दावे की पोस्ट (बाएं) और इसरो के यूट्यूब वीडियो (दाएं) में शेयर की गई तस्वीर के स्क्रीनशॉट की तुलना है, जिसमें एएफ़पी द्वारा अलग-अलग प्रतीक हाइलाइट किए गए हैं.
रोवर द्वारा बनाए गए ट्रैक की इसी तरह की तस्वीरें इसरो वेबसाइट पर यहां और X पर इंडियन एयरोस्पेस डिफेंस न्यूज़ के आधिकारिक अकाउंट पर यहां देखी जा सकती हैं (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).
अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 28 अगस्त को X पर जारी की गई एक तस्वीर में चंद्रमा पर रोवर के टायर के निशान दिखाई दे रहे हैं, जब रोवर एक गड्ढे के पास आ गया और उसे अपने रास्ते पर वापस जाने के लिए मजबूर होना पड़ा. हालांकि, तस्वीर में प्रतीक और लोगो दिखाई नहीं दे रहे हैं (आर्काइव्ड लिंक).