मैकडॉनल्ड्स का ये लोगो AI टूल्स की मदद से बनाया गया है

अमेरिकी फ़ास्ट-फ़ूड कंपनी मैकडॉनल्ड्स के लोगो से मिलती-जुलती खून से सनी हड्डियों वाली गाय की एक विचलित करने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पोस्ट में सैकड़ों बार इस गलत दावे के साथ शेयर की गई है कि यह संयुक्त राज्य अमेरिका में कंपनी द्वारा जारी किया गया नया लोगो दिखाती है. हालांकि, यह दावा गलत है. यह तस्वीर वास्तव में एक आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस टूल की मदद से बनाई गई है.

चेतावनी: हिंसक दृश्य

तस्वीर को फ़ेसबुक पर यहां 14 दिसंबर 2023 को शेयर किया गया है.

पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, “अमेरिका में मैकडोनाल्ड का नया logo. सरकार की तो मजबूरी है इसको ना बंद करने की, क्योंकि नेता लोग तो रिश्वत खाते हैं. हिंदुओं की क्या मजबूरी है इस गाय का कत्ल करने वाली कंपनी का सामान खाने की."

तस्वीर में मैकडॉनल्ड्स के लोगो से मिलती-जुलती एक आकृति में एक इमारत के अंदर ज़ंजीर से बंधी एक गाय दिखाई दे रही है.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 22 दिसंबर 2023

हालांकि अपनी नीतियों में मैकडॉनल्ड्स ने ये स्पष्ट किया है कि हिंदुओं और मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए वे भारत में अपने किसी भी आउटलेट पर गोमांस या सूअर का मांस नहीं परोसते हैं.

कुछ यूज़र्स ने इस दावे को सच मानते हुए मैकडॉनल्ड्स के उत्पादों के बहिष्कार का भी आह्वान किया है.

एक यूज़र ने लिखा, "यह पूरे हिंदू समाज का अपमान है, सभी हिंदुओं को मिलकर मैकडॉनल्ड्स के सभी उत्पादों का बहिष्कार करना चाहिए."

एक अन्य ने लिखा, ''आखिर हम कब तक अपने धार्मिक प्रतीकों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त करते रहेंगे, भारत सरकार को तुरंत इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए और मैकडॉनल्ड्स के इस लोगो पर प्रतिबंध लगाना चाहिए.''

तस्वीर को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.

हालांकि तस्वीर को AI टूल्स की मदद से बनाया गया है.

AI निर्मित तस्वीर

तस्वीर को कुछ कीवर्ड्स के साथ गूगल में रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमने पाया कि यह तस्वीर पशु अधिकार समूह ‘पीपल फ़ॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ़ एनिमल्स’ (PETA) के आधिकारिक X अकाउंट में 11 दिसंबर, 2023 को पोस्ट की गई थी (आर्काइव्ड लिंक).

तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा है: "अगर @मैकडॉनल्ड्स की मार्केटिंग सटीक होती."

पोस्ट में तस्वीर का क्रेडिट इज़राइल स्थित एक फ़ेसबुक यूजर इत्ज़ाक गार्बुज़ को दिया गया, जिन्होंने 19 सितंबर, 2023 को वही तस्वीर अपने फ़ेसबुक अकाउंट पर अपलोड की थी (आर्काइव्ड लिंक).

हिब्रू भाषा के जानकार एक AFP पत्रकार ने उनकी पोस्ट और उस पर किये गये कमेंट्स का विश्लेषण किया. गार्बुज़ ने कमेंट सेक्शन में एक प्रश्न के उत्तर में बताया कि यह तस्वीर उन्होंने ही बनाई है.

उन्होंने हिब्रू में लिखा, “यह तस्वीर AI उपकरणों की मदद से कई मॉडलों को मिलाकर बनाई गई है. मोटे तौर पर:Stable diffusion a1111 और ControlNet से.”

Stable diffusion a1111 और ControlNet जेनरेटिव AI उपकरण हैं (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और गार्बुज़ की फ़ेसबुक पोस्ट की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है:

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गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और गार्बुज़ की फ़ेसबुक पोस्ट की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

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