गोधरा ट्रेन हादसे के मुख्य आरोपी के दावे से शेयर की जा रही इस तस्वीर का सच क्या है?

सोशल मीडिया पोस्ट में गुजरात के एक सरकारी वकील की तस्वीर कई बार शेयर की गई है जिसमें गलत तरीके से उनकी पहचान 2002 में गोधरा ट्रेन हादसे के दोषियों में से एक के रूप में की गई है. गोधरा ट्रेन हादसे के बाद राज्य भर में भड़के मुस्लिम विरोधी दंगों में हज़ारों लोगों की जान गयी थी. हालांकि ये दावा गलत है; ये तस्वीर वास्तव में एक क्लिप से ली गई थी जहां सरकारी वकील आरसी कोडेकर कह रहे थे कि लगभग दो दशकों से लापता आरोपियों में से एक को गिरफ़्तारी के बाद दोषी ठहराया गया है.

तस्वीर को गलत दावे के साथ सोशल मीडिया में 2002 गोधरा ट्रेन हादसे की वार्षिक बरसी के कुछ दिन पहले ही शेयर किया जाने लगा.

27 फ़रवरी 2002 को गुजरात में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बे में आग लगने की वजह से 59 हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी. हिंदुओं ने गोधरा स्टेशन पर मौजूद मुस्लिम विक्रेताओं को इस आगजनी का ज़िम्मेदार ठहराया और बदला लेने की कोशिश कर रही उग्र भीड़ ने कई शहरों में मुस्लिम इलाकों में तोड़फोड़ की जिसमें कम-से-कम 1000 लोग मारे गये थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री थे, पर हिंसक घटनाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया. सुप्रीम कोर्ट ने बाद में उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर क्लीन चिट दे दिया था.

2011 में ट्रेन हादसे के आरोप में कुल 94 लोगों, सभी मुसलमान, पर मुकदमा चला था जिसमें से 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था.

तस्वीर को फ़ेसबुक पर यहां 16 फ़रवरी को शेयर किया गया है. 

पोस्ट का कैप्शन है, "यह हैं रफीक हुसैन भथुक, एक मुस्लिम नेता और गोधरा में दो पेट्रोल पंपों के मालिक. उन्होंने साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने के लिए पेट्रोल की व्यवस्था की थी.वह 14 साल तक भगोड़ा रहा, गुजरात आईबी की नजर उसके रिश्तेदारों पर थी. 

"आख़िरकार, उन्होंने निगरानी में अपने बेटे से संपर्क किया और जब पुलिस ने उनका पता दिल्ली में लगाया, तो वह स्वेच्छा से गोधरा आ गए. कल अदालत में जुर्म कबूल करने पर उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई. याद कीजिए जब यूपीए-1 के दौर में लालू यादव ने सुझाव दिया था कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग अनायास लग गई थी और जानबूझकर नहीं लगाई गई थी? ये सारी सच्चाई अदालत में सामने आ गई, फिर भी मुख्यधारा की मीडिया ने शायद ही इस खबर को कवर किया."

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 7 मार्च 2024

हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रफ़ीक हुसैन भटुक को पुलिस ने फ़रवरी 2021 में गिरफ़्तार किया था. वो 19 सालों से फ़रार चल रहा था.

तस्वीर को इसी दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया है.

सरकारी वकील की तस्वीर

कुछ कीवर्ड्स के साथ गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर 2 जुलाई, 2022 को समाचार एजेंसी ANI द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किया एक वीडियो मिला जिसमें तस्वीर से मिलते-जुलते विज़ुअल्स हैं (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो के 11 सेकंड के मार्क में स्पष्ट रूप से उस व्यक्ति की पहचान "आरसी कोडेकर, विशेष लोक अभियोजक" के रूप में की गई है. नीचे उनके नाम को हाइलाइट करता हुआ एक स्क्रीनशॉट है.

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ANI द्वारा प्रकाशित वीडियो का स्क्रीनशॉट

वीडियो में कोडेकर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि रफीक़ हुसैन भटुक को ट्रेन में आग लगाने के लिए दोषी ठहराया गया था.

सरकारी वकील ने कहा, "[भटुक] को गोधरा सत्र न्यायालय ने हत्या की  साज़िश के लिए आजीवन कारावास की सज़ा दी है."

आगे की रिवर्स इमेज सर्च से पता चला कि गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई तस्वीर 3 जुलाई, 2022 को ANI द्वारा X पर प्रकाशित एक रिपोर्ट से ली गई थी. रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से तस्वीर में दिख रहे व्यक्ति की पहचान कोडेकर के रूप में की गई है (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और ANI द्वारा 2022 में कोडेकर के नाम से हाईलाइट कर प्रकाशित तस्वीर (दायें) के स्क्रीनशॉट की तुलना है.

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गलत दावे की पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और ANI द्वारा 2022 में कोडेकर के नाम से हाईलाइट कर प्रकाशित तस्वीर (दायें) के स्क्रीनशॉट की तुलना

कोडेकर ने 22 फ़रवरी को एएफ़पी को बताया कि उन्होंने कुछ सोशल मीडिया यूज़र्स के खिलाफ़ उनकी तस्वीर का दुरुपयोग करने के लिए शिकायत दर्ज की है.

उन्होंने कहा, "मेरी तस्वीर गलत दावे के साथ शेयर की जा रही है. मैं उस मामले का मुख्य अभियोजक था लेकिन मेरी तस्वीर एक आरोपी के रूप में शेयर की जा रही है."

गलत दावे की पोस्ट के ऑनलाइन शेयर होने के बाद 16 फ़रवरी को ANI ने X पर अपनी मूल रिपोर्ट के  नीचे पोस्ट करते हुए लिखा: "यह स्पष्ट किया जाता है कि इस पहले के ट्वीट में शेयर की गई तस्वीर आरसी कोडेकर, विशेष लोक अभियोजक की है, अपराधी रफीक़ भटुक की नहीं" (आर्काइव्ड लिंक).

एएफ़पी ने यहां, यहां, यहां और यहां भारत में सांप्रदायिक हिंसा के इर्द-गिर्द शेयर की जा रही गलत सूचनाओं का फ़ैक्ट-चेक किया है.

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