कश्मीर में भारत के समर्थन में शपथ लेते लोगों का वीडियो पाकिस्तान के दावे से शेयर किया गया

भारत और उसकी सेना के प्रति निष्ठावान रहने की शपथ लेते लोगों का एक वीडियो सोशल मीडिया पोस्ट्स में पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर का बताकर गलत दावे से शेयर किया जा रहा है. हालांकि यह वीडियो भारत प्रशासित कश्मीर क्षेत्र का है. वीडियो में शपथ दिलाते नज़र आ रहे शख्स रफ़ीक़ बलोट ने एएफ़पी से पुष्टि की है कि यह वीडियो अगस्त 2023 में भारत प्रशासित कश्मीर के बारामूला ज़िले के उरी में फ़िल्माया गया था.

वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां 29 फ़रवरी 2024 को शेयर किया गया है.

पोस्ट का कैप्शन है, "पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) (बकर दीवार) के लोग सार्वजनिक रूप से भारत और हमारी सेना का समर्थन करने की कसम खाते हुए. यही समय ह , सही समय है Narendra Modi  जी."

वीडियो में एक व्यक्ति लोगों के एक समूह को भारत और उसकी सेना के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाता नज़र आ रहा है. लोगों को क्लिप के अंत में 'हिन्दुस्तान ज़िंदाबाद'  के नारे लगाते हुए भी सुना जा सकता है. 

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 20 मार्च 2024

वीडियो को समान दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और X पर यहां शेयर किया गया है.

यह वीडियो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 7 मार्च को केंद्र-शासित जम्मू-कश्मीर की पहली यात्रा के दौरान शेयर किया गया. 2019 में केंद्र सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करते हुए दोनों राज्यों  को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया . 

पीएम मोदी ने यह यात्रा 19 अप्रैल से सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले की है. ज्ञात हो कि कश्मीर में आखिरी स्थानीय चुनाव 2014 में हुए थे.

हालांकि यह दावा गलत है. वीडियो को भारत प्रशासित कश्मीर में फ़िल्माया गया है.

भारत प्रशासित कश्मीर का वीडियो

वीडियो के 40-सेकंड मार्क पर एक व्यक्ति लोगों को भारत और उसकी सेना के समर्थन में शपथ दिलाते हुए दिख रहा है . 

गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के साथ रिवर्स इमेज सर्च करने पर 19 अगस्त, 2023 को फ़ेसबुक पर यही वीडियो अपलोड किया गया मिला (आर्काइव्ड लिंक).

इस पोस्ट का कैप्शन है, "अनुसूचित जनजाति बचाओ आंदोलन के दौरान उरी बारामूला में उरी के गुज्जर-बकरवाल लोगों ने भारतीय सेना का समर्थन करने और देश के संविधान, लोकतंत्र और एकता को बचाने की शपथ ली."

नीचे गलत दावे की पोस्ट के वीडियो (बाएं) और अगस्त 2023 के फ़ेसबुक वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.

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गलत दावे की पोस्ट के वीडियो (बाएं) और अगस्त 2023 के फ़ेसबुक वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

यही वीडियो एक अन्य फ़ेसबुक पोस्ट में शेयर किया है जिसमें शपथ दिलाने वाले व्यक्ति की पहचान उरी के ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी ) के अध्यक्ष रफ़ीक़ बलोट के रूप में की गई है (आर्काइव्ड लिंक).

बलोट ने 5 मार्च, 2024 को एएफ़पी को बताया कि वीडियो 18 अगस्त, 2023 को उरी में फ़िल्माया गया था.

रफ़ीक़ ने कहा, " हमने युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने और ज़रूरत पड़ने पर भारतीय सेना को अपना समर्थन देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए युवाओं को इकट्ठा किया था." 

वीडियो में दिख रहे लोगों ने हाथों में "गुर्जर बकरवाल एकता ज़िंदाबाद" लिखा पोस्टर पकड़ रखा है.

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गलत दावे से फ़ेसबुक पर शेयर किए गए वीडियो का स्क्रीनशॉट जिसमें लोगों को पोस्टर पकड़े हुए देखा जा सकता है

जम्मू-कश्मीर में गुज्जर-बकरवाल समुदाय को तीसरा सबसे बड़ा स्थानीय समुदाय माना जाता है जो अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में आते हैं (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो तब फ़िल्माया गया था जब अगस्त 2023 में गुर्जर और बकरवाल समाज के लोग उच्च जाति के पहाड़ी समुदाय को एसटी श्रेणी में शामिल करने वाले बिल का विरोध कर रहे थे (आर्काइव्ड लिंक).

खबरों के अनुसार लोगों का मानना था कि पहाड़ी लोगों की सामाजिक स्थिति बेहतर होती है. हालांकि केंद्र सरकार ने 6 फ़रवरी 2024 को इस बिल को पास कर दिया (आर्काइव्ड लिंक).

बलोट ने कहा , "उस समय इन रैलियों में से एक रैली के दौरान युवाओं को यह शपथ दिलाई गई थी, जिसका वीडियो अब गलत दावों के साथ शेयर किया जा रहा है."

एएफ़पी ने पहले भी कश्मीर से जुड़ी गलत सूचनाओं का यहां, यहां और यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.

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