इंडिया गेट पर डेरा जमाए किसानों की एआई-जेनरेटेड तस्वीर गलत दावे से शेयर की गई
- प्रकाशित 26 मार्च 2024, 14h01
- 3 मिनट
- द्वारा Eyamin SAJID, AFP बांग्लादेश, एफप भारत
- अनुवाद और अनुकूलन Sachin BAGHEL
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तस्वीर को फ़ेसबुक पर 4 फ़रवरी 2024 को यहां पोस्ट करते हुए कैप्शन लिखा गया, "इण्डिया गेट के साथ देश के अन्नदाताओं की एक बहुत ही खूबसूरत सुबह तस्वीर. देश का दिल दिल्ली और देश का अन्नदाता किसानों को दिल से."
गौरतलब है कि पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों के किसानों ने कर्ज़ माफ़ी, लखीमपुरी खीरी हिंसा में न्याय और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने वाले कानून की मांग को लेकर 13 फ़रवरी 2024 को दिल्ली की ओर कूच किया था. किसानों को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा पैलेट गन, वॉटर कैनन, बैरिकेड और आंसू गैस के इस्तेमाल की खबरें भी आई हैं.
फ़िलहाल किसान पंजाब-हरियाणा के शंभु बॉर्डर पर आंदोलनरत हैं. इससे पहले भी किसानों ने केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध 2020-21 में एक साल तक सफ़लतापूर्वक आंदोलन किया था.
तस्वीर को समान दावों के साथ कई यूज़र्स ने फ़ेसबुक पर यहां और यहां पोस्ट किया है.
पोस्ट के कमेंट्स से यह स्पष्ट होता है कि यूज़र्स तस्वीर को वास्तविक समझ रहे हैं.
एक यूज़र ने लिखा, "सबसे मेहनती जनो का पालनहार ना खुदकी परवाहा है ना अपने परिजनो की केवल मेहनत ओर मेहनत भूख मिटा ने औरों की अपना जीवन अर्पण करते हैं देश के लिय , जय जवान जय किसान!"
वहीं एक अन्य यूज़र ने सड़कों पर प्रदर्शन करने को गलत बताते हुए लिखा, "सड़कें सब के लीये होती हैं क्या कभी सोचा इस तरह से सङकों को अवरोद्ध करने से क्या क्या नुकसान हैं."
हालांकि किसानों के इंडिया गेट पर जमा होने की पुष्टि करती हुई कोई आधिकारिक जानकारी या मीडिया रिपोर्ट एएफ़पी को प्राप्त नहीं हुई.
AI-जेनरेटेड तस्वीर
गलत दावे से शेयर की जा रही तस्वीर को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर 'किसान आईटी सेल' नामक इंस्टाग्राम पेज पर 26 जनवरी 2024 को पोस्ट की गयी हूबहू यही तस्वीर मिली. पेज पर किसान आंदोलन से जुड़े अन्य वीडियो एवं तस्वीरें भी मौजूद हैं (आर्काइव्ड लिंक).
इस इंस्टाग्राम पेज पर तस्वीर को पोस्ट करने वाले यूज़र ने एएफ़पी को बताया कि "यह तस्वीर मैंने 'जनक्राफ्ट- एआई आर्ट जनरेटर' टूल से तैयार की है."
तस्वीर को ध्यानपूर्वक देखने पर उसमें कई विसंगतियां नज़र आती हैं. जैसे लोगों के चेहरे और हथेलियां अस्पष्ट और विकृत नज़र आ रही हैं. इससे तस्वीर के AI-जेनरेटेड होने की संभावना और स्पष्ट होती है.
जेनरेटिव एआई के विकसित होने के बावजूद भी इसके द्वारा जेनरेटेड कंटेंट में कुछ त्रुटियां अभी भी रह जाती हैं.
एएफ़पी द्वारा हाइलाइट किए गए विकृत अंगों और चेहरों के साथ गलत दावे से शेयर की गयी तस्वीर का स्क्रीनशॉट नीचे दिया गया है.
इसके अलावा, इंडिया गेट की ओर जाने वाले रास्ते की तस्वीर में दिख रहे लैंपपोस्ट 24 जनवरी को एएफ़पी के फ़ोटोग्राफ़र द्वारा ली गई तस्वीर से अलग हैं.
नीचे गलत दावे से शेयर की जा रही तस्वीर (बाएं) और एएफ़पी के फ़ोटो (दाएं) में नज़र आ रहे लैंपपोस्ट्स की तुलना की गई है.
एएफ़पी ने एआई-जेनरेटेड कंटेंट से जुड़ी फ़र्ज़ी सूचनाओं को यहां और यहां फ़ैक्ट चेक किया है.