मध्य प्रदेश में दो पक्षों के विवाद के दौरान मूर्ति गिराने का वीडियो कर्नाटक से जोड़कर शेयर किया गया

सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो के साथ ये दावा किया जा रहा है कि कर्नाटक में सरदार वल्लभ भाई पटेल की एक मूर्ति को गैर हिन्दू समुदाय के लोगों ने खंडित किया है. हालांकि ये वीडियो मध्य प्रदेश के उज्जैन में दो हिन्दू पक्षों के बीच हुए विवाद के दौरान मूर्ति खंडन का है. पुलिस ने एएफ़पी को बताया कि यह वीडियो पुराना है और इस विवाद के पीछे कोई सांप्रदायिक कारण नहीं था.

 वीडियो को फ़ेसबुक पर यहां 3 अप्रैल 2024 को शेयर किया गया है.

पोस्ट का कैप्शन है, "कर्नाटक के हिन्दुओं ने बीजेपी सरकार को हराकर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनाई थी. अब कांग्रेस सरकार की हरकतों और मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा के कारण पछता रहे हैं."

आगामी आम चुनावों से पहले 2023 में कांग्रेस पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी को हराते हुए कर्नाटक में सरकार का गठन किया था.

भाजपा के हिंदू राष्ट्रवादी समर्थकों ने कांग्रेस पर हमेशा से आरोप लगाया है कि पार्टी का झुकाव कथित तौर पर मुस्लिम अल्पसंख्यकों कि ओर ज़्यादा है.

वीडियो में एक ट्रैक्टर को बार-बार एक मूर्ति को टक्कर मारते देखा जा सकता है. आसपास खड़े लोग मूर्ति पर पत्थर मारते नज़र आते हैं.  

वीडियो के अंत में एक आदमी को यह बोलते हुए सुना जा सकता है: "80 परसेंट होने का क्या फ़ायदा है जब 20 परसेंट ही उत्पात मचाये बैठे हैं?"

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गलत दावे से शेयर किये गए पोस्ट का अप्रैल 5, 2024 को लिया गया स्क्रीनशॉट

इसी तरह के दावे से फ़ेसबुक पर यहां, यहां और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यहां इस वीडियो को शेयर किया गया है.  

हालांकि पोस्ट में किया गया दावा गलत है. यह वीडियो जनवरी 2024 में उज्जैन में हुई एक घटना की है. 

दो हिन्दू पक्षों का विवाद

गूगल पर कीवर्ड सर्च करने पर जनवरी 2024 की एक न्यूज़ रिपोर्ट मिली जिसमें मध्य प्रदेश के उज्जैन में एक हिंदू समुदाय के सदस्यों द्वारा सरदार पटेल की मूर्ति तोड़ने का ज़िक्र था. 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस नहीं बल्कि भाजपा की सरकार है.

हिंदुस्तान टाइम्स और द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2024 में दो महापुरुषों की प्रतिमा लगाए जाने को लेकर उठे विवाद में एक पक्ष के लोगों ने सरदार वल्लभ भाई पटेल की मूर्ति को गिरा दिया था. दोनों पक्ष हिन्दू समुदाय से थे (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).

जबकि एक पक्ष ने सरदार पटेल की मूर्ति लगाने की मांग की थी, वहीं दूसरा समूह उसी जगह पर भीम राव अंबेडकर की प्रतिमा लगाना चाहता था.

हिंदुस्तान टाइम्स ने पुलिस के हवाले से बताया कि हालांकि वहां पटेल की प्रतिमा स्थापित कर दी गई थी, परंतु बाद में कथित तौर पर भीम आर्मी और अनुसूचित जाति के सदस्यों द्वारा इसे गिरा दिया गया था.

न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ नवभारत ने 25 जनवरी, 2024 को यूट्यूब पर घटना का फ़ुटेज पोस्ट किया (आर्काइव्ड लिंक). 

नीचे गलत दावे की पोस्ट की क्लिप (बाएं) और टाइम्स नाउ नवभारत के यूट्यूब पर अपलोड किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है.

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गलत दावे की पोस्ट की क्लिप (बाएं) और टाइम्स नाउ नवभारत के यूट्यूब पर अपलोड किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नितेश भार्गव ने 25 जनवरी, 2024 को उज्जैन में हुई घटना की पुष्टि की.

उन्होंने 4 अप्रैल को एएफ़पी को बताया, "ये कोई धार्मिक मुद्दा नहीं था. झड़प दो अलग-अलग जातियों के समूहों के बीच हुई थी."

"यह एक पुराना वीडियो है और गिरफ़्तारियाँ हो जाने के बाद इस मामले को अब बंद कर दिया गया है."

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