क्या चुनाव आयोग ने ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव करवाने का फैसला लिया है?
- प्रकाशित 15 अप्रैल 2024, 09h51
- 3 मिनट
- द्वारा Sachin BAGHEL, एफप भारत
फ़ेसबुक पर यहां एक यूज़र ने 25 मार्च, 2024 को न्यूज़पेपर कटिंग को शेयर करते हुए लिखा, "लोकसभा चुनाव के लिए भारत सरकार निर्वाचन आयोग द्वारा की नई गाइडलाइन जारी. आयोग के नए निर्देश: ईवीएम नहीं बैलेट पेपर से होंगा मतदान."
भारत में पहली बार लोकसभा के चुनाव में देशव्यापी स्तर पर ईवीएम का इस्तेमाल 2004 में किया गया. हाल ही में कई विपक्षी नेताओं ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर संदेह व्यक्त किया. कुछ लोग ईवीएम से चुनाव बंद कराये जाने की अर्ज़ी लेकर सुप्रीम कोर्ट भी गए लेकिन कोर्ट ने उसे ख़ारिज कर दिया (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).
पोस्ट में 'इवनिंग टाइम्स' अख़बार के एक लेख का स्क्रीनशॉट है, जिसका शीर्षक 25 मार्च को शेयर किये गए फ़ेसबुक पोस्ट के समान है: "आयोग के नए निर्देश: मतदान मतपत्र के माध्यम से किया जाएगा न कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के माध्यम से (आर्काइव्ड लिंक)."
ईवीएम बैन के दावे से इस कटिंग को फ़ेसबुक पर यहां, यहां और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर यहां शेयर किया गया है.
हालांकि चुनाव आयोग ने EVM हटाने को लेकर किसी प्रकार के दिशा-निर्देश जारी नहीं किये हैं.
EVM हटाने का दावा फ़र्ज़ी है
ईवीएम की जगह बैलट पेपर से चुनाव कराये जाने को लेकर जब हमने सर्च किया तो कोई विश्वसनीय न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली जो इस दावे की पुष्टि करती हो.
आगे इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया का ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने इस कटिंग को फ़र्ज़ी बताया और कहा कि आयोग द्वारा ऐसे किसी प्रकार का निर्देश जारी नहीं किये गए (आर्काइव्ड लिंक).
एएफ़पी ने चुनाव आयोग से संपर्क किया तो उन्होंने इस खबर को आधारहीन बताया और कहा कि "यह खबर छत्तीसगढ़ के एक लोकल न्यूज़पेपर ने प्रकशित की थी जिसने बाद में माफ़ी मांग ली. चुनाव आयोग ने इस प्रकार का कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है."
एएफ़पी ने खबर छापने वाले अख़बार 'इवनिंग टाइम्स' के संपादक से संपर्क किया. संपादक नथमल शर्मा ने बताया कि "यह होली के अवसर पर छापी गयी एक व्यंग्य खबर थी. इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं था. हमारे क्षेत्र में होली के मौके पर व्यंग्यात्मक ख़बरें प्रकाशित करने का पुराना चलन है."
उन्होंने आगे कहा- "पाठकों ने इसे वास्तविक समझ लिया. हालांकि हमने अपने अगले अंक में इसपर स्पष्टीकरण भी प्रकाशित किया."
यह स्पष्टीकरण उन्होंने एएफ़पी के साथ भी साझा किया.