भारतीय राष्ट्रीय ध्वज पर बनाये गए स्क्रिप्टेड वीडियो को गलत दावे से शेयर किया गया
- प्रकाशित 28 अगस्त 2024, 15h36
- 3 मिनट
- द्वारा Sachin BAGHEL, एफप भारत
वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर 18 अगस्त 2024 को शेयर किया गया है.
इसके कैप्शन का एक हिस्सा है, "इन गद्दारों के साथ क्या किया जाए? गद्दारों को पहले भगवा ध्वज से तकलीफ होता था लेकिन अब तिरंगा झंडा से भी तकलीफ होने लगा है. कुछ हिंदू भाई एक गद्दार की दुकान पर तिरंगा झंडा लगाने गए, गद्दार ने बोला चाहे जो हो जाए मैं अपनी दुकान पर तिरंगा नहीं लगने दूंगा, कहीं और जाकर लगाओ."
वीडियो में मुस्लिम वेशभूषा में एक व्यक्ति कई लोगों को अपनी दुकान पर राष्ट्रीय ध्वज लगाने से रोकता हुआ दिखाई देता है. इसे 15 अगस्त के बाद से शेयर किया जा रहा है. इस मौके पर लोग अपने घरों, दुकानों आदि जगह पर तिरंगा लगाते हैं.
इसी तरह के दावे से यह वीडियो X पर यहां और फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया है.
हालांकि यह क्लिप एक लम्बे स्क्रिप्टेड वीडियो का हिस्सा है, जिसे सन्दर्भ से हटकर शेयर किया जा रहा है.
स्क्रिप्टेड वीडियो
कीफ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर 14 अगस्त, 2023 को "रितिक कटारिया" नामक यूट्यूब चैनल पर वीडियो का लम्बा वर्ज़न मिला (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो का शीर्षक, "तिरंगा पर हुई लड़ाई हिंदू के साथ मुस्लिम मां-बेटे की" है. इसके डिस्क्रिप्शन में 'मोटिवेशनल स्टोरी' टैग भी शामिल है.
नीचे गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट में मौजूद वीडियो (बाएं) और यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना की गई है.
ऑनलाइन शेयर हो रही क्लिप को यूट्यूब वीडियो के 57-सेकंड से देखा जा सकता है.
पूरा वीडियो देखने पर स्पष्ट होता है कि दुकानदार बार-बार कहता है कि वह "झंडे का अपमान नहीं होने दे सकता".
जैसे ही ये लोग आपस में झगड़ने लगते हैं, एक पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर आता है और दुकानदार उसे दिखाता है कि उसने दुकान के ऊपर एक बड़े आकार का तिरंगा लगाया हुआ है.
वह बताता है कि झंडे को हमेशा ऊँचे और प्रमुख स्थान पर ही लगाना चाहिए. वीडियो के अंत में सभी एक-दूसरे को गले लगाते नज़र आते हैं.
यूट्यूब चैनल को चलाने वाले रितिक कटारिया ने 23 अगस्त को एएफ़पी को बताया, "वीडियो स्क्रिप्टेड है और वास्तव में पिछले साल अगस्त में अपलोड किया गया था."
कटारिया ने बताया कि वह हिंदू हैं और उन्होंने वीडियो में मुस्लिम दुकानदार की भूमिका निभाई है.
वह आगे कहते हैं कि वीडियो "देश में भाईचारे को बढ़ावा देने और दूसरों के दृष्टिकोण का सम्मान करने" के उद्देश्य से बनाई गई थी.
एएफ़पी ने पहले भी वास्तविक घटनाओं के रूप में स्क्रिप्टेड वीडियो को प्रस्तुत करने वाले पोस्ट्स को यहां और यहां फ़ैक्ट चेक किया है.