2019 सीएए विरोध प्रदर्शन का पुराना वीडियो संभल हिंसा का बताकर शेयर किया गया

उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में 24 नवंबर को मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफ़ी शेयर किया गया जिसके साथ ये गलत दावा है कि पुलिस अधिकारियों ने संभल में मुस्लिम प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज किया. हालांकि झड़प का वीडियो असल में 2019 में हुए नागरिकता कानून के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान का है जिसे संभल से सैकड़ों किलोमीटर दूर गोरखपुर ज़िले में फ़िल्माया गया था.

एक फ़ेसबुक यूज़र ने 24 नवंबर, 2024 को वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "यूपी, संभल. इस वीडियो में पुलिस की बर्बरता देखिए! वीडियो देखे, मुसलमान के हाथ में न पत्थर है, न कोई हथियार! वे बस प्रदर्शन कर रहे थे! पर पुलिस ने लाठी डंडे बरसाना शुरू कर दिया! बहराइच में यही पुलिस मौन धारण की हुई थी?"

वीडियो में एक गली के अंदर भीड़ दिख रही है जिस पर पुलिस अधिकारियों द्वारा लाठीचार्ज किया जा रहा है; जिसमें ज़्यादातर प्रदर्शनकारी मुस्लिम हैं. 

दरअसल संभल में 24 नवंबर को कोर्ट के आदेश के बाद वकीलों की एक टीम, शाही जामा मस्जिद में सर्वे करने पहुंची थी. सर्वेक्षण का आदेश एक याचिका पर सुनवाई के बाद दिया गया था जिसका कहना था कि मस्जिद, हिंदू मंदिर की जगह पर बनाई गई थी. स्थानीय मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस सर्वे का विरोध किया जिसके बाद उनकी पुलिस से हिंसक झड़प हो गई (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 24 नवंबर 2024

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया की एक टीम को संभल में शाही जामा मस्जिद में प्रवेश करने से रोकने के दौरान सड़क पर हिंसा की शुरुआत हुई.

एक स्थानीय अधिकारी के अनुसार हिंसा में अब तक छह लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 20 पुलिस अधिकारी घायल हुए हैं (आर्काइव्ड लिंक).

कार्यकर्ता समूहों ने कई मस्जिदों पर दावा करते हुए कहा है कि इन्हें हिंदू मंदिरों के ऊपर बनाया गया था. इसमें बाबरी मस्जिद भी शामिल है, जिसे 1992 में तोड़ दिया गया था.

इसी तरह के गलत दावे से यह वीडियो X पर यहां और फ़ेसबुक पर यहां शेयर किया गया है.

हालांकि यह वीडियो हाल-फ़िलहाल का नहीं है बल्कि इसे 2019 में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में फ़िल्माया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

2019 का वीडियो

गूगल पर कीफ़्रेम की रिवर्स इमेज सर्च करने पर 31 दिसंबर, 2019 को यूट्यूब पर अपलोड की गई हूबहू वीडियो मिली (आर्काइव्ड लिंक).

यूट्यूब वीडियो का शीर्षक है, "भारतीय पुलिस ने नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनकारी को पीटा."

नीचे गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई क्लिप (बाएं) और 2019 के यूट्यूब पर शेयर किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है:

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गलत दावे की पोस्ट में शेयर की गई क्लिप (बाएं) और 2019 के यूट्यूब पर शेयर किए गए वीडियो (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

गूगल स्ट्रीट व्यू पर मौजूद तस्वीरों से पुष्टि होती है कि वीडियो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में शूट किया गया था, जो संभल से लगभग 510 किलोमीटर दूर है (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे गलत दावे की वीडियो (बाएं) और गूगल स्ट्रीट व्यू पर उसके संबंधित स्थान (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना दी गई है:

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गलत दावे की वीडियो (बाएं) और गूगल स्ट्रीट व्यू पर उसके संबंधित स्थान (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

यह क्लिप तब की है जब नागरिकता कानून के खिलाफ़ देश भर में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन चल रहे थें (आर्काइव्ड लिंक).

स्थानीय आउटलेट ईटीवी भारत ने बताया कि गोरखपुर में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके जवाब में पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए उन पर लाठियां बरसाईं (आर्काइव्ड लिंक).

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