पथराव करते श्रद्धालुओं का यह वीडियो कुंभ का नहीं, उत्तराखंड का है

उत्तराखंड में वार्षिक पथराव की परंपरा का एक पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर प्रयागराज में चल रहे कुंभ का बताकर शेयर किया जा रहा है. दावा किया जा रहा है कि कुंभ में श्रद्धालु के एक गुट ने दूसरों पर पथराव कर दिया. हालांकि यह दावा गलत है. यह वीडियो उत्तराखंड के चंपावत ज़िले में स्थित बरही देवी मंदिर में हर साल होने वाली पत्थरबाजी की परंपरा का है और इसे कुंभ से महीनों पहले अगस्त 2024 में फ़िल्माया गया था. 

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर एक यूज़र द्वारा 28 जनवरी 2025 को पोस्ट की गई वीडियो के ऊपर लिखा है, "महाकुंभ का नजारा, लो हो गया".

वीडियो में भीड़ को एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते देखा जा सकता है, जिनमें से कुछ बड़ी ढालों के साथ खुद को बचा रहे हैं.

देश भर से लोग कुंभ मेले में एकत्र हुए हैं, जो धार्मिक आस्था और अनुष्ठान स्नान का एक सहस्राब्दी पुराना हिंदू त्योहार है. इसमें छह सप्ताह की अवधि में 40 करोड़ तीर्थयात्रियों के शामिल होने की उम्मीद है. 

29 जनवरी को स्नान के दौरान हुई भगदड़ में कम से कम 30 लोग मारे गए, जिसके बाद यह वीडियो ऑनलाइन शेयर की गई (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर किये गए सोशल मीडिया पोस्ट का 29 जनवरी, 2025 को लिया गया स्क्रीनशॉट

X पोस्ट के मुताबिक, वीडियो में "भगवा आतंकवादियों" को मेले में व्यवधान पैदा करते हुए दिखाया गया है.

इसमें कहा गया, "अगर यहां एक भी मुस्लिम मौजूद होता तो भारतीय मीडिया इसे आतंकवादी हमला घोषित कर देता."

कैप्शन में स्पष्ट रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2019 की एक टिप्पणी पर निशाना साधते हुए कहा गया है, "इनको कपड़ों से पहचानो और इन्हें आतंकवादी की उपाधि दें."

कुछ हिंदू संगठनों ने मुसलमानों को मेले से प्रतिबंधित करने का आह्वान किया था, हालांकि सरकार की ओर से किसी के आने पर कोई आधिकारिक प्रतिबंध नहीं है (आर्काइव्ड लिंक).

कुंभ नहीं, उत्तराखंड

फ़ुटेज को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर समान वीडियो 23 अगस्त, 2024 को कुंभ मेला शुरू होने से कई महीने पहले इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया हुआ मिला (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो के ऊपर लिखा है: "बग्वाल 2024", जो कि उत्तराखंड राज्य के देवीधुरा शहर में मां बरही देवी मंदिर में एक वार्षिक उत्सव का नाम है (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर किये गए सोशल मीडिया पोस्ट (बाएं) और अगस्त 2024 में इंस्टाग्राम पर शेयर किया गया वीडियो (दाएं) की तुलना

त्योहार के दौरान लोगों के समूह एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं और लकड़ी की बड़ी ढालों की मदद से खुद को बचाने की कोशिश करते हैं.

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 2013 के एक अदालत के फैसले में कहा गया कि प्रतिभागियों को पत्थरों के बजाय फूल और फल फेंकने चाहिए, लेकिन स्थानीय लोगों द्वारा निर्देशों को काफ़ी हद तक नज़रअंदाज़ कर दिया गया है, क्योंकि वह मानते हैं कि खून की बलि न मिलने से देवी नाराज़ हो सकती हैं जिससे आपदा आ सकती है (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो एजेंसी न्यूज़फ्लेयर ने भी 19 अगस्त, 2024 को हुए आयोजन का वीडियो शेयर किया है जिसमें समान दृश्य देखे जा सकते हैं (आर्काइव्ड लिंक).

न्यूज़फ्लेयर के कैप्शन में कहा गया है कि इस अनुष्ठान में लगभग 200 प्रतिभागी घायल हो गए, जिसमें उपासक एक-दूसरे पर तब तक पत्थर फेंकते रहें जब तक कि पुजारी यह निर्धारित नहीं कर लेता कि "देवी मां बरही के लिए पर्याप्त खून बहाया गया है". 

एएफ़पी ने गूगल मैप्स पर मौजूद तस्वीरों से तुलना करके पुष्टि की कि वीडियो उत्तराखंड के मां बरही देवी मंदिर में ही फ़िल्माया गया है (आर्काइव्ड लिंक).

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ऑनलाइन शेयर किए गए वीडियो (बाएं) और गूगल मैप्स (दाएं) पर दिख रहा मां बरही देवी मंदिर

एएफ़पी ने कुंभ मेले के बारे में अन्य गलत दावों को यहां फ़ैक्ट चेक किया है.

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