
स्क्रिप्टेड वीडियो की क्लिप गलत सांप्रदायिक दावे से शेयर की गई
- प्रकाशित 13 मार्च 2025, 15h23
- 3 मिनट
- द्वारा Devesh MISHRA, एफप भारत
कॉपीराइट © एएफ़पी 2017-2025. इस कंटेंट के किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत पड़ेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
X पर 7 मार्च, 2025 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "इन सभी मुस्लिम लोगो का शुक्रिया अदा करता हूं जो यह गंगा जमुनी तहजीब में शराबोर हिंदू इनकी मुफ्त की इफ्तारी चाटने पहुंच गया उसकी जमकर खातिरदारी की और 2 मिनट में उसका सेकुलरिज्म का नशा और गंगा जमुनी तहजीब का नशा उतार दिया. दो-चार हड्डी और तोड़ देते तो ज्यादा मजा आ जाता. बहुत सस्ते में इस सेकुलर सूअर को छोड़ दिया यार."
वीडियो में भगवा कपड़े पहने एक व्यक्ति के साथ मुस्लिम पहनावे में दिख रहे कुछ व्यक्ति धक्का-मुक्की करते हैं.

X और फ़ेसबुक पर भी इसी तरह के दावे से वीडियो को शेयर किया गया है.
हालांकि वीडियो स्क्रिप्टेड है और इसमें ऐसी कोई भी वास्तविक घटना नहीं दिखाई गई है.
कीफ़्रेम्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर 6 अप्रैल, 2024 को यूट्यूब पर अपलोड किए गए इस वीडियो का एक लंबा संस्करण मिला. इसकी हेडलाइन है: "जब एक हिंदू संन्यासी इफ़्तार के लिए मुस्लिमों की मस्जिद में जाता है? हिंदू बनाम मुस्लिम सामाजिक प्रयोग (आर्काइव्ड लिंक)."

ऑनलाइन गलत दावे से शेयर की गई क्लिप, यूट्यूब वीडियो के 1:01 मिनट मार्क से शुरू होने वाले हिस्से से मेल खाती है, लेकिन मूल वीडियो का वह हिस्सा जहां ये दिखाया गया है कि यह एक स्क्रिप्टेड वीडियो है, उसे क्लिप में एडिट कर हटा दिया गया है.
मूल वीडियो में दिख रहे अभिनेता 15 सेकंड के मार्क पर एक डिसक्लेमर देते हैं कि यह वीडियो एक सामाजिक प्रयोग है.
वीडियो में मुस्लिम व्यक्ति की भूमिका निभाने वाला अभिनेता लड़ाई की शुरुआत करता है लेकिन बाकी लोग हस्तक्षेप करते हैं और अंत में हिंदू व्यक्ति के साथ सभी लोग इफ़्तार में भाग लेते हैं.
यूट्यूब चैनल प्रैंक बज़्ज़ अक्सर इसी तरह के स्क्रिप्टेड वीडियो पोस्ट करता है. हिंदू व्यक्ति की भूमिका निभाने वाला अभिनेता चैनल के अन्य वीडियो में भी दिखाई देता है.
चैनल के सह-संस्थापक और अभिनेताओं में से एक देवराज दास ने एएफ़पी को बताया कि वीडियो को "गलत सांप्रदायिक दावों के साथ शेयर किया गया है."
"हमने मस्जिद कमेटी की अनुमति से ही यह वीडियो बनाया है जिसमें हम सांप्रदायिक घृणा के खिलाफ़ वास्तविक हिंदू-मुस्लिम एकता दिखाने की कोशिश कर रहे थे."
एएफ़पी ने पहले भी स्क्रिप्टेड वीडियो को वास्तविक सांप्रदायिक घटनाओं के रूप में गलत तरीके से प्रस्तुत करने वाले दावों को यहां और यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.
