तस्वीर पाकिस्तान में हालिया ट्रेन हाईजैक के बाद की नहीं, 2011 सुसाइड बॉम्बिंग की है

मार्च 2025 में पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिमी इलाके में अलगाववादियों द्वारा ट्रेन हाईजैक में मारे गए लोगों के शव बरामद होने के बाद से एक तस्वीर सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल है जिसमें पाकिस्तानी झंडे से ढके कई ताबूत दिख रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि यह तस्वीर अलगाववादी संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी द्वारा ट्रेन हाईजैक में मारे गए पाकिस्तान आर्मी जवानों के शवों की है. हालांकि दावा गलत है. यह तस्वीर फ़रवरी 2011 में तालिबान सदस्य द्वारा पाक आर्मी सेंटर पर सुसाइड बॉम्बिंग में मारे गए जवानों के ताबूतों की है.

14 मार्च, 2025 को X पर शेयर की गई पाकिस्तानी झंडों से लिपटे ताबूतों की तस्वीर वाली पोस्ट के कैप्शन का शुरूआती हिस्सा है, "धन्यवाद बलूच भाईयों."

यह तस्वीर दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान के गरीब लेकिन खनिज समृद्ध बलूचिस्तान प्रांत में अलगाववादी बंदूकधारियों द्वारा ट्रेन हाईजैक के बाद शेयर हो रही है (आर्काइव्ड लिंक).

ट्रेन -- जिसमें लगभग 450 यात्री सवार थे -- हाईजैक की ज़िम्मेदारी बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने ली थी. ये उन कई अलगाववादी समूहों में से एक है जो बाहरी लोगों पर क्षेत्र के संसाधन लूटने का आरोप लगाते रहे हैं.

फ़रवरी 2019 में हुए पुलवामा हमले की ओर इशारा करते पोस्ट का कैप्शन है, "किसी की मौत पर खुशी मनाना हमें नहीं सिखाया गया पर,, पुलवामा आतंकी हमलें में 40 जवानों की मौत पर पाकिस्तानियों ने खुशी मनाई थी अब हमारा वक्त है (आर्काइव्ड लिंक)."

इस हमले के बाद भारत-पाक संबंधों में खटास आई; हमले की ज़िम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों ने ली थी.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का 2 अप्रैल 2025 को लिया गया स्क्रीनशॉट

इसी दावे से यह तस्वीर फ़ेसबुक पर यहां और X पर यहां शेयर की गई.

कीवर्ड सर्च से यही तस्वीर एएफ़पी के आर्काइव में मिली, जहां इसके कैप्शन में लिखा था कि इसे सेना की संचार विभाग द्वारा 10 फ़रवरी 2011 को जारी किया गया था. 

कहा गया है कि इसमें अधिकारी "10 फ़रवरी, 2011 को क्षेत्रीय राजधानी पेशावर से लगभग 30 किलोमीटर दूर मरदान में एक परेड के दौरान पाकिस्तानी सेना के रंगरूटों पर एक नाबालिग आत्मघाती हमलावर द्वारा किए गए हमले में मारे गए सेना के जवानों के अंतिम संस्कार के दौरान प्रार्थना करते हुए" दिखाई दे रहे हैं.

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट (बायें) और एएफ़पी आर्काइव्स (दायें) के स्क्रीनशॉट की तुलना

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें ब्रिटिश अखबार 'द इंडिपेंडेंट' द्वारा हमले के बारे में प्रकाशित एक रिपोर्ट में भी यह फ़ोटो मिला (आर्काइव्ड लिंक).

एएफ़पी ने पाकिस्तान ट्रेन हाईजैक से सम्बंधित और भी गलत सूचनाओं को यहां फ़ैक्ट चेक किया है.

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