पुराना फ़ुटेज हालिया कश्मीर हमले से जोड़कर गलत दावे से वायरल

भारत प्रशासित कश्मीर के पहलगाम में बंदूकधारियों द्वारा 22 अप्रैल, 2025 को कम से कम 26 लोगों की हत्या के बाद सोशल मीडिया पर एक पुरानी फ़ुटेज सामने आई जिसमें इसे गलत दावे के साथ हालिया हिंसा से जोड़ा गया है. हालांकि असल फ़ुटेज जुलाई 2020 में कश्मीर में हुए एक हमले के दौरान फ़िल्माई गयी थी.

फ़ेसबुक पर 23 अप्रैल, 2025 को शेयर किए गए वीडियो के ऊपर लिखा है, "पहलगाम हमले का वीडियो आया सामने."

इसमें एक मृत व्यक्ति के ऊपर बैठे बच्चे की तस्वीर देखी जा सकती है; आगे वीडियो में वही बच्चा एक वाहन में बैठे देखा जा सकता है.

पोस्ट को डिलीट किए जाने से पहले 400 से अधिक बार शेयर किया गया था. इसका कैप्शन है, "इस बच्चे की एकमात्र गलती है कि यह हिंदू है इसीलिए इसने अपने पिता को खो दिया."

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट का स्क्रीनशॉट, 29 अप्रैल 2025

पहलगाम में घातक हमला करने वाले बंदूकधारियों की तलाश में कई लोगों को हिरासत में लिया गया जिसके बाद से भारत प्रशासित कश्मीर में जनता के बीच नाराज़गी काफ़ी बढ़ गयी है (आर्काइव्ड लिंक).

नई दिल्ली ने हमले के बाद पाकिस्तान पर "सीमा पार आतंकवाद" को समर्थन देने का आरोप लगाया है.

इस्लामाबाद ने हमले में किसी भी भूमिका से इंकार करते हुए इससे पाकिस्तान को जोड़ने के प्रयासों को "बेतुका" बताया है.

जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पर्यटकों पर हमला करने वाले संदिग्ध तीन लोगों के पोस्टर जारी किए हैं -- जिनमें दो पाकिस्तानी और एक भारतीय है. उनका कहना है कि वे पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा समूह के सदस्य हैं, जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी संगठन है.

हमले के बाद फ़ेसबुक और X पर इसी तरह की पोस्ट शेयर की गई है जिसमें दृश्यों को हालिया बताकर गलत दावे से पेश किया गया है.

हालांकि गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च और कीवर्ड सर्च करने पर पता चला कि शव के ऊपर बैठे बच्चे की तस्वीर भारतीय मीडिया आउटलेट द न्यूज़ मिनट की 1 जुलाई, 2020 की रिपोर्ट में दी गई तस्वीर का फ़्लिप किया हुआ वर्ज़न है (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में कहा गया है कि मृत व्यक्ति बच्चे के दादा थे, जो कश्मीर के सोपोर ज़िले में एक हमले के दौरान मारे गए.

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गलत दावे की पोस्ट में वीडियो (बाएं) और द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट में तस्वीर की स्क्रीनशॉट तुलना

चलती गाड़ी में उसी बच्चे की क्लिप -- जिसे फ़्लिप किया गया है -- समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट में दिखाई देती है (आर्काइव्ड लिंक).

रिपोर्ट में कहा गया है कि  हमले के दौरान पुलिस अधिकारियों द्वारा एक तीन साल के बच्चे को बचाया गया.

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गलत दावे की पोस्ट की वीडियो (बाएं) और एएनआई के वीडियो की स्क्रीनशॉट तुलना

एएफ़पी ने 2020 में रिपोर्ट किया था कि घटना के बाद सैकड़ों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया और सरकारी बलों पर विद्रोही हमले के दौरान एक व्यक्ति की हत्या का आरोप लगाया, जिसमें एक सैनिक भी मारा गया था (आर्काइव्ड लिंक).

विद्रोहियों ने शहर में एक मस्जिद की छत से गोलीबारी की जिससे सुरक्षा बलों के साथ लड़ाई शुरू हो गई, अर्धसैनिक पुलिस के प्रवक्ता जुनैद खान ने एएफ़पी को बताया था.

बशीर अहमद खान के परिवार ने आरोप लगाया कि झड़प के दौरान खान को उनकी कार से बाहर निकाला गया और अर्धसैनिक बलों के जवानों द्वारा गोली मार दी गई.

उनके साथ यात्रा कर रहे उनके तीन वर्षीय पोते को बाद में उनकी छाती पर बैठे हुए देखा गया था.

हालांकि अर्धसैनिक और पुलिस बलों ने खान को गोली मारने के आरोपों से इनकार किया है.

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