नेपाल में धार्मिक यात्रा का पुराना वीडियो पशुपतिनाथ मंदिर में तोड़फोड़ के गलत दावे से वायरल

नेपाल में हाल ही में सोशल मीडिया बैन और राजनीतिक भ्रष्टाचार के खिलाफ़ शुरू हुआ युवाओं का व्यापक आन्दोलन हिंसक हो गया. लेकिन सोशल मीडिया पर शेयर किया गया एक वीडियो जिसमें दावा किया जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों ने पशुपतिनाथ मंदिर में तोड़फोड़ की, असल में पुराना है और नेपाल में एक धार्मिक परंपरा को दिखाता है. वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने एएफ़पी को बताया कि इसमें लोग मंदिर के गेट को हिलाते दिख रहे हैं, जो एक वार्षिक पर्व का हिस्सा है.

वीडियो X पर सितंबर 9, 2025 को शेयर किया गया जिसका कैप्शन है, "नेपाल में यह सिर्फ सोशल मीडिया की लड़ाई नहीं हो सकती यह एक सोची समझी राजनीति के तहत हिंदू आस्था पर प्रहार है भारत सरकार को इसमें समुचित हस्तक्षेप करना ही होगा, हिंदू राष्ट्र नेपाल के प्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर का गेट तोड़ने का प्रयास प्रदर्शनकारियों ने किया है."

क्लिप में कुछ लोग मंदिर के गेट की लोहे की सलाखों पर चढ़कर उसे हिलाते नज़र आते हैं. ऊपर लगे बोर्ड पर लिखा है "पशुपतिनाथ मंदिर", जो भगवान शिव के अनुयायियों के लिए सबसे पवित्र स्थलों में से एक है (आर्काइव्ड लिंक).

न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने के बाद नेपाल में विरोध प्रदर्शन भड़क उठे और अशांति फैल गई जिससे मंदिर की सुरक्षा कड़ी कर दी गई और इसे कुछ समय के लिए बंद भी कर दिया गया था (आर्काइव्ड लिंक्स यहां, यहां).

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गलत दावे से शेयर की गयी X पोस्ट का सितंबर 10, 2025 को लिया गया स्क्रीनशॉट, जिसमें एएफ़पी द्वारा लाल X मार्क जोड़ा गया है.

नेपाल में 8 सितंबर से शुरू हुए व्यापक प्रदर्शनों को दबाने की कोशिश में पुलिस की कार्रवाई में 19 लोगों की मौत हो गई. ये प्रदर्शन युवाओं के नेतृत्व में हुए, जो राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और धीमी आर्थिक प्रगति से जूझ रहे हैं (आर्काइव्ड लिंक).

इसके बाद देश में कानून व्यवस्था बहाल करने के लिए सेना ने कर्फ़्यू लगा दिया. दो दशकों की सबसे भीषण हिंसा में प्रधानमंत्री केपी ओली को इस्तीफ़ा देना पड़ा और प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन में आग लगा दी (आर्काइव्ड लिंक).

ऐसे समय पर मंदिर के गेट को हिलाते हुए लोगों का वीडियो X, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर भी प्रोटेस्ट से जोड़कर शेयर किया गया.

हालांकि यह वीडियो वास्तव में नेपाल में होने वाले एक सालाना धार्मिक पर्व का है जिसका हालिया प्रदर्शनों से कोई संबंध नहीं.

गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर यही फ़ुटेज टिकटॉक पर जुलाई 14, 2025 को "Hamro Jatra" नामक अकाउंट पर मिली (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो फ़ेसबुक पेज पर भी शेयर किया गया था, जिसके बायो में लिखा है कि यह नेपाली त्योहारों के महत्व को बताने के लिए समर्पित है (आर्काइव्ड लिंक).

वीडियो के नेपाली भाषा का कैप्शन है, "कौन जानता है पशुपतिनाथ मंदिर में होने वाले इस पर्व के बारे में? यह कौन सा पर्व है और कब मनाया जाता है? लोग गेट पर क्यों चढ़े हैं?"  

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गलत दावे की पोस्ट (बायें) और टिकटॉक वीडियो के स्क्रीनशॉट की तुलना

इन अकाउंट्स को चलाने वाले श्याम था ने एएफ़पी से पुष्टि की कि उन्होंने यह वीडियो पशुपतिनाथ मंदिर में "नक्साल भगवती जात्रा" के दौरान बनाया था. यह एक वार्षिक धार्मिक पर्व है, जो 29-31 मार्च, 2025 को मनाया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

उन्होंने एएफ़पी को 10 सितंबर, 2025 को बताया, "यह वीडियो किसी हिंसा या प्रदर्शन का नहीं, बल्कि एक धार्मिक परंपरा को दर्शाता है जिसमें मंदिर के मुख्य गेट को प्रतीकात्मक रूप से हिलाया जाता है. यह परंपरा धार्मिक विश्वास और रीति-रिवाजों से जुड़ी है. इस क्लिप को ऑनलाइन गलत दावे से हालिया अशांति से जोड़कर फैलाया गया है."

धार्मिक यात्रा के दौरान गेट हिलाने की परंपरा के पिछले वर्षों के वीडियो भी टिकटॉक पर देखे जा सकते हैं (आर्काइव्ड लिंक्स यहां, यहां).

गूगल कीवर्ड सर्च में सितंबर 9, 2025 को डॉ. के.एन. स्वामी -- जो काठमांडू में मंदिर के निकट स्थित वैदिक अनुसंधान गुठी के अध्यक्ष हैं -- का X पोस्ट मिला (आर्काइव्ड लिंक).

पोस्ट का कैप्शन है: "रात में पशुपतिनाथ की मौजूदा स्थिति. पशुपति शांत है. सेना सुरक्षा दे रही है. हम लगातार निगरानी कर रहे हैं. चिंता न करें कोई भी पशुपति को छू नहीं सकता." इसके साथ शेयर किये गये वीडियो में मंदिर परिसर खाली दिखाई देता है.

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X पोस्ट का सितंबर 11, 2025 को लिया गया स्क्रीनशॉट

स्वामी ने 10 सितंबर को एएफ़पी को यह भी बताया कि मंदिर के अंदर या उसके मुख्य प्रवेश द्वार पर कोई हमला नहीं हुआ.

उन्होंने कहा, "मैं इस समय मंदिर के अंदर हूं और यहां सबकुछ शांत है."

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