16 अगस्त, 2021 को काबुल हवाई अड्डे में अमेरिकी सैनिकों को पहरा देते देखती अफ़गानों (बाई) की भीड़ ( AFP / Shakib Rahmani)

ईराक़ और अफ़ग़ानिस्तान के समर्थन में 40,000 पूर्व अमेरिकी सैनिकों के मेडल लौटाने का दावा झूठा

  • यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
  • प्रकाशित 27 अक्टूबर 2021, 20h40
  • 3 मिनट
  • द्वारा एफप भारत
फ़ेसबुक पर हज़ारों बार देखा जा चुका एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल है कि अफ़ग़ानिस्तान और ईराक में कार्यरत रह चुके लगभग 40 हज़ार सेवानिवृत अमरीकी सैनिकों ने दोनों देशों के समर्थन में अपने पदकों का सामूहिक समर्पण कर दिया. ये पोस्ट भ्रामक है: वीडियो 2012 में अफ़ग़ानिस्तान और इराक़ पर अमेरिका के हमले के विरोध में 50 अमेरिकी सैनिकों के अपने पदक वापस करने को दिखाता है.

वायरल वीडियो को 7 अक्टूबर, 2021, को एक अंग्रेजी में लिखे फ़ेसबुक पोस्ट में शेयर किया गया था, जहां इसे 10,000 से अधिक बार देखा जा चुका है. इसे हिंदी कैप्शन के साथ यहां शेयर किया गया.

पोस्ट के कैप्शन में लिखा है, "अफगानिस्तान और इराक में लड़ने वाले 40,000 अमेरिकी सैनिकों ने इस्तीफा दे दिया और अफगानिस्तान और इराक के बेकसूर लोगों को मारने के लिए मिले अपने युद्ध पदक फेंक दिए. स्वीकार किया कि आतंक पर युद्ध एक नकली युद्ध था. उन्होंने अमरीकी सरकार के इशारे पर बेकसूर मासूमो को मौत के घाट उतारा है। वे अफगानिस्तान और इराक के लोगों से माफी मांग रहे हैं".

फुटेज में सेना की वर्दी में लोगों को अपने पदक वापस करने से पहले भीड़ से बात करते हुए भी दिखाया गया है.

वीडियो में एक जन कहतें है, "मैं इराक़ के लोगों और अफ़ग़ानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता से खड़ा हूँ और आतंकवाद के ख़िलाफ़ सेवा देने के लिये मिले इस मेडल को वापस करने के लिए यहां हूँ. उन देशों और दुनिया भर में हमने जो विनाश किया है, उसके लिए मुझे गहरा खेद है."

एक और व्यक्ति कहते हैं, "इन युद्धों के कारण हुए मानवीय नुकसान की भरपाई कोई पदक, रिबन या झंडा नहीं कर सकता. हमें यह कचरा नहीं चाहिए."

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27 अक्टूबर, 2021, को लिया गया भ्रामक पोस्ट का स्क्रीनशॉट

11 सितंबर, 2001 के हमलों के बाद शुरू हुए दो दशक के क़ब्ज़े को समाप्त करते हुए, अमेरिकी सेना ने अगस्त में अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुला लिया था.

इराक़ में, तानाशाह सद्दाम हुसैन को बाहर करने के लिए 2003 का अमेरिकी आक्रमण भी आठ साल बाद समाप्त हो गया था. बाद में 2014 में विद्रोही समूहों से जूझ रहे गठबंधन का नेतृत्व करने के लिए सैनिकों की फिर से वापसी हुई थी. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने जुलाई में कहा था कि देश में अमेरिकी युद्ध अभियान इस साल समाप्त हो जाएगा.

वीडियो को इसी तरह के दावे के साथ फ़ेसबुक पर यहां और यहां शेयर किया गया था.

हालांकि, ये पोस्ट भ्रामक है.

गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर अमेरिका के प्रोग्राम "डेमोक्रेसी नाउ!" द्वारा यूट्यूब पर 21 मई 2012 को पोस्ट किए गए वीडियो का लंबा प्रारूप मिला. वीडियो का कैप्शन है, "नो NATO, नो वॉर": “ईराक़ और अफ़ग़ानिस्तान युद्ध में शामिल अमेरिकी सेना के पूर्व सैनिक अपना पदक वापस करते हुए.”

भ्रामक पोस्ट में शेयर किया गया वीडियो 05:11 मिनट से शुरू होता है.

वीडियो कैप्शन के मुताबिक़, "सेना के लगभग 50 दिग्गजों" ने अपने पदक वापस किये थे, न कि 40,000, जैसा कि भ्रामक पोस्ट में दावा किया गया है.

वीडियो के कैप्शन में लिखा है, “रविवार को, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान युद्ध के दिग्गजों के साथ-साथ ‘अफ़ग़ान फॉर पीस’ के सदस्यों ने हजारों लोगों के शांति मार्च का नेतृत्व किया. युद्ध के खिलाफ इराक़ के दिग्गजों ने भी एक समारोह आयोजित किया जहां लगभग 50 पूर्व सैनिकों ने अपने युद्ध पदकों को फेंक दिया, जहां NATO शिखर सम्मेलन होना था.”

AFP ने "उन पूर्व सैनिकों के समूह पर रिपोर्ट की, जिन्होंने सड़क पर अपने पदक फेंकने से पहले युद्ध के विरोध के बारे में काफ़ी भावुकता से बात की थी.”

यह कार्यक्रम शिकागो में युद्ध-विरोधी एक प्रदर्शन में आयोजित किया गया था, जहां नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन (NATO) के नेताओं ने अफ़ग़ानिस्तान पर केंद्रित एक शिखर सम्मेलन के लिए मुलाकात की थी.

अधिकारियों ने कहा कि अनुमानित 3,000 से 5,000 लोगों ने शहर में मार्च किया, लेकिन बाद में सड़क को खाली करने के आदेशों की अनदेखी करने के बाद कुछ प्रदर्शनकारी दंगा पुलिस से भी भिड़ गए थे.

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