भाजपा कार्यकाल में जर्जर स्कूलों की तस्वीरों को समाजवादी पार्टी के समय का बता शेयर
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों की सरगर्मी तेज है लेकिन इसी दौरान भाजपा के कई नेताओं ने एक स्कूल की तस्वीर की शेयर कर दावा किया कि ये जर्जर स्कूल समाजवादी पार्टी की 2012-2017 की सरकार में बनाया गया था. ये दावा भ्रामक है; ये तस्वीर आनलाइन न्यूज़ रिपोर्ट्स में 2017 से मौजूद है जब प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी. जिस मीडिया संस्थान में ये तस्वीर प्रकाशित की गई है उन्होंने AFP को बताया कि ये तस्वीरें 2017 से 2021 के बीच ही खींची गई हैं.
4 जनवरी 2022 को यहां एक ट्वीट के कैप्शन में लिखा है, "फ़र्क़ साफ़ है."
इस ट्वीट में तीन ख़ाली भवनों की तस्वीर शेयर की गई है जिसके हेडर में लिखा है, "2017 से पहले."
इसके अलावा इस ट्वीट में तीन और तस्वीरे हैं जिसमें एक साफ़ सुथरे माहौल में बच्चे स्कूल की यूनिफ़ॉर्म पहने स्कूल में बैठे दिखाई दे रहे हैं, इसके हेडर में लिखा है, "2017 के बाद."
तस्वीर के ऊपर टेक्स्ट में लिखा है, "2017 से पहले समाजवादी पार्टी की सरकार में स्कूलों की स्थिति और 2017 के बाद योगी सरकार में स्कूलों की स्थिति."

फ़ेसबुक पर कई भाजपा नेताओं ने यही तस्वीरें यहां, और यहां; साथ ही ट्विटर पर यहां और यहां शेयर की है.
हालांकि, ये पोस्ट भ्रामक है. जर्जर अवस्था वाले भवनों की ये तस्वीरें 2017 से ही तमाम मीडिया रिपोर्ट्स में प्रकाशित हो रही हैं.
पहली तस्वीर
रिवर्स इमेज सर्च से हमने पाया कि पहली तस्वीर अमर उजाला अख़बार में 7 जनवरी 2021 को प्रकाशित की गई थी.
ख़बर के साथ कैप्शन में लिखा है: "मुज़फ़्फ़रनगर के ज़फ़रपुर में स्कूल की बिल्डिंग जर्जर अवस्था में."
अमर उजाला के मेरठ ब्यूरो के एडिटर राजेंद्र सिंह जो मुज़फ़्फ़रनगर का इलाक़ा भी कवर करते हैं, उन्होंने 31 जनवरी 2022 को AFP को बताया कि, "ये तस्वीर जनवरी 2021 को खींची गई है न कि 2017 के पहले, भ्रामक पोस्ट का दावा ग़लत है."
"उस स्टोरी में जितनी तस्वीरें हैं वो सब 2021 की हैं. स्टोरी प्रकाशित होने के एक सप्ताह पहले ये सारी तस्वीरें हमारे मुज़फ़्फ़रनगर के स्ट्रिंगर ने खींची थीं. ये तस्वीरें पुरानी नहीं हैं."
ये ख़बर मुज़फ़्फ़रनगर में सरकारी स्कूलों की जर्जर अवस्था पर है. अमर उजाला की खोजी रिपोर्ट के अनुसार इस इलाक़े में लगभग 111 स्कूल दयनीय स्थिति में हैं.
नीचे स्कूल की तस्वीरें से जुड़ी भ्रामक पोस्ट (बायें) और अमर उजाला की तस्वीर (दायें) के बीच एक तुलना है.

दूसरी तस्वीर
पुराने स्कूल की बिल्डिंग की दूसरी तस्वीर को भी रिवर्स इमेज सर्च करने पर ये हमें 8 अगस्त 2018 को उत्तर प्रदेश की एक लोकल न्यूज़ वेबसाइट uttarpradesh.org पर प्रकाशित मिली.
यह रिपोर्ट चित्रकूट के एक स्कूल में बाढ़ की स्थिति पर थी. फ़ोटो के कैप्शन में लिखा है: "कॉपीराइट @Uttarpradesh.org; प्राइमरी स्कूल में भरा पानी: शिक्षकों और छात्रों को करना पड़ रहा भारी दिक़्क़तों का सामना."
फ़ोटो के एक दाहिने में निचले हिस्से में एक "8-8-2018" ये तारीख़ भी स्टांप की हुई है, और इसी तारीख़ को ये आर्टिकल प्रकाशित भी किया गया है. बिल्कुल यही स्टांप जिसमें तारीख़ दिख रही है उसे भ्रामक पोस्ट में भी शेयर किया गया है.
भ्रामक पोस्ट के संबंध में बात करने पर uttarPradesh.org के प्रवक्ता ने AFP को बताया कि, "हमारी स्टोरी जिस तरह से वेबसाइट पर प्रकाशित हुई है वो बिल्कुल सही है हम उसपर अडिग हैं. उस तस्वीर को अगर कोई भ्रामक तरीक़े से शेयर करता है तो हम उसके ज़िम्मेदार नहीं हैं."
नीचे भ्रामक पोस्ट में प्रयोग की गई स्कूल की तस्वीर (बायें) और uttarPradrsh.org की वेबसाइट की तस्वीर (दायें) के बीच एक तुलना है.

तीसरी तस्वीर
तीसरी तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च करने पर एक स्थानीय वेबसाइट न्यूज़ अड्डा में 17 दिसंबर 2020 को प्रकाशित एक लेख में जीर्ण अवस्था में एक स्कूल की इमारत की तस्वीर मिली.
ये ख़बर कुशीनगर के एक स्कूल की थी जिसे शिक्षकों की अनुपलब्धता की वजह से अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था.
न्यूज़ अड्डा के डेस्क एडिटर नवनीत द्विवेदी ने AFP को बताया कि ये तस्वीर उनके थे स्टाफ़ रिपोर्टर में 17 दिसंबर 2020 को खींची थी.
नीचे भ्रामक पोस्ट की स्कूल बिल्डिंग की तस्वीर (बायें) और न्यूज़ अड्डा की तस्वीर (दायें ) के बीच एक तुलना है.

हालांकि जिन तस्वीरों के हेडर में लिखा है '2017 के बाद' वो सभी तस्वीरें उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान की ली गई हैं.
ये तस्वीरें ट्विटर पर यहां आर्यन मिश्र द्वारा दिसंबर 2021 को पोस्ट की गई हैं. जो कि एक खगोल विज्ञानी छात्र है जिसने उत्तर प्रदेश के एक सरकारी स्कूल में खगोल विज्ञान की प्रयोगशाला की स्थापना की है.
ट्वीट के मुताबिक़ ये तस्वीरें बुलंदशहर के एक स्कूल में खगोल विज्ञान की प्रयोगशाला की हैं.
AFP से बात करते हुए आर्यन मिश्र ने कहा कि ये प्रयोगशाला अगस्त 2021 को स्थापित की गई थी.
