
अफ़ग़ानिस्तान के पंजशीर महल में नहीं मिली कृष्ण और पांडवों की तस्वीर
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 28 सितम्बर 2021, 08h53
- 3 मिनट
- द्वारा एफप भारत
कॉपीराइट © एएफ़पी 2017-2025. इस कंटेंट के किसी भी तरह के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए सब्सक्रिप्शन की ज़रूरत पड़ेगी. अधिक जानकारी के लिए यहां क्लिक करें.
यह तस्वीर 16 सितम्बर, 2021 को एक फ़ेसबुक पोस्ट में यहां शेयर की गयी.
इसके कैप्शन में लिखा है, “यह पेंटिंग पंजशीर पैलेस में मौजूद है. यह महाभारत के समय से ले कर वर्तमान के अफगानिस्तान में गांधार साम्राज्य में स्थित है.” पोस्ट में आगे और भी कई दावे किये गए हैं.
इस पोस्ट को बहुत लोगों ने शेयर किया है.
गांधार प्राचीन राज्य है जो अब अफ़ग़ानिस्तान और उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान में पड़ता है. महाभारत में गांधार को प्राचीन भारत के 16 जनपदों में से एक बताया गया है.

इस तस्वीर में हिन्दू देवता कृष्ण और पांच पांडव साथ बैठे हुए हैं और कई लोगों का दावा है कि यह पेंटिंग पंजशीर को दर्शाती हैं और वही किसी महल में मौजूद है.
पोस्ट का कैप्शन आगे कहता है, “लेकिन, अब सुन्नी-संप्रदाय के प्रभुत्व वाले तालिबानों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है. इतिहासकार जो कि वास्तव में भारत के इतिहास को जानते हैं, वो इस बात से डरते हैं कि अफगानिस्तान हिन्दूविहीन हो जायेगा और मौजूद प्राचीन हिंदू यादगारें नष्ट हो जाएंगी.”
बता दें कि हाल ही में तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर वापस कब्ज़ा कर लिया है. इसी के बाद से यह पोस्ट शेयर किया जा रहा है. तालिबान ने सितम्बर 2021 की शुरुआत में पंजशीर पर कब्ज़ा करने का दावा करते हुए जश्न मनाया था.
यह तस्वीर ऐसे ही दावों के साथ फ़ेसबुक पर यहां, यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर की गयी.
लेकिन यह दावा भ्रामक है.
इसका गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर ऐसी ही पेंटिंग मिलती है जिसका टाइटल है, “कृष्ण और पांडव.”
यह एक रूसी कला की वेबसाइट Art Spb पर मौजूद है इसे बनाने का श्रेय रूसी कलाकार रासिकानंद दास को दिया गया है.
नीचे भ्रामक पोस्ट वाली तस्वीर (L) और रूसी वेबसाइट पर मिली तस्वीर (R) की तुलना देख सकते हैं.

इस आर्ट गैलरी में दी गयी जानकारी के मुताबिक रासिकानंद दास रूसी शहर कोमसोमोल्स्क-ऑन-अमूर से हैं.
इसमें यह भी बताया गया है कि वो क्रिएटिव यूनियन ऑफ़ आर्टिस्ट्स ऑफ़ रशिया और इंटरनेशनल फ़ेडेरेशन ऑफ़ आर्टिस्ट्स के सदस्य हैं.
उन्होंने अपने फ़ेसबुक प्रोफाइल से यह तस्वीर शेयर करते हुए सभी दावों का खंडन किया.
रासिकानंद ने AFP को बताया कि उन्होंने यह पेंटिंग 1999 ने रूस के सोची में बनायी थी.
उन्होंने इस बात का भी खंडन किया कि इस पेंटिंग का पंजशीर के किसी महल या अफ़ग़ानिस्तान से कोई वास्ता है.
उन्होंने कहा, “इस चित्र की प्रेरणा श्रीमद भागवतम के सांतवें श्लोक से ली गयी है. यह चित्र मेरी रचना है और यह पंजशीर नहीं है.”
रासिकानंद ने ये चित्र 1999 में स्वीडन के कोरसनस गार्द के इस्कॉन मंदिर के भक्तिवेदांता बुक ट्रस्ट (BBT) आर्काइव को सौंप दिया था.
उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी किसी नक़ल के बारे में जनकारी नहीं है.
इस पेंटिंग को प्रकाशित करने वाली वेबसाइट ArtSpb ने भी AFP को बताया कि रासिकानंद ने 1999 में स्वीडन के BBT हाउस को यह पेंटिंग भेजी थी.
AFP ने पहले भी ऐसे भ्रामक पोस्ट्स का सत्यापन किया है जिसमे दावा किया गया था कि न्यू यॉर्क के टाइम्स स्क्वॉयर में हिन्दू देवता की तस्वीर लगी है.
