लोगों की बर्बर पिटाई का ये वीडियो सूडान नहीं इथियोपिया से है

एक विचलित कर देने वाला वीडियो फ़ेसबुक और ट्विटर पर शेयर करते हुए इसे भ्रामक दावों के साथ सूडान में चल रहे सैन्य संघर्ष से जोड़ा जा रहा है. दावा किया गया है कि मुख्यतः सुन्नी मुस्लिम आबादी वाले सूडान में लोग 'अपने' ही लोगों के साथ बर्बरता कर रहें हैं. हालांकि असल वीडियो इथियोपिया के गम्बेला में 2022 में हुई हिंसा का है. एक मानवाधिकार संगठन के मुताबिक सैनिकों ने वहां लोगों के घरों में जाकर उन्हें मारा था.
चेतावनी: विचलित कर देने वाले दृश्य

फ़ेसबुक यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, “सूडान जहां मुख्यतः जनसंख्या सुन्नी मुसलमानो की है वर्चस्व की लड़ाई में अपने ही लोगो का ये हाल कर रहे है. वहां पर फंसे भारतीयों का क्या हाल होगा. ये तो धन्य है भारत में मोदी जी की मजबूत सरकार है, जिस के कारण हम भारतीयों को वहां से निकाल पा रहे है.”

इस विचलित कर देने वाले वीडियो में खाकी वर्दी पहने लोग ज़मीन पर पड़े कई लोगों को बुरी तरह मार रहे हैं.

मालूम हो कि सूडान में अप्रैल के शुरुआत से ही सेना और अर्धसैनिक बल के बीच हिंसक टकराव जारी है. 18 महीने पहले सेना ने तख़्तापलट करते हुए देश की लोकतांत्रिक सरकार को हटा दिया था (आर्काइव)

इस गृहयुद्ध में सैकड़ों लोग जान गंवा चुके हैं और लाखों लोगों को देश छोड़ना पड़ा है. ये युद्ध असल में सेना प्रमुख अब्देल फतह अल-बुरहान और उनके ही डिप्टी और अर्धसैनिक बल रैपिड सपोर्ट फ़ोर्सेस (आरएसएफ़) चीफ़ मोहम्मद हमदान डगालो के बीच है जो अब आमने-सामने हैं.

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गलत दावे से शेयर किये गए फ़ेसबुक पोस्ट का मई 16, 2023 को लिया गया स्क्रीनशॉट

यूज़र्स ने यही दावा फ़ेसबुक पर यहां और यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीयों को सूडान से वापस लाने के लिए सराहना की (आर्काइव).

सूडान नहीं इथियोपिया की घटना

वीडियो की जांच करने पर हमने पाया कि ये सूडान नहीं बल्कि इथियोपिया का है.

वीडियो में 1 मिनट 48 सेकंड के टाइमस्टाम्प पर खाकी वर्दी पहने एक आदमी की वर्दी पर एक झंडे का बैज दिख रहा है जिसपर काले, हरे, सफ़ेद और लाल रंग की पट्टियां हैं. बीच में एक सितारा भी लगा हुआ है.

इस झंडे की तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च करने पर मालूम चला कि ये इथियोपिया के गम्बेला प्रदेश का झंडा है (आर्काइव).

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फ़ेसबुक वीडियो का अप्रैल 28, 2023 को लिया गया स्क्रीनग्रैब; एएफ़पी द्वारा मैग्नीफ़ायर जोड़ा गया है
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शटरस्टॉक वेबसाइट का मई 15 , 2023 को लिया गया स्क्रीनग्रैब

 

 

वीडियो में 1 मिनट 30 सेकंड के टाइमस्टाम्प पर वही व्यक्ति इथियोपियाई पानी की कंपनी “वन वॉटर” की बोतल पकड़े हुए नज़र आता है.

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एएफ़पी द्वारा वीडियो का लिया गया स्क्रीनशॉट जिसे चिन्हित किया गया है

इसके बारे में कीवर्ड सर्च करने पर “वन वाटर इथियोपिया” की वेबसाइट मिली जिसकी फ़ैक्ट्री राजधानी अदीस अबाबा के दक्षिणपश्चिम में स्थित है (आर्काइव). कीवर्ड "Gambella soldiers killing video" सर्च करने पर इथियोपियन ह्यूमन राइट्स कमीशन (EHRC) का एक ट्वीट मिला जिसमें वायरल वीडियो का एक स्क्रीनशॉट है (आर्काइव).

नीचे भ्रामक पोस्ट वाले वीडियो (बाएं) और वन वाटर की वेबसाइट पर पोस्ट की गयी बोतल की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है:

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भ्रामक पोस्ट वाले वीडियो (बाएं) और वन वाटर की वेबसाइट पर पोस्ट की गयी बोतल की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

अम्हारिक भाषा की इस ट्वीट में कहा गया है, “सोशल मीडिया पर कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा लोगों को पीटने और जान से मारने के वीडियो के बाबत.” इस ट्वीट में एक रिपोर्ट का लिंक भी दिया गया है (आर्काइव).

"EHRC पुष्टि करता है कि यह 14 जून से 16 जून के बीच गैम्बेला शहर में क्षेत्रीय सुरक्षा बलों द्वारा कम से कम 50 नागरिकों की हत्या पर अपनी रिपोर्ट में जाँच की गई और सम्मिलित घटनाओं में से एक है.”

नीचे भ्रामक पोस्ट वाले वीडियो (बाएं) और EHRC के ट्वीट में पोस्ट की गयी तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है:

देखें छिपाएं

चेतावनी

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भ्रामक पोस्ट वाले वीडियो (बाएं) और EHRC के ट्वीट में पोस्ट की गयी तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

EHRC ने गम्बेला में सुरक्षा अधिकारियों पर घर-घर जाकर लोगों को मारने का आरोप लगाया. एएफ़पी की जून 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक उन्हें शक था कि ये लोग उन बागियों से मिले थे जिन्होंने शहर पर हमला किया था (आर्काइव).

बता दें कि इथियोपियाई सरकार द्वारा आतंकी संगठन घोषित ओरोमो लिबरेशन आर्मी (ओएलए) और सेना के बीच इस घटना के बाद घंटो लम्बी गोलीबारी हुई थी.

गौरतलब है कि ओएलए 2018 में ओरोमो लिबरेशन फ़्रंट (ओएलएफ़) से अलग होने के बाद से सरकार से लड़ रही है. विपक्षी ओएलएफ़ पार्टी ने 2018 में हथियारबद्ध लड़ाई छोड़ देने का फ़ैसला किया था.

अधिकारियों ने अम्हारास को टारगेट करते कई हत्याकांड के लिए इस समूह को ज़िम्मेदार ठहराया है. हालांकि आतंकियों ने इनमें हाथ होने से इंकार किया है.

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