बालासोर ट्रेन हादसे के लिए “मुस्लिम रेलवे कर्मचारी” को ज़िम्मेदार ठहराता ये दावा गलत है

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  • प्रकाशित 15 जून 2023, 13h52
  • 3 मिनट
  • द्वारा Uzair RIZVI, एफप भारत
  • अनुवाद और अनुकूलन Anuradha PRASAD
सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति की तस्वीर शेयर करते हुए दावा किया गया है कि “मोहम्मद शरीफ़ अहमद” नाम का ये रेलवे कर्मचारी बालासोर में हुए हालिया ट्रेन दुर्घटना का ज़िम्मेदार है. पोस्ट्स के मुताबिक तस्वीर में दिख रहा शख्स पिछले दशकों में भारत की सबसे भयंकर ट्रेन दुर्घटना के लिए ज़िम्मेदार है जिसमें कम से कम 288 लोग मारे गए थें. हालांकि एएफ़पी को रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि ये व्यक्ति रत्नाकर राव है जो दुर्घटना स्थल से इतर किसी अन्य राज्य में रेलवे कर्मचारी के तौर पर तैनात रह चुके हैं.

एक ट्विटर यूज़र ने 5 जून, 2023 को ये तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, “अभी तक 300 से ज्यादा को मौत की नींद सुलाने वाला और 900 से ज्यादा को गंभीर घायल करने वाला उड़ीसा का ट्रेन एक्सीडेंट जिस स्टेशन पर हुआ उसका नाम है बहानागा स्टेशन*इस स्टेशन के स्टेशन मास्टर का नाम है *मोहम्मद शरीफ अहमद*एक्सीडेंट की जाँच के आदेश के बाद फ़रार है.”

इसे अब तक 2,600 से ज़्यादा बार रीट्वीट और 8,000 से ज़्यादा बार लाइक किया जा चुका है. इसमें एक व्यक्ति कण्ट्रोल स्टेशन के समीप खड़ा नज़र आ रहा है.

मालूम हो कि ओडिशा के बालासोर में बहनागा बाज़ार स्टेशन के पास जून 2 को हुए भीषण ट्रेन दुर्घटना में अब तक 288 लोगों की मृत्यु हो चुकी है. हादसे के कारण पर फ़िलहाल कोई आधिकारिक रिपोर्ट जारी नहीं की गयी है पर स्थानीय मीडिया के मुताबिक प्राथमिक जानकारी बताती है कि ये टक्कर सिस्टम में किसी मानवीय चूक के कारण हुई थी (आर्काइव्ड लिंक).

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भ्रामक पोस्ट का 7 जून, 2023 को लिया गया स्क्रीनशॉट

यही तस्वीर भ्रामक दावे से फ़ेसबुक पर यहां; और ट्विटर पर यहां और यहां शेयर की गयी.

यूज़र्स के कमेंट्स देख कर मालूम होता है उन्होंने दावे को सच मान लिया है.

एक यूज़र ने लिखा, “अभी तो बहुत से राज निकलेंगे, इस घटना मे किसी बड़े गिरोह का हाथ है.”

एक अन्य ने कहा, "एक मुस्लिम पर कभी भरोसा मत करना."

तस्वीर का गलत इस्तेमाल

हालांकि बहनागा रेलवे स्टेशन के एक कर्मचारी जेके नायक के मुताबिक वहां मोहम्मद शरीफ़ अहमद नाम का कोई कर्मचारी है ही नहीं.

उन्होंने एएफ़पी से कहा, “तस्वीर में दिख रहा व्यक्ति इस रेलवे स्टेशन पर कार्यरत नहीं है.”

स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स (यहां और यहां) के मुताबिक भी घटना के समय कार्यरत कर्मचारी का नाम एसबी मोहंती है (आर्काइव्ड लिंक्स यहां और यहां).

इस वायरल तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर ये दिल्ली के एक फ़ोटोग्राफ़र विकास चन्दर के ब्लॉग पर मिला (आर्काइव्ड लिंक)

इस पोस्ट में चन्दर ने शख़्स का नाम नहीं बताया है लेकिन ये लिखा है कि तस्वीर 2004 में आंध्र प्रदेश के बोर्रा गुहालु रेलवे स्टेशन पर ली गयी थी (आर्काइव्ड लिंक).

नीचे भ्रामक पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और विकास चन्दर के ब्लॉग की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना है जिसमें जगह के नाम को एएफ़पी ने हाईलाइट किया है:

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भ्रामक पोस्ट की तस्वीर (बाएं) और विकास चन्दर के ब्लॉग की तस्वीर (दाएं) के स्क्रीनशॉट की तुलना

भारतीय रेलवे के एक प्रवक्ता जयराम ने तस्वीर में दिख रहे शख़्स की पहचान रत्नाकर राव के तौर पर की है जो 2004 के समय वाल्टेयर डिवीज़न के बोर्रा गुहालु स्टेशन पर कार्यरत थें.

उन्होंने एएफ़पी को बताया, “उनका बहनागा बाज़ार स्टेशन या इस दुर्घटना से कोई सम्बन्ध नहीं है.”

एएफ़पी ने इससे पहले ट्रेन दुर्घटना से जुड़े एक और ऐसे दावे का फ़ैक्ट-चेक किया है जिसके मुताबिक घटनास्थल के पास एक मस्जिद मौजूद होने की बात कही गयी थी.

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