वर्ष 2015 में नेपाल में आये भूकंप की फ़ुटेज तिब्बत की हालिया प्राकृतिक आपदा से जोड़कर वायरल
- प्रकाशित 14 जनवरी 2025, 12h22
- 3 मिनट
- द्वारा Tommy WANG, Sophia XU, Joyce ZHANG, AFP हॉन्ग कॉन्ग, एफप भारत
- अनुवाद और अनुकूलन Akshita KUMARI
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सोशल मीडिया साइट फ़ेसबुक पर 7 जनवरी, 2025 को शेयर की गई पोस्ट का कैप्शन है, "भूकंप से हिली पूरी धरती और कई जगहों पर भी किया गया महसूस. कुछ ऐसा नजारा था नेपाल में भूकंप के समय."
पोस्ट में कथित तौर पर चीन के सुदूर तिब्बत क्षेत्र में आए विनाशकारी भूकंप के नेपाल पर पड़े प्रभाव को दिखाने का दावा किया गया है (आर्काइव्ड लिंक).
जबकि भूकंप के झटके नेपाल और भारत में भी महसूस किए गए थे, इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
क्लिप में सड़क के बीचो-बीच एक लम्बी दरार दिखाई देती है.
इसी तरह के गलत दावे से ये पोस्ट सोशल मीडिया साइट X और इंस्टाग्राम पर शेयर की गई है (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).
हालांकि वीडियो पुरानी है और तिब्बत में आए भूकंप से एक दशक पहले नेपाल में आए भूकंप की है.
इस वीडियो को नेपाल में अप्रैल 2015 में आए 7.8 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप के बाद शूट किया गया था, जिसमें लगभग 9,000 लोग मारे गए थे और लाखों लोग बेघर हो गए थे (आर्काइव्ड लिंक).
2015 नेपाल भूकंप
वीडियो के कीफ़्रेम को गूगल रिवर्स इमेज सर्च करने पर हूबहू वही फ़ुटेज ब्रिटिश अखबार द गार्जियन द्वारा 26 अप्रैल, 2015 को समाचार एजेंसी रॉयटर्स को श्रेय देते हुए प्रकाशित किया हुआ मिला (आर्काइव्ड लिंक).
वीडियो के कैप्शन का एक हिस्सा कहता है, "शनिवार को क्षेत्र में आए विनाशकारी 7.9 तीव्रता के भूकंप के बाद वीडियो में नेपाल में एक सड़क के बीच में बड़ी दरारें दिखाई देती हैं."
नीचे गलत पोस्ट में शेयर किए गए क्लिप (बाएं) और द गार्जियन द्वारा प्रकाशित वीडियो (दाएं) की तुलना का स्क्रीनशॉट दिया गया है.
यह क्लिप ब्रिटिश ब्रॉडकास्टर चैनल 4 न्यूज़ और बंगाली समाचार चैनल एबीपी आनंदा द्वारा 2015 नेपाल भूकंप सम्बंधित न्यूज़ रिपोर्ट्स में भी प्रकाशित किया गया था (आर्काइव्ड लिंक यहां और यहां).
एएफ़पी ने फ़ुटेज को काठमांडू में त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास रिंग रोड के एक हिस्से में जियोलोकेट किया (आर्काइव्ड लिंक).
अक्टूबर 2023 में ली गई गूगल स्ट्रीट व्यू इमेजरी से पता चलता है कि आसपास की इमारतें, सड़क के निशान, स्ट्रीटलाइट्स और खंभे गलत दावे से शेयर की गई क्लिप में दिख रही चीज़ों से मेल खाते हैं (आर्काइव्ड लिंक).
नीचे द गार्जियन द्वारा प्रकाशित वीडियो (बाएं) और गूगल स्ट्रीट व्यू इमेजरी (दाएं) के स्क्रीनशॉट्स की तुलना है, जिसमें एएफ़पी द्वारा समानताएं हाइलाइट की गई हैं.
एएफ़पी ने तिब्बत में आए भूकंप के बाद सोशल मीडिया पर फैल रही फ़र्ज़ी सूचनाओं को यहां फ़ैक्ट-चेक किया है.