कोलकाता में फ़िल्माया गया पुराना वीडियो मणिपुर में विरोध प्रदर्शन के दावे से शेयर किया गया

दो साल की अशांति के बाद मणिपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर में अपनी पहली यात्रा की जिसके बाद से सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर यह दावा किया जा रहा है कि मणिपुर में 'वोट चोरी' और मोदी के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन किए गए. हालांकि दावा गलत है और वीडियो पश्चिम बंगाल में फ़िल्माया गया है.

फ़ेसबुक पर सितंबर 13, 2025 को शेयर की गई एक पोस्ट का कैप्शन है, "मणिपुर की जनता ने मोदी, RSS, भाजपा को नकारा है."

पोस्ट में हाल ही में नेपाल में हुए विरोध प्रदर्शनों का ज़िक्र करते हुए आगे लिखा है, "अब नेपाल जैसा ही जनांदोलन भारत में होने का संकेत है यह."

पोस्ट के साथ शेयर किया गया 16 सेकंड का वीडियो, जिसे 1,32,000 से ज़्यादा व्यूज़ मिले हैं, एक बड़ी भीड़ को फ़ुटब्रिज के नीचे चलते दिखाता है. साथ ही "वोट चोर, गद्दी छोड़" के नारे भी सुनाई दे रहे है.

यह नारा विपक्षी नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किया गया है, जिन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा पर वोटों में हेराफेरी करके चुनाव में धांधली करने का आरोप लगाया है (आर्काइव्ड लिंक्स यहां और यहां).

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गलत दावे से शेयर की गई फ़ेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट, सितम्बर 25, 2025 जिस पर एएफ़पी द्वारा एक लाल X साइन जोड़ा गया है

नरेंद्र मोदी की सितंबर 13, 2025 की मणिपुर यात्रा के बाद X, इंस्टाग्राम और थ्रेड्स पर भी इसी तरह  के पोस्ट शेयर किए गए -- जहां 2023 में हिंदू मैतेई बहुसंख्यक और ईसाई कुकी समुदाय के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं (आर्काइव्ड लिंक).

लेकिन प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान 'वोट चोरी' से संबंधित किसी विरोध प्रदर्शन की कोई आधिकारिक रिपोर्ट नहीं है.

इसके अलावा, की-फ़्रेम्स को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर वह वीडियो मिला जो पहले कंटेंट क्रिएटर त्रिशा रॉय द्वारा अप्रैल 14, 2025 को यूट्यूब पर प्रकाशित किया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

कैप्शन में लिखा है, "कोलकाता वक़्फ़ बिल प्रोटेस्ट. लोकेशन: एनआरएस अस्पताल के पास, कोलकाता (14 अप्रैल, 2025)."

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गलत दावे से शेयर की गई पोस्ट (बाएं) और यूट्यूब पर शेयर किए गए वीडियो की स्क्रीनशॉट तुलना

पश्चिम बंगाल में अप्रैल में वक़्फ़ (संशोधन) बिल को लेकर भयंकर विरोध प्रदर्शन हुए थे. यह बिल मुस्लिमों के स्वामित्व वाली संपत्तियों के प्रबंधन के तरीके को बदलने के लिए बनाया गया था (आर्काइव्ड लिंक).

भाजपा  सरकार के अनुसार बिल का उद्देश्य दान की गई संपत्तियों को नियंत्रित करने वाले वक़्फ़ बोर्ड को जवाबदेह बनाकर भूमि प्रबंधन में पारदर्शिता को बढ़ावा देना है.

लेकिन विपक्ष ने इस विधेयक को भारत के मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर एक ध्रुवीकरणकारी "हमला" बताया है.

एएफ़पी ने त्रिशा रॉय से संपर्क किया, जिन्होंने बताया कि उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किए गए वीडियो को "पूरी तरह से अलग संदर्भ" दिया गया है (आर्काइव्ड लिंक).

उन्होंने आगे कहा, "मेरा वीडियो दूसरे लोग गलत और बदले हुए कैप्शन और एडिटेड ऑडियो के साथ शेयर कर रहे हैं."

जबकि, मूल वीडियो का ऑडियो स्पष्ट नहीं है, लेकिन उसमें लोग "वोट चोर, गद्दी छोड़" के नारे लगाते नहीं सुनाई दे रहे हैं.

वीडियो का लोकेशन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एनआरएस मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की गूगल मैप्स स्ट्रीट इमेज से मेल खाता है, जिससे पुष्टि होती है कि इसे मणिपुर में नहीं फ़िल्माया गया था, जैसा कि गलत पोस्ट में दावा किया गया है (आर्काइव्ड लिंक).

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गलत दावे से शेयर की गई क्लिप (बाएं) और गूगल मैप्स पर स्ट्रीट व्यू इमेजरी की स्क्रीनशॉट तुलना, एएफ़पी द्वारा हाइलाइट की गई समानताओं के साथ

एएफ़पी ने वक़्फ़ बिल से संबंधित अन्य गलत दावों को यहां फ़ैक्ट चेक किया है.

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