
सोनम वांगचुक के भाषण को एडिट कर गलत दावे से शेयर किया गया
- प्रकाशित 13 अक्टूबर 2025, 08h41
- 3 मिनट
- द्वारा Akshita KUMARI, एफप भारत
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फ़ेसबुक पर सितंबर 25, 2025 को एक पोस्ट में शेयर वीडियो के कैप्शन का एक अंश कहता है, "लद्दाख को आग के हवाले करने वाले सोनम वांगचुक की मानसिकता देख लो मित्रो ... इस वीडियो को ध्यान से देखिए!"
15 सेकंड के इस वीडियो में वांगचुक स्थानीय लद्दाखी भाषा में कह रहे हैं: "बदलाव होगा, लोग इसे लाएंगे, चाहे वह नेपाल हो, बांग्लादेश हो या श्रीलंका, लोग ही बदलाव ला रहे हैं. कोई मरता है, लगता है बदलाव तभी आता है."
यह घटना लेह में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद सामने आई, जिसमें भीड़ ने एक पुलिस वाहन और भारतीय जनता पार्टी के कार्यालयों को आग लगा दिया (आर्काइव्ड लिंक).
सरकार ने इस अशांति के लिए वांगचुक के "भड़काऊ भाषणों" को ज़िम्मेदार ठहराया है, जो लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर थे (आर्काइव्ड लिंक).
वांगचुक को भारतीय पुलिस ने 26 सितंबर को हिरासत में लिया था.

यह वीडियो फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम, थ्रेड्स और X पोस्ट्स में भी शेयर किया गया है.
एक यूज़र ने कमेंट किया, "यह तो साफ़-साफ़ दिख रहा है कि इन देशों का उदाहरण देकर लोगों को भड़काने का काम कर रहा है ये आदमी."
एक अन्य ने लिखा: "लोग आपको आदर्श मानते हैं पर आपके इस कार्य से सभी आहत हुए हैं अपने अहिंसा के इस मार्ग को हिंसा का रूप दे दिया यह बहुत गलत है."
लेकिन वीडियो में भ्रामक रूप से वांगचुक की भाषण को एडिट किया गया है.
एडिटेड क्लिप
गलत दावे से शेयर किए गए वीडियो के की-फ़्रेम्स को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च करने पर 10 सितंबर को "लद्दाख पीपल्स वॉयस" यूट्यूब चैनल पर पोस्ट किया गया एक लंबा संस्करण मिला (आर्काइव्ड लिंक).
लगभग 35 मिनट के इस वीडियो में वांगचुक -- जो लदाख में जल संरक्षण परियोजनाओं में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं -- एक मंच से बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं.
गलत दावे से शेयर किए गए वीडियो में यूट्यूब वीडियो के 15:00 मिनट के बाद से क्लिप का इस्तेमाल किया गया है.

गलत दावे से शेयर किया गया वीडियो सिर्फ़15 सेकंड के बाद ख़त्म हो जाता है जबकि वांगचुक ने आगे कहा: "लेकिन दूसरों के विपरीत, लद्दाख को हिंसा, पथराव या अराजकता का सहारा लेने की ज़रूरत नहीं है."
"लद्दाख एक शांतिपूर्ण क्रांति का नेतृत्व कर सकता है -- जहां लोग अपनी मांगो को आगे बढ़ाते हुए बलिदान देते हैं, यहां तक कि भूख हड़ताल करते हैं और अपनी जान जोखिम में डालते हैं. लद्दाख पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है, यह दिखाते हुए कि बिना हिंसा के भी, अधिकारों के लिए कैसे लड़ा जा सकता है," वे आगे कहते हैं.
कई न्यूज़ वेबसाइट ने लद्दाख के लिए स्वायत्तता और राज्य का दर्जा पाने के लिए वांगचुक के 35 दिनों की भूख हड़ताल शुरू करने की रिपोर्ट पब्लिश की है (आर्काइव्ड लिंक्स यहां और यहां). इनमे वांगचुक द्वारा क्षेत्र में हिंसक विरोध प्रदर्शनों का आह्वान करने का कोई उल्लेख नहीं था.
एएफ़पी ने पहले लद्दाख में विरोध प्रदर्शनों से जुड़े अन्य गलत दावों को भी फ़ैक्ट चेक किया है.
