
कोविड-19 वैक्सीन से नहीं होती नपुंसकता: स्वास्थ्य विशेषज्ञ
- यह आर्टिकल एक साल से अधिक पुराना है.
- प्रकाशित 20 जुलाई 2021, 11h08
- अपडेटेड 20 जुलाई 2021, 11h08
- 3 मिनट
- द्वारा एफप भारत
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यह दावा यहां 1 मई, 2021 को फ़ेसबुक पर शेयर किया गया था.
ये पोस्ट हिंदी कैप्शन के साथ शेयर करते हुए लिखा गया कि अगर 18 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों को कोविड-19 की वैक्सीन लगाई जाती है तो उन्हें स्थायी नपुंसकता हो सकती है, चाहे वो स्त्री हो या पुरुष. वे कोई संतान पैदा नहीं कर पाएंगे. आगे लिखा है कि हम (डॉक्टर्स) चाहते हैं कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां गारंटी दें, इसके बाद ही सभी अविवाहित लोग इस वैक्सीन को लगवाएं. ये भी कहा जा रहा है कि 45 वर्ष से अधिक आयु के जिन लोगों ने वैक्सीन ली है उनमें से कम से कम 27% लोगों की मृत्यु हो चुकी है.
इस पोस्ट में भारत के कुछ डॉक्टरों की तस्वीरें हैं जिन्होंने सोशल मीडिया पर कोविड-19 टीकों के बारे में संदेह व्यक्त किया है.

भारत ने मई 2021 में अपने टीकाकरण कार्यक्रम का विस्तार किया और सभी वयस्कों को शामिल करने की घोषणा की. लेकिन कई राज्यों का कहना है कि उनके पास वैक्सीन की कमी हो रही है. इस बाबत AFP ने भी रिपोर्ट किया था.
भ्रामक दावों वाले ऐसे ही फ़ेसबुक पोस्ट यहां और यहां देख सकते हैं.
लेकिन ये सभी दावे गलत हैं.
"बिलकुल बेबुनियाद"
भारत के ड्रग अथॉरिटी के प्रमुख वी.जी. सोमानी ने जनवरी 2021 में ही कहा था कि ये दावे "बिल्कुल बेबुनियाद" हैं. उन्होंने कहा था कि अगर किसी की सुरक्षा पर ज़रा-सा भी संशय खड़ा होता तो हम इसे मंज़ूरी ही नहीं देते.
उन्होंने कहा, "टीके 110% सुरक्षित हैं. कुछ दुष्प्रभाव, जैसे हल्का बुखार, दर्द और एलर्जी हर टीके के लिए आम है. पर यह दावा बिल्कुल ग़लत है.”
पत्रकारों से बात करते हुए वीजी सोमानी की यह क्लिप भारतीय समाचार एजेंसी एशियन न्यूज इंटरनेशनल ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर 3 जनवरी, 2021 को पोस्ट की थी.
#WATCH I We'll never approve anything if there's slightest of safety concern. Vaccines are 110 % safe. Some side effects like mild fever, pain & allergy are common for every vaccine. It (that people may get impotent) is absolute rubbish: VG Somani,Drug Controller General of India pic.twitter.com/ZSQ8hU8gvw
— ANI (@ANI) January 3, 2021
विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्रीय कार्यालय ने AFP को बताया कि इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि टीके नपुंसकता या बांझपन का कारण बन सकते हैं.
मई 7, 2021 तक भारत सरकार ने दो टीकों, कोवैक्सीन और कोविशील्ड को अनुमति थी. इन दोनों टीकों को पूरी तरह सुरक्षित बताया गया था. निर्माताओं के अनुसार संभावित दुष्प्रभावों में थकान और मितली होना सामान्य है, लेकिन ये लोगों के लिंग से जुड़ी दिक्कत, यानी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन का कारण नहीं बनता.
टीके और इरेक्टाइल डिसफंक्शन के बारे में इसी तरह के ग़लत दावे को AFP इंडोनेशिया ने फ़ैक्ट-चेक किया था.
टीकाकरण से मृत्यु का आंकड़ा फ़र्ज़ी
भ्रामक पोस्ट बिना किसी सबूत के दावा करते हैं कि 45 वर्ष से अधिक आयु के जिन लोगों ने वैक्सीन ली है उनमे से कम से कम 27% लोगों की मृत्यु हो चुकी है.
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मई 5, 2021 तक 16 करोड़ से अधिक लोगों को टीका लग चुका था. शुरू में भारत ने केवल 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों और स्वास्थ्यकर्मियों को वैक्सीन लगाना चालू किया था जिसमें डॉक्टर, पैरामेडिक्स, नगरपालिका में काम करने वाले और सशस्त्र बल के लोग शामिल थे.
इस रिपोर्ट के अनुसार सरकारी आंकड़े बताते हैं कि वैक्सीन प्राप्त करने के बाद 180 लोगों की मृत्यु हुई थी, यानी - वैक्सीन लेने वालों में से 0.0001125%. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि मौतें टीकों के कारण ही हुईं थीं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कुछ मामलों का गहन अध्ययन किया गया है, जहां वैक्सीन लगाए जाने के बाद लोगों की मौत हो गई, पर “उनमें से कोई भी कोविड -19 टीकाकरण के कारण नहीं थी.”
